नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि कश्मीरी प्रवासी सरकारी कर्मचारी दिल्ली या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) या देश में कहीं भी सरकारी आवास तीन साल की अवधि से अधिक रखने के हकदार नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि तीन साल की अवधि उन अधिकारियों पर भी लागू होगी जो सक्रिय खुफिया कार्य में थे ताकि वे सामान्य जीवन में लौट सकें, लेकिन खुफिया एजेंसी के लिए काम करने का बहाना अनिश्चितकाल की अवधि के लिए सरकारी आवास रखने का आधार नहीं हो सकता.
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र की इस दलील का जिक्र किया कि संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने से कश्मीरी प्रवासियों ने कश्मीर घाटी लौटना शुरू कर दिया है और उनमें से 2000 के इस साल लौटने की संभावना है.
पढ़ें : SC में बुधवार और गुरुवार को होगी मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की तीन याचिकाओं को रद्द करते हुए इस बात का जिक्र किया कि दिल्ली में 80 कश्मीरी प्रवासी, जो कि सेवानिवृत्त हैं, सरकारी आवास रखे हुए हैं. तीन ऐसे सेवानिवृत कर्मचारी हरियाणा के फरीदाबाद में आवास रखे हुए हैं.
(पीटीआई-भाषा)