नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को डिविजनल कमिश्नर की अदालत और कार्यालय परिसर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दो दशक से अधिक पुराने मामले में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला को गिरफ्तारी से राहत दे दी. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) को रद्द करने के लिए वाराणसी अदालत में पेश होने के लिए चार सप्ताह का समय दिया. सुरजेवाला का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुए.
इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि 23 साल पहले हुई एक घटना के लिए एक प्रमुख राजनीतिक दल के सचिव के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है. पीठ ने सिंघवी से पूछा, आप यहां क्यों आये? आपको हाई कोर्ट जाना चाहिए.
सिंघवी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय गए लेकिन उन्होंने कोई आदेश पारित नहीं किया. मामले को लेकर सिंघवी ने कहा कि यह साल 2000 की एफआईआर है. तब सुरजेवाला युवा कांग्रेस के नेता हुआ करते थे. उनपर कथित तौर पर राजनीतिक आंदोलन करने का आरोप है.
सिंघवी ने कहा कि अक्टूबर में उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रख लिया. सात नवंबर को उनके मुवक्किल के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया गया. वह उच्च न्यायालय गए लेकिन उच्च न्यायालय ने न तो उल्लेख करने की अनुमति दी और न ही सूचीबद्ध करने की. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह कहेगी कि सुरजेवाला पेश हो सकते हैं. एनबीडब्ल्यू रद्द करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. सिंघवी ने कहा कि माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बारे में जानते हैं. उन्होंने अदालत से उनके मुवक्किल को चार सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया.
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दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को 4 सप्ताह की अवधि के भीतर एनबीडब्ल्यू को रद्द करने के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन देने की स्वतंत्रता दी गई है. इस बीच 5 सप्ताह तक की अवधि के लिए वारंट पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.