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Chandrayan-3 के 'प्रज्ञान' रोवर ने चांद पर 8 मीटर की तय की दूरी, उपकरण चालू हुए : ISRO

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 25, 2023, 6:00 PM IST

Updated : Sep 12, 2023, 2:45 PM IST

चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित उतरकर जानकारी एकत्र करना शुरू कर दिया है. वैज्ञानिक लगातार इस पर नजर बनाए हुए है. नेहरू तारामंडल के वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने बताया कि रोवर अब अच्छी स्थिति में है और पूरी तरह से सही काम कर रहा है. वहीं, इसरो ने बताया कि रोवर ने चांद पर आठ मीटर की दूरी तय कर ली है.

Rover came out Lander
chandrayan 3

बेंगलुरू : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर 'प्रज्ञान' ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "सभी नियोजित रोवर गतिविधियों को सत्यापित कर लिया गया है. रोवर ने लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है. रोवर के उपकरण एलआईबीएस और एपीएक्सएस चालू हैं." इसने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    All planned Rover movements have been verified. The Rover has successfully traversed a distance of about 8 meters.

    Rover payloads LIBS and APXS are turned ON.

    All payloads on the propulsion module, lander module, and rover are performing nominally.…

    — ISRO (@isro) August 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उपकरण 'अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर' (APXS) का लक्ष्य चंद्र सतह की रासायनिक संरचना और खनिज संरचना का अध्ययन करना है. वहीं, ‘लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (LIBS) चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की पड़ताल के लिए है. इसरो ने कहा कि लैंडर उपकरण इल्सा, रंभा और चेस्ट को चालू कर दिया गया है. चंद्र सतह तापीय-भौतिकी प्रयोग (चेस्ट) नामक उपकरण चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापेगा.

इससे पहले नेहरू तारामंडल के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने बताया था कि बुधवार रात 10 बजे लैंडर से रोवर निकलना शुरू हुआ, जो रात करीब 11.15 बजे पूरी तरह बाहर आ गया. अब रोवर और लैंडर दोनों मिलकर चंद्रमा की सतह पर कार्य कर रहे हैं. अगले 14 दिनों में रोवर के 2 और लैंडर के 4 वैज्ञानिक उपकरण नई तथ्यों की खोज करेंगे. इस क्षेत्र में सूर्य की किरणें 14 दिनों तक पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि लैंडर और रोवर से सौर पैनल जुडे़ हुए हैं, जो उनके लगातार कार्य करने के लिए बिजली पैदा करते रहेंगे. रोवर के 2 उपकरण, चंद्रमा की सतह पर खनिज भंडार और उसके कंपन पर वैज्ञानिक खोज कर अधिक जानकारी एकत्रित करेंगे. उन्होंने बताया कि लैंडर के 4 उपकरण मिट्टी के तापमान, संरचना, विविधता और दूरी के बारे में जानकारी देंगे.

पढ़ें : Chandrayaan-3 : अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने चंद्रयान3 को लेकर कही ये बात

सूचना दो तरीकों से प्रसारित होगी : वैज्ञानिक ने बताया कि पहले डेटा अंतरिक्ष यान से इसरो के केंद्रों तक भेजा जाएगा और चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-2 के माध्यम से निर्देश और डेटा संग्रह का संचालन कर यहां से संदेश लैंडर के जरिए रोवर तक पहुंचेंगे. डेटा का संग्रहण डेटा सेंटर के माध्यम से किया जाता है.

14 दिनों के बाद गतिविधियां अस्थाई रूप से होगी बंद: रोवर एक घंटे में केवल कुछ मीटर चलता है. पूरे 14 दिन में यह चांद पर कुछ सौ मीटर चलेगा. 14 दिन बाद लैंडिंग के आसपास पूरे क्षेत्र में अंधेरा छा जाएगा. इस घटना के कारण बिजली उत्पन्न बंद हो जाएगी. तब रोवर और लैंडर किसी भी तरह का ऑपरेशन करने में असमर्थ होंगे. उम्मीद है कि उजाले के साथ-साथ यह फिर से शुरू हो जाएगा. वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने कहा कि जब तक उपकरण काम कर रहा है, तब तक डेटा संग्रह केंद्रों को जानकारी भेजी जाएगी. इस मिशन से प्रेरित होकर और तकनीकी जानकारी हासिल कर इसरो, चंद्रमा की सतह पर और अधिक नई प्रोधौगिकी से लैस उपकरण भेजने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा कि इससे अगले अंतरिक्ष मिशन के लिए रास्ता मिलेगा.

