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चामराजपेट ईदगाह को लेकर SC के स्पेशल बेंच में सुनवाई, दिया ये आदेश

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के चमारजपेट में ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया है. अब ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका पर स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी है. सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा कि विवादित मैदान पर यथास्थिति बनायी रखी जाए.

ईदगाह मैदान
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Published : Aug 30, 2022, 3:37 PM IST

Updated : Aug 30, 2022, 6:32 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई हुई. ये याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर है, जिसमें कर्नाटक सरकार को 31 अगस्त से सीमित अवधि के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए बेंगलुरु के चामराजपेट में ईदगाह मैदान के उपयोग की अनुमति दी थी. चमारजपेट में ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

सीजेआई यूयू ललित ने इस मामले को जस्टिस इंदिरा बनर्जी, एएस ओका और एमएम सुंदरेश की पीठ को सौंप दिया, जो अब ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका पर शाम करीब 4:35 बजे सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एमएम सुंदरेश की स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि क्या पहले इस स्थान पर कोई अन्य धर्म का कार्यक्रम हुआ है. रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसी कोई इजाजत नहीं दी. रोहतगी ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर कभी विवाद नहीं था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मालिकाना हक को लेकर नहीं है, यह भूमि राज्य सरकार की है.

  • Supreme Court says let the matter be placed before the Chief Justice of India as there is no consensus between the two judges hearing the matter. Advocates mention the matter before the bench headed by Chief Justice of India UU Lalit. https://t.co/KBEcV9Kpg2

    — ANI (@ANI) August 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वक्फ की ओर से गलतबयानी की जा रही है, तो अदालत अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी. रोहतगी ने कहा कि राजस्व और बीबीएमपी रिकॉर्ड में भूमि का उल्लेख खेल के मैदान के रूप में किया गया है. यह एक सरकारी भूमि के रूप में जाना जाता है. सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वाद एक निषेधाज्ञा वाद था, ना कि मालिकाना हक का वाद. शीर्ष अदालत का कहना है कि दोनों पक्षों को आज तक यथास्थिति बनाए रखने की जरूरत है. उन्होंने ईदगाह मैदान में गणपति की पूजा पर रोक लगा दी.

इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया. सुनवाई कर रहे दोनों जजों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से मामला दो से तीन जजों की पीठ को भेज दिया गया. जस्टिस हेमंत गुप्ता के नेतृत्व वाली पीठ ने मुख्य न्यायाधीश के पास मामले को मेंशनिंग करने को कहा. इसके बाद सीजेआई की पीठ के सामने वक्फ बोर्ड के वकीलों ने मामला मेंशन किया.

ईदगाह मैदान
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बता दें कि, मुस्लिम निकाय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामले का उल्लेख और तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि क्षेत्र में अनावश्यक धार्मिक तनाव पैदा किया जा रहा है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी. पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह आयोजित करने की अनुमति दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार त्योहार को धरातल पर अनुमति देने के लिए निर्णय ले सकती है. राज्य सरकार द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के 25 अगस्त के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली अपील दायर करने के बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया था.

उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश में संशोधन किया और राज्य सरकार को 31 अगस्त से सीमित अवधि के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भूमि के उपयोग की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार करने और उचित आदेश पारित करने की अनुमति दी. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka CM Basavaraj Bommai) ने कहा है कि बेंगलुरु के चामराजपेट में ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव के आयोजन को लेकर कोई भ्रम नहीं है. उन्होंने कहा कि आवेदनों का सत्यापन जारी है, उसके बाद हम फैसला करेंगे.

इधर, ईदगाह मैदान के पास की गई सुरक्षा व्यवस्था पर डीसीपी लक्ष्मण बी. निम्बार्गी (पश्चिम मंडल) ने कहा कि हमने चामराजपेट में लगभग 1600 पुलिस कर्मियों को तैनात किया है. इसके अलावा तीन DCP, 21 ACP, लगभग 49 निरीक्षक, 130 PSI और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को भी शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है.

हुबली-धारवाड़ नगर निगम ने तीन दिन के उत्सव की मंजूरी दी

कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ नगर निगम (एचडीएमसी) ने यहां ईदगाह मैदान में तीन दिनों के लिए गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति देने का फैसला किया है. हुबली-धारवाड़ के महापौर इरेश अचंतगेरी ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सोमवार देर रात इस फैसले की घोषणा की. उन्होंने बताया कि यह फैसला नगर निकाय द्वारा इस मुद्दे पर गठित सदन की समिति की अनुशंसा पर लिया गया.

महापौर ने कहा कि सदन की समिति ने कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेने के बाद गणेश उत्सव की अनुमति देने की अनुशंसा की थी. इसे उत्सव को अनुमति देने के पक्ष में 28 और विरोध में 11 ज्ञापन मिले थे. उन्होंने बताया कि समिति की रिपोर्ट और विस्तृत चर्चा के बाद तीन दिन के लिए गणेश उत्सव की अनुमति देने का फैसला किया गया. महापौर ने बताया कि छह संगठनों ने गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनमुति मांगी थी, जिनमें से एक को चुना गया और बाकी से सद्भावनपूर्वक तरीके से उत्सव मनाने में सहयोग करने का अनुरोध किया गया.

