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88 साल के हुए रस्किन बॉन्ड, जन्मदिन पर प्रशंसकों को दिया 'The London Adventure' बुक का तोहफा

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Published : May 19, 2022, 9:21 PM IST

Updated : May 20, 2022, 9:59 AM IST

रस्किन बॉन्ड का परिवार ब्रिटेन का है. बॉन्ड को पढ़ाई लिखाई का बचपन से ही बड़ा शौक रहा है. उन्होंने अपनी पहली कहानी ‘रूम ऑन द रूफ’ महज 17 साल की उम्र में लिखी थी. 1957 में रस्किन को कॉमनवेल्थ राइटिंग के रूप में जॉन लेवेलिन राइस प्राइज भी मिला था. रस्किन ने 100 से अधिक कहानी, उपन्यास, कविताएं लिखी हैं.

Ruskin Bond 88th birthday
88 साल के हुए रस्किन बॉन्ड

मसूरीः मशहूर लेखक पद्मश्री, पद्म भूषण रस्किन बॉन्ड ने पहाड़ों की रानी मसूरी में 88वां जन्मदिन मनाया. सुबह से ही उनके प्रशंसकों द्वारा सोशल मीडिया के जरिए उनको जन्मदिन की बधाई देने का सिलसिला जारी रहा. रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था. वे अब्रे बॉन्ड और एरिथ क्लार्के के पुत्र हैं. बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनकी परवरिश शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून और लंदन में हुई. पिछले 59 सालों से वह अपने गोद लिए बेटे प्रेम सिंह के परिवार के साथ मसूरी में रहते हैं. रस्किन बॉन्ड अपना 88वां जन्मदिन सादगी से अपने परिवार के साथ मनाया.

परिवार और दोस्तों के साथ मनाया बर्थडेः रस्किन बॉन्ड अपने 88वां जन्मदिन के मौके पर उनके द्वारा लिखी किताब लिसन टू यूअर हार्ट 'द लंदन एडवेंचर' (Listen to your heart) 'The London Adventure' को अपने प्रशंसकों को समर्पित किया. इस बारे में पद्मश्री पद्म भूषण रस्किन बॉन्ड के गोद लिए प्रेम सिंह के बेटे राकेश बॉन्ड का कहना है कि कोविड की गाइडलाइन का पालन करते हुए रस्किन बॉन्ड ने घर में ही अपना जन्मदिन परिवार व पारिवारिक मित्रों के साथ मनाया. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से रस्किन बॉन्ड घर पर रहकर लगातार किताब लिख रहे हैं. हर साल दो से तीन किताबें लिखते हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिखने का जुनून पहले की तरह ही बरकरार है. रस्किन बॉन्ड पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि रस्किन बॉन्ड ने अपने 88वें जन्मदिन के मौके पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद किया है.
पढ़ें- उत्तराखंड में फिर बंद हो रहे स्‍कूल, 1 जून से 6 जुलाई तक गर्मी की छुट्टी घोषित

बच्चों से वादाः राकेश बॉन्ड का कहना है कि जो प्यार उनको (रस्किन बॉन्ड) लगातार मिल रहा है, उससे वह बहुत खुश हैं. कोविड के खतरे को देखते हुए अपने प्रशंसकों के बीच में आकर अपना जन्मदिन नहीं मना पा रहे हैं, जिसको लेकर उनको दुख है. उन्होंने कहा कि रस्किन बॉन्ड लगातार अपने प्रशंसकों के लिए किताबें लिख रहे हैं और उनके जन्मदिन पर भी वह एक किताब प्रशंसकों को समर्पित कर रहे हैं. रॉकेश बॉन्ड की पत्नी बीना कहती हैं कि आज भी रस्किन बॉन्ड घर पर अपना पूरा काम करते हैं. बॉन्ड अभी भी निरंतर लेखन का काम कर रहे हैं. रस्किन ने अपने जन्मदिन पर बच्चों से वादा किया है कि उनके लिए अभी भी किताब लिखेंगे.

कैंब्रिज बुक स्टोर के स्वामी सुनील अरोड़ा ने बताया कि हर साल रस्किन बॉन्ड के जन्मदिन के मौके पर अपने बुक स्टोर पर कार्यक्रम आयोजित करते थे. परंतु पिछले दो सालों से कोरोना के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाया. इस साल भी कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा. इस कारण रस्किन बॉन्ड के प्रशंसक काफी मायूस हैं. उन्होंने बताया कि वह एक दिन पूर्व ही रस्किन बॉन्ड के घर गए और उनको 88वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना की. उनकी प्रमुख पुस्तकों में द ब्लू अम्बरेला, द नाइट ट्रेन एट देहली, देहली इज नॉट फॉर रस्किन, अवर ट्री ग्रो इन देहरा, टाइम स्टॉप एट शामली, ए फेस इन द डार्क एंड अदर हंटिंग, कमिंग अराउंड द माउंटेन, ए सीजन ऑफ घोस्ट शामिल हैं.
पढ़ें- खुल गए द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट

उपलब्धियांः रस्किन बॉन्ड का परिवार ब्रिटेन का है. बॉन्ड को पढ़ाई लिखाई का बचपन से ही बड़ा शौक रहा है. उन्होंने अपनी पहली कहानी ‘रूम ऑन द रूफ’ महज 17 साल की उम्र में लिखी थी. 1957 में रस्किन को कॉमनवेल्थ राइटिंग के रूप में जॉन लेवेलिन राइस प्राइज भी मिला था. रस्किन ने 100 से अधिक कहानी, उपन्यास, कविताएं लिखी हैं. 1963 में रस्किन बॉन्ड पहाड़ों की रानी मसूरी आ गए. रस्किन बॉन्ड की उपन्यास पर कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं. 1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया. 2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनकी बुक अवर ट्रीज स्टिल ग्रो इन देहरा (Our Trees Still Grow in Dehra) के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है. 2014 में पद्म भूषण जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुका है.

