भीलवाड़ा : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत एक दिवसीय प्रवास पर भीलवाड़ा पंहुचे. जहा शहर के तेरा पंथनगर में चल रहे जैन समाज के राष्ट्रीय संत आचार्य महाश्रमण जी के चातुर्मास में आचार्य महाश्रमण जी का आशीर्वाद लिया. चातुर्मास कमेटी की ओर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया गया. सबसे पहले आचार्य महाश्रमण ने धर्म और आध्यात्मिक के बारे में संबोधन किया.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि वर्तमान समय में मनुष्य को संस्कार करने की बहुत जरूरत है. वर्तमान में सर्वत्र दुनिया में पहली समस्या संस्कार की कमी है. कुछ भद्दी आदत डालने वाले वीडियो से लेकर तालिबान तक के वीडियो से संकट के हालात हैं, लेकिन मैं इतना पक्का हूं तो मेरा यह हालात कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. तो मुझे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. डरना इसलिए पड़ता है कि हम अंदर से मजबूत नहीं है. हमें इस तरह का वातावरण बनाने के लिए अपने घर से सदाचार का वातावरण बनाना होगा.
इसकी शुरुआत अपने घर से करनी होगी. जहां परिवार के सदस्यों को 1 सप्ताह में 1 दिन साथ बैठकर भोजन करके संस्कार की शुरुआत करनी होगी. जिससे भारत की भावी पीढ़ी भी संस्कारवान बन सकेगी. संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में गुरु शिष्य के रिश्ते सहित कलियुग के चरण के बारे में भी कहां. महाराज श्री का व्याख्यान और संघ प्रमुख का उद्बोधन खत्म होने के बाद बंद कमरे में संघ प्रमुख मोहन भागवत और आचार्य महाश्रमण और अन्य संत जनों के साथ लगभग एक घंटा गुप्त बैठक का आयोजन हुआ.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय प्रवास पर रविवार को उदयपुर पहुंचे थे. यहां उन्होंने शहर के विद्या निकेतन स्कूल में प्रबुद्ध जन कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित किया. जिसमें करीब 300 से अधिक लोग शामिल हुए.
संवाद कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की आहुति देते हुए भारतवर्ष के लिए कार्य करने का मार्ग सहर्ष चुना. डॉ. हेडगेवार ने प्रारंभिक वर्षों में यह अनुभव किया कि स्वाधीनता मिलने के बाद भी फिर से हम पराधीन न हों, इस पर विचार करना होगा. संघ की स्थापना के मूल में यही चिंतन रहा.
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हिन्दुत्व को सरल शब्दों में समझाते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों की ओर से कोरोनाकाल में किया गया निस्वार्थ सेवा कार्य ही हिन्दुत्व है. इसमें सर्वकल्याण का भाव निहित है. उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने अनुभव किया था कि दिखने में जो भारत की विविधता है उसके मूल में एकता का एक भाव है, युगों से इस पुण्य भूमि पर रहने वाले पूर्वजों के वंशज हम सभी हिंदू हैं, यही भाव हिंदुत्व है.