एकस्ट्रा इनपुट-एजेंसी

बेंगलुरू : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर 'प्रज्ञान' ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "सभी नियोजित रोवर गतिविधियों को सत्यापित कर लिया गया है. रोवर ने लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है. रोवर के उपकरण एलआईबीएस और एपीएक्सएस चालू हैं." इसने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    All planned Rover movements have been verified. The Rover has successfully traversed a distance of about 8 meters.

    Rover payloads LIBS and APXS are turned ON.

    All payloads on the propulsion module, lander module, and rover are performing nominally.…

    — ISRO (@isro) August 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उपकरण 'अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर' (APXS) का लक्ष्य चंद्र सतह की रासायनिक संरचना और खनिज संरचना का अध्ययन करना है. वहीं, ‘लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (LIBS) चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की पड़ताल के लिए है. इसरो ने कहा कि लैंडर उपकरण इल्सा, रंभा और चेस्ट को चालू कर दिया गया है. चंद्र सतह तापीय-भौतिकी प्रयोग (चेस्ट) नामक उपकरण चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापेगा.

इससे पहले नेहरू तारामंडल के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने बताया था कि बुधवार रात 10 बजे लैंडर से रोवर निकलना शुरू हुआ, जो रात करीब 11.15 बजे पूरी तरह बाहर आ गया. अब रोवर और लैंडर दोनों मिलकर चंद्रमा की सतह पर कार्य कर रहे हैं. अगले 14 दिनों में रोवर के 2 और लैंडर के 4 वैज्ञानिक उपकरण नई तथ्यों की खोज करेंगे. इस क्षेत्र में सूर्य की किरणें 14 दिनों तक पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि लैंडर और रोवर से सौर पैनल जुडे़ हुए हैं, जो उनके लगातार कार्य करने के लिए बिजली पैदा करते रहेंगे. रोवर के 2 उपकरण, चंद्रमा की सतह पर खनिज भंडार और उसके कंपन पर वैज्ञानिक खोज कर अधिक जानकारी एकत्रित करेंगे. उन्होंने बताया कि लैंडर के 4 उपकरण मिट्टी के तापमान, संरचना, विविधता और दूरी के बारे में जानकारी देंगे.

पढ़ें : Chandrayaan-3 : अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने चंद्रयान3 को लेकर कही ये बात

सूचना दो तरीकों से प्रसारित होगी : वैज्ञानिक ने बताया कि पहले डेटा अंतरिक्ष यान से इसरो के केंद्रों तक भेजा जाएगा और चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-2 के माध्यम से निर्देश और डेटा संग्रह का संचालन कर यहां से संदेश लैंडर के जरिए रोवर तक पहुंचेंगे. डेटा का संग्रहण डेटा सेंटर के माध्यम से किया जाता है.

14 दिनों के बाद गतिविधियां अस्थाई रूप से होगी बंद: रोवर एक घंटे में केवल कुछ मीटर चलता है. पूरे 14 दिन में यह चांद पर कुछ सौ मीटर चलेगा. 14 दिन बाद लैंडिंग के आसपास पूरे क्षेत्र में अंधेरा छा जाएगा. इस घटना के कारण बिजली उत्पन्न बंद हो जाएगी. तब रोवर और लैंडर किसी भी तरह का ऑपरेशन करने में असमर्थ होंगे. उम्मीद है कि उजाले के साथ-साथ यह फिर से शुरू हो जाएगा. वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने कहा कि जब तक उपकरण काम कर रहा है, तब तक डेटा संग्रह केंद्रों को जानकारी भेजी जाएगी. इस मिशन से प्रेरित होकर और तकनीकी जानकारी हासिल कर इसरो, चंद्रमा की सतह पर और अधिक नई प्रोधौगिकी से लैस उपकरण भेजने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा कि इससे अगले अंतरिक्ष मिशन के लिए रास्ता मिलेगा.

एकस्ट्रा इनपुट-एजेंसी

Last Updated : Sep 12, 2023, 2:45 PM IST
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