नई दिल्ली: कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के कई बॉर्डरों पर एक साल तक चले किसान आंदोलन पर आधारित एक किताब का विमोचन (book released on farmers movement) किया गया. सोमवार को दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के कई बड़े उपस्थित रहे. इस किताब को ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अशोक धावले ने लिखा है. किसान आंदोलन को अमलीजामा पहनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के दोनों फाड़ों के जल्द साथ आने पर भी भरोसा जताया.
आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि आंदोलन स्थगित करने के बाद सरकार की तरफ से वादाखिलाफी की गई जिसके चलते पंजाब विधानसभा चुनाव खत्म होते ही छह किसान मोर्चों ने खुद को पुनर्गठित किया और सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया. इसके अंतर्गत पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक बड़ा तीन दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 20 हजार किसानों ने भाग लिया.
उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की मांग अब भी वही है कि गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को उनके पद से बर्खास्त किया जाए, एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिए गारंटी कानून बनाया जाए, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं और आंदोलन के दौरान के जान गंवाने वाले 700 से अधिक किसानों के परिवार को उचित मुआवजा प्रदान किया जाए.
उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि किसान आंदोलन खत्म हो गया है कि लेकिन यह सही नहीं है. आंदोलन के अंतर्गत अभी भी कई कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं. वहीं आंदोलन से युवाओं को जोड़ने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्निपथ योजना को भी अपने मुद्दों में शामिल कर लिया है. साथ ही, उन्होंने बताया कि सितंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की एक बड़ी बैठक भी तय हुई है जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा होगी और उसके बाद निर्णय की घोषणा की जाएगी.
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा गठित एमएसपी कमेटी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से मोर्चा को तीन नाम भेजने के लिए कहा गया था लेकिन बैठक में एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य करने के लिए कोई कानून बनाने पर विचार करने जैसी कोई बात नहीं कही गई थी, इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने इसमें भाग न लेने का निर्णय लिया.
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इस दौरान एक तरफ जहां संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता किसान आंदोलन पर पुस्तक का विमोचन किया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ 30-35 संगठनों वाला संयुक्त किसान मोर्चा जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहा था जो खुद को अराजनैतिक बताता है. किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि किसान आंदोलन की शुरुआत में देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान संगठनों का एकजुट होना ही इसकी सबसे बड़ी ताकत बनी, लेकिन पंजाब के 22 किसान संगठनों द्वारा राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाना और उसके बाद पंजाब चुनाव में उम्मीदवार उतार देना संयुक्त किसान मोर्चा में फूट का सबसे बड़ा कारण बना. उन्होंने बताया कि मोर्चा अब 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मिशन 2024 एमएसपी गारंटी और पूर्ण कर्जा मुक्ति जैसे दो बड़े मांगों को मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार के विरोध में बड़ा आंदोलन खड़ा करने की योजना बना रहा है.