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'प.बंगाल के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण नियुक्ति को लेकर दखल दें अटॉर्नी जनरल'

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी से कहा कि पश्चिम बंगाल के कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण तरीके से नियुक्ति करने के लिए कहा है. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से इस मुद्दे को हल करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बैठक करने को कहा. Supreme Court,VCs in West Bengal,AG for India R Venkataramani

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By PTI

Published : Dec 1, 2023, 10:37 PM IST

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी से कहा कि वह पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालयों के संचालन को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल सी वी आनंद बोस के बीच खींचतान के बाद राज्य संचालित कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण तरीके से नियुक्ति के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करें. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि केवल प्रतिष्ठित व्यक्तियों को ही कुलपति नियुक्त किया जाना चाहिए और अटॉर्नी जनरल से इस मुद्दे को हल करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बैठक करने को कहा.

सरकार के सबसे वरिष्ठ विधिक अधिकारी ने अदालत को इस संबंध में पहल करने का आश्वासन दिया. शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति के तौर पर 11 विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपति की नियुक्ति में कुछ न्यायविरुद्ध नहीं है.

पीठ ने कहा, 'हम अटॉर्नी जनरल से कहते हैं कि वे विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण नियुक्ति (ऐसी नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाले कानून के अनुसार) के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करें. यह हितधारकों की एक संयुक्त बैठक आयोजित करके किया जा सकता है. अटॉर्नी जनरल ने पहल के लिए आश्वासन दिया है.' अक्टूबर में, अदालत ने नव नियुक्त अंतरिम कुलपतियों की परिलब्धियों पर रोक लगा दी थी और राज्यपाल को कुलपतियों की नियुक्ति पर गतिरोध को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ कॉफी पीने के लिए साथ बैठने के लिए कहा था.

इसमें कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थानों और लाखों छात्रों के भविष्य के करियर के हित में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सुलह की आवश्यकता है. पीठ ने यह भी सुझाव दिया था कि जिन व्यक्तियों पर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच सहमति है, उनके नामों को तुरंत मंजूरी दी जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें - बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का बढ़ना पंजाब पुलिस की शक्तियों पर अतिक्रमण नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी से कहा कि वह पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालयों के संचालन को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल सी वी आनंद बोस के बीच खींचतान के बाद राज्य संचालित कई विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण तरीके से नियुक्ति के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करें. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि केवल प्रतिष्ठित व्यक्तियों को ही कुलपति नियुक्त किया जाना चाहिए और अटॉर्नी जनरल से इस मुद्दे को हल करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बैठक करने को कहा.

सरकार के सबसे वरिष्ठ विधिक अधिकारी ने अदालत को इस संबंध में पहल करने का आश्वासन दिया. शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति के तौर पर 11 विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपति की नियुक्ति में कुछ न्यायविरुद्ध नहीं है.

पीठ ने कहा, 'हम अटॉर्नी जनरल से कहते हैं कि वे विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की सौहार्दपूर्ण नियुक्ति (ऐसी नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाले कानून के अनुसार) के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करें. यह हितधारकों की एक संयुक्त बैठक आयोजित करके किया जा सकता है. अटॉर्नी जनरल ने पहल के लिए आश्वासन दिया है.' अक्टूबर में, अदालत ने नव नियुक्त अंतरिम कुलपतियों की परिलब्धियों पर रोक लगा दी थी और राज्यपाल को कुलपतियों की नियुक्ति पर गतिरोध को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ कॉफी पीने के लिए साथ बैठने के लिए कहा था.

इसमें कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थानों और लाखों छात्रों के भविष्य के करियर के हित में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सुलह की आवश्यकता है. पीठ ने यह भी सुझाव दिया था कि जिन व्यक्तियों पर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच सहमति है, उनके नामों को तुरंत मंजूरी दी जानी चाहिए.

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