नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 'रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम' (आरआरटीएस) परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता जताने को लेकर दिल्ली सरकार को सोमवार को फटकार लगाई और उसे पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन का ब्योरा देने का निर्देश दिया. यह धनराशि आरआरटीएस खंड के निर्माण के लिए दी जानी है, जो राष्ट्रीय राजधानी को राजस्थान और हरियाणा से जोड़ेगा. न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने 'आप' सरकार को दो सप्ताह के भीतर विज्ञापन पर खर्च का ब्योरा देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि धन की कमी है और वित्तीय मदद करने में असमर्थता व्यक्त की थी. अदालत ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम जानें कि आपने कौन सी राशि कहां खर्च की? विज्ञापन के लिए सारी धनराशि इस परियोजना के लिए खर्च की जाएगी. आप इस तरह का आदेश चाहते हैं? क्या आप ऐसा चाहते हैं." पीठ ने कहा, "दिल्ली सरकार ने 'कॉमन प्रोजेक्ट' के लिए कोष देने में असमर्थता जताई है. चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है. इसलिए हम दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा दिया जाए क्योंकि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है. इसमें पिछले वित्तीय वर्षों का ब्योरा दिया जाए."
शीर्ष अदालत ने पहले दिल्ली सरकार को दिल्ली को मेरठ से जोड़ने वाले आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) निधि से 500 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश दिया था. सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर दिल्ली को मेरठ से जोड़ेगा और 82.15 किलोमीटर लंबे मार्ग की अनुमानित लागत 31,632 करोड़ रुपये है. 24 स्टेशनों वाला यह कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां से मोदीपुरम, मेरठ तक की दूरी 60 मिनट में तय करेगा. मार्च 2019 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर परियोजना के लिए भारत सरकार का योगदान 5,687 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश का 5,828 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का 1,138 करोड़ रुपये है.
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शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार को 10 दिनों के भीतर ईसीसी फंड से 265 करोड़ रुपये का योगदान देने का निर्देश दिया था, जिसमें कर देनदारी भी शामिल थी. इसने कहा था कि कर घटक वापसी योग्य है और रिफंड पर इसे ईसीसी फंड में जमा किया जाएगा. 82.15 किमी लंबे गलियारे में से, दिल्ली में लगभग 13 किमी सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार स्टेशन होंगे. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने फरवरी में राज्यसभा को बताया कि दिल्ली सरकार दिल्ली-शाहजहांपुर-नीमराना-बहरोड़ और दिल्ली-पानीपत क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने पर सहमत नहीं हुई है.
(पीटीआई)