गौरतलब है कि नगर निगम ने यह फैसला कांग्रेस पार्षदों के विरोध के बावजूद लिया है. अधिकाारियों ने बताया कि एक विवाद के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को इस मैदान में साल में केवल दो बार नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है और नगर निगम स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर वहां राष्ट्र ध्वज फहराता है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई हुई. ये याचिका कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर है, जिसमें कर्नाटक सरकार को 31 अगस्त से सीमित अवधि के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए बेंगलुरु के चामराजपेट में ईदगाह मैदान के उपयोग की अनुमति दी थी. चमारजपेट में ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

सीजेआई यूयू ललित ने इस मामले को जस्टिस इंदिरा बनर्जी, एएस ओका और एमएम सुंदरेश की पीठ को सौंप दिया, जो अब ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका पर शाम करीब 4:35 बजे सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एमएम सुंदरेश की स्पेशल बेंच में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि क्या पहले इस स्थान पर कोई अन्य धर्म का कार्यक्रम हुआ है. रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसी कोई इजाजत नहीं दी. रोहतगी ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर कभी विवाद नहीं था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मालिकाना हक को लेकर नहीं है, यह भूमि राज्य सरकार की है.

  • Supreme Court says let the matter be placed before the Chief Justice of India as there is no consensus between the two judges hearing the matter. Advocates mention the matter before the bench headed by Chief Justice of India UU Lalit. https://t.co/KBEcV9Kpg2

    — ANI (@ANI) August 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वक्फ की ओर से गलतबयानी की जा रही है, तो अदालत अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी. रोहतगी ने कहा कि राजस्व और बीबीएमपी रिकॉर्ड में भूमि का उल्लेख खेल के मैदान के रूप में किया गया है. यह एक सरकारी भूमि के रूप में जाना जाता है. सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वाद एक निषेधाज्ञा वाद था, ना कि मालिकाना हक का वाद. शीर्ष अदालत का कहना है कि दोनों पक्षों को आज तक यथास्थिति बनाए रखने की जरूरत है. उन्होंने ईदगाह मैदान में गणपति की पूजा पर रोक लगा दी.

इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया. सुनवाई कर रहे दोनों जजों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से मामला दो से तीन जजों की पीठ को भेज दिया गया. जस्टिस हेमंत गुप्ता के नेतृत्व वाली पीठ ने मुख्य न्यायाधीश के पास मामले को मेंशनिंग करने को कहा. इसके बाद सीजेआई की पीठ के सामने वक्फ बोर्ड के वकीलों ने मामला मेंशन किया.

ईदगाह मैदान
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बता दें कि, मुस्लिम निकाय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने मामले का उल्लेख और तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि क्षेत्र में अनावश्यक धार्मिक तनाव पैदा किया जा रहा है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी. पिछले हफ्ते, हाईकोर्ट ने बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह आयोजित करने की अनुमति दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार त्योहार को धरातल पर अनुमति देने के लिए निर्णय ले सकती है. राज्य सरकार द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के 25 अगस्त के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली अपील दायर करने के बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया था.

उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश में संशोधन किया और राज्य सरकार को 31 अगस्त से सीमित अवधि के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भूमि के उपयोग की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार करने और उचित आदेश पारित करने की अनुमति दी. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka CM Basavaraj Bommai) ने कहा है कि बेंगलुरु के चामराजपेट में ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव के आयोजन को लेकर कोई भ्रम नहीं है. उन्होंने कहा कि आवेदनों का सत्यापन जारी है, उसके बाद हम फैसला करेंगे.

इधर, ईदगाह मैदान के पास की गई सुरक्षा व्यवस्था पर डीसीपी लक्ष्मण बी. निम्बार्गी (पश्चिम मंडल) ने कहा कि हमने चामराजपेट में लगभग 1600 पुलिस कर्मियों को तैनात किया है. इसके अलावा तीन DCP, 21 ACP, लगभग 49 निरीक्षक, 130 PSI और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को भी शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है.

हुबली-धारवाड़ नगर निगम ने तीन दिन के उत्सव की मंजूरी दी

कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ नगर निगम (एचडीएमसी) ने यहां ईदगाह मैदान में तीन दिनों के लिए गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति देने का फैसला किया है. हुबली-धारवाड़ के महापौर इरेश अचंतगेरी ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ चली लंबी बैठक के बाद सोमवार देर रात इस फैसले की घोषणा की. उन्होंने बताया कि यह फैसला नगर निकाय द्वारा इस मुद्दे पर गठित सदन की समिति की अनुशंसा पर लिया गया.

महापौर ने कहा कि सदन की समिति ने कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेने के बाद गणेश उत्सव की अनुमति देने की अनुशंसा की थी. इसे उत्सव को अनुमति देने के पक्ष में 28 और विरोध में 11 ज्ञापन मिले थे. उन्होंने बताया कि समिति की रिपोर्ट और विस्तृत चर्चा के बाद तीन दिन के लिए गणेश उत्सव की अनुमति देने का फैसला किया गया. महापौर ने बताया कि छह संगठनों ने गणेश प्रतिमा स्थापित करने की अनमुति मांगी थी, जिनमें से एक को चुना गया और बाकी से सद्भावनपूर्वक तरीके से उत्सव मनाने में सहयोग करने का अनुरोध किया गया.

गौरतलब है कि नगर निगम ने यह फैसला कांग्रेस पार्षदों के विरोध के बावजूद लिया है. अधिकाारियों ने बताया कि एक विवाद के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को इस मैदान में साल में केवल दो बार नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है और नगर निगम स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर वहां राष्ट्र ध्वज फहराता है.

Last Updated : Aug 30, 2022, 6:32 PM IST
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