भोपाल। जब पहली बार गया तो लोग जिज्ञासा से देखते थे कि भारत का कोई अफसर भी क्या दूसरे देशों के मसलों को सुलझाने में काम कर सकता है. लोग पूछते थे कि आपका देश तो सांप सपेरे वाला देश है. लोग कहते थे कि आपके यहां महिलाएं घूंघट से नहीं निकलती, दहलीज पार नहीं करती. ऐसे सवालों के जवाब पूरे दाे साल तक दिए. अचानक जब विदाई का समय आया तो पता चला कि मेरे नाम से 20 जुलाई को एक डे घोषित कर दिया गया. यह कहना है मप्र पुलिस में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष शंकर शर्मा का.
दुनिया मानने लगी लोहा: वर्ष 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी की याद में सैन डिएगो “मनीष शंकर शर्मा डे” वर्ष 2015 से मनाता आ रहा है. जब उनकी विदाई का पल आया तो वहां की हर आंख नम थी. ETV Bharat से खास चर्चा में खुद मनीष शंकर शर्मा ने कई खुलासे किए. उन्होंने बताया कि अब तक वे करीब 55 देश घूम चुके हैं और काम के अलावा लोगों से जो संवाद हुआ, वह उनके लिए काफी अहम है. एक समय था जब लोग इस बात पर आश्चर्य करते थे कि भारत ने परमाणु परीक्षण कैसे कर लिया. वर्ष 1998 में जब परीक्षण हुआ तो तब मैं विदेश में ही था लेकिन किसी को यकीन नहीं हुआ. आज जब चंद्रयान तीन को छोड़ा तो किसी को शक नहीं बचा. यह परिवर्तन बीते दस से 12 साल में आया है. उन्होंने युवाओं के लिए कहा कि अब उनके पास ऑप्शन भी हैं और संसाधन भी बहुत है, लेकिन चुनौतिया भी कम नहीं है.
यह है स्पेशल डे: मनीष शंकर शर्मा को स्टेट ऑफ कैलीफोर्निया के शहर सैन डिएगो में विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें सैन डिएगो के महापौर केविन एल फॉकनर ने सम्मानित करते हुए 20 जुलाई को हर साल मनीष शंकर शर्मा दिवस मनाए जाने की घोषण की थी. मनीष शंकर शर्मा 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वे अभी मप्र पुलिस में हैं और कई सारी जिम्मेदारियों उनके पास हैं.
वर्ष 1997-1998 में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत बोस्निया और हर्जेगोविन्या में काम कर चुके हैं. तब उन्होंने वहां स्थानीय पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग दी थी. इसके अलावा वे सुरक्षा निदेशक एयरपोर्ट अथॉरिटी, टी बोर्ड ऑफ इंडिया के डायरेक्टर भी रहे हैं.सैन डियागो वर्ल्ड अफेयर्स कौंसिल के बोर्ड डायरेक्टर के सदस्य भी रह चुके हैं. मनीष शंकर शर्मा को 20 जुलाई को सैन डिएगो के महापौर ने यूएस हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव्स के सर्टिफिकेट ऑफ स्पेशल कांग्रेसनल से सम्मानित किया था.
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पिता मुख्य सचिव, चाचा विस अध्यक्ष: मनीष शंकर शर्मा के पिता केएस मप्र सरकार में मुख्य सचिव रह चुके हैं और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा इनके चाचा हैं. यह इंदौर के डेली कॉलेज से पढ़े और एमबीए बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ पिलानी से किया. 31 वर्ष की नौकरी में वे दुनिया के चार महाद्वीपों में सेवाएं दे चुके हैं. मनीष शंकर ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल सिक्युरिटी, काउंटर टेरेरिज्म एंड पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. मूल रूप से वे नर्मदापुरम (होशंगाबाद) के रहने वाले हैं और मप्र के रायसेन, सतना, छिंदवाड़ा और खंडवा जिलों में एसपी रहे हैं. वैश्विक आतंकवाद पर लिखी गई पुस्तक ‘ग्लोबल टेररिज्म-चैलेंजेस एंड पॉलिसी ऑप्शंस’ में उनका योगदान रहा है और ऐसा करने वाले वे एकमात्र भारतीय लेखक हैं.