मसूरीः मशहूर लेखक पद्मश्री, पद्म भूषण रस्किन बॉन्ड ने पहाड़ों की रानी मसूरी में 88वां जन्मदिन मनाया. सुबह से ही उनके प्रशंसकों द्वारा सोशल मीडिया के जरिए उनको जन्मदिन की बधाई देने का सिलसिला जारी रहा. रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था. वे अब्रे बॉन्ड और एरिथ क्लार्के के पुत्र हैं. बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनकी परवरिश शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून और लंदन में हुई. पिछले 59 सालों से वह अपने गोद लिए बेटे प्रेम सिंह के परिवार के साथ मसूरी में रहते हैं. रस्किन बॉन्ड अपना 88वां जन्मदिन सादगी से अपने परिवार के साथ मनाया.

परिवार और दोस्तों के साथ मनाया बर्थडेः रस्किन बॉन्ड अपने 88वां जन्मदिन के मौके पर उनके द्वारा लिखी किताब लिसन टू यूअर हार्ट 'द लंदन एडवेंचर' (Listen to your heart) 'The London Adventure' को अपने प्रशंसकों को समर्पित किया. इस बारे में पद्मश्री पद्म भूषण रस्किन बॉन्ड के गोद लिए प्रेम सिंह के बेटे राकेश बॉन्ड का कहना है कि कोविड की गाइडलाइन का पालन करते हुए रस्किन बॉन्ड ने घर में ही अपना जन्मदिन परिवार व पारिवारिक मित्रों के साथ मनाया. उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों से रस्किन बॉन्ड घर पर रहकर लगातार किताब लिख रहे हैं. हर साल दो से तीन किताबें लिखते हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिखने का जुनून पहले की तरह ही बरकरार है. रस्किन बॉन्ड पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि रस्किन बॉन्ड ने अपने 88वें जन्मदिन के मौके पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद किया है.
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बच्चों से वादाः राकेश बॉन्ड का कहना है कि जो प्यार उनको (रस्किन बॉन्ड) लगातार मिल रहा है, उससे वह बहुत खुश हैं. कोविड के खतरे को देखते हुए अपने प्रशंसकों के बीच में आकर अपना जन्मदिन नहीं मना पा रहे हैं, जिसको लेकर उनको दुख है. उन्होंने कहा कि रस्किन बॉन्ड लगातार अपने प्रशंसकों के लिए किताबें लिख रहे हैं और उनके जन्मदिन पर भी वह एक किताब प्रशंसकों को समर्पित कर रहे हैं. रॉकेश बॉन्ड की पत्नी बीना कहती हैं कि आज भी रस्किन बॉन्ड घर पर अपना पूरा काम करते हैं. बॉन्ड अभी भी निरंतर लेखन का काम कर रहे हैं. रस्किन ने अपने जन्मदिन पर बच्चों से वादा किया है कि उनके लिए अभी भी किताब लिखेंगे.

कैंब्रिज बुक स्टोर के स्वामी सुनील अरोड़ा ने बताया कि हर साल रस्किन बॉन्ड के जन्मदिन के मौके पर अपने बुक स्टोर पर कार्यक्रम आयोजित करते थे. परंतु पिछले दो सालों से कोरोना के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाया. इस साल भी कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा. इस कारण रस्किन बॉन्ड के प्रशंसक काफी मायूस हैं. उन्होंने बताया कि वह एक दिन पूर्व ही रस्किन बॉन्ड के घर गए और उनको 88वें जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना की. उनकी प्रमुख पुस्तकों में द ब्लू अम्बरेला, द नाइट ट्रेन एट देहली, देहली इज नॉट फॉर रस्किन, अवर ट्री ग्रो इन देहरा, टाइम स्टॉप एट शामली, ए फेस इन द डार्क एंड अदर हंटिंग, कमिंग अराउंड द माउंटेन, ए सीजन ऑफ घोस्ट शामिल हैं.
पढ़ें- खुल गए द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट

उपलब्धियांः रस्किन बॉन्ड का परिवार ब्रिटेन का है. बॉन्ड को पढ़ाई लिखाई का बचपन से ही बड़ा शौक रहा है. उन्होंने अपनी पहली कहानी ‘रूम ऑन द रूफ’ महज 17 साल की उम्र में लिखी थी. 1957 में रस्किन को कॉमनवेल्थ राइटिंग के रूप में जॉन लेवेलिन राइस प्राइज भी मिला था. रस्किन ने 100 से अधिक कहानी, उपन्यास, कविताएं लिखी हैं. 1963 में रस्किन बॉन्ड पहाड़ों की रानी मसूरी आ गए. रस्किन बॉन्ड की उपन्यास पर कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं. 1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया. 2014 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनकी बुक अवर ट्रीज स्टिल ग्रो इन देहरा (Our Trees Still Grow in Dehra) के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है. 2014 में पद्म भूषण जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुका है.

Last Updated : May 20, 2022, 9:59 AM IST
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