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Jagannath rath yatra 2023 : VIDEO में जानिए रथों को खींचने वाली रस्सियों की धार्मिक मान्यता व अन्य रोचक तथ्य - rathyatra 2023 date

भारत के प्रमुख धार्मिक उत्सवों में से एक श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी आज से शुरू होगी. रथों को खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां कोई साधारण रस्सियां नहीं हैं और माना जाता है कि इन रस्सियों के स्पर्श मात्र से व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी अन्य मान्यताएं... Rath Yatra 2023 . Jai Jagannath .

Rath Yatra 2023 . Jai Jagannath .
श्री जगन्नाथ रथ यात्रा
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Published : Jun 20, 2023, 12:00 AM IST

Updated : Jun 20, 2023, 5:16 PM IST

श्री जगन्नाथ रथ यात्रा

पुरी : श्री जगन्नाथ रथ यात्रा, पुरी आज से शुरू होगी. भगवान जगन्नाथ भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक 2.5 किमी की दूरी तक खींचा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां कोई साधारण रस्सियां नहीं हैं और माना जाता है कि इन रस्सियों के स्पर्श मात्र से व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है.

रथों की रस्सियों का महत्व : इन शानदार रथों को खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां कोई साधारण रस्सियां नहीं हैं. ऐसा माना जाता है कि इन रस्सियों का स्पर्श मात्र व्यक्ति को पापमुक्त कर सकता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां पवित्र नागों का प्रतीक हैं. भगवान बलभद्र के रथ की रस्सी तालध्वज को नाग राजा बासुकी, देवी सुभद्रा के दर्पदलन को एक सर्पिणी स्वर्णचूड़ा और भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष को सर्पिणी शंखचूड़ा माना जाता है.

सेवादार गौरी शंकर सिंघारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि, "भगवान बलभद्र के रथ में इस्तेमाल होने वाली रस्सी 220 फीट लंबी है और इसकी परिधि 8 इंच की है. रस्सी को 'बासुकी नाग' के नाम से जाना जाता है." सिंघारी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इन रस्सियों को छूते हैं वे पापरहित हो जाते हैं और वे मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं," सिंघारी ने यह भी खुलासा किया कि अन्य धार्मिक पृष्ठभूमि के विश्वासी भी उत्सव में भाग लेते हैं. ये रस्सियां सखीगोपाल गाँव के साखीगोपाला मंदिर में नारियल के रेशों से बनी होती हैं. सेवादार डॉ शरत मोहंती ने कहा, "यात्रा के बाद, भक्त इन रस्सियों को अपने घर भी ले जाते हैं क्योंकि इन्हें पवित्र माना जाता है." सूत्रों ने बताया कि रथ यात्रा के लिए मंदिर प्रशासन को लगभग 20 रस्सियां सौंपी गईं. छह रस्सियों का इस्तेमाल तीन रथों को घेरने के लिए किया जाएगा. Rath Yatra 2023 . Jai Jagannath .

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श्री जगन्नाथ रथ यात्रा

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रथों की रस्सियों का महत्व : इन शानदार रथों को खींचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां कोई साधारण रस्सियां नहीं हैं. ऐसा माना जाता है कि इन रस्सियों का स्पर्श मात्र व्यक्ति को पापमुक्त कर सकता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां पवित्र नागों का प्रतीक हैं. भगवान बलभद्र के रथ की रस्सी तालध्वज को नाग राजा बासुकी, देवी सुभद्रा के दर्पदलन को एक सर्पिणी स्वर्णचूड़ा और भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष को सर्पिणी शंखचूड़ा माना जाता है.

सेवादार गौरी शंकर सिंघारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि, "भगवान बलभद्र के रथ में इस्तेमाल होने वाली रस्सी 220 फीट लंबी है और इसकी परिधि 8 इंच की है. रस्सी को 'बासुकी नाग' के नाम से जाना जाता है." सिंघारी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इन रस्सियों को छूते हैं वे पापरहित हो जाते हैं और वे मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं," सिंघारी ने यह भी खुलासा किया कि अन्य धार्मिक पृष्ठभूमि के विश्वासी भी उत्सव में भाग लेते हैं. ये रस्सियां सखीगोपाल गाँव के साखीगोपाला मंदिर में नारियल के रेशों से बनी होती हैं. सेवादार डॉ शरत मोहंती ने कहा, "यात्रा के बाद, भक्त इन रस्सियों को अपने घर भी ले जाते हैं क्योंकि इन्हें पवित्र माना जाता है." सूत्रों ने बताया कि रथ यात्रा के लिए मंदिर प्रशासन को लगभग 20 रस्सियां सौंपी गईं. छह रस्सियों का इस्तेमाल तीन रथों को घेरने के लिए किया जाएगा. Rath Yatra 2023 . Jai Jagannath .

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Last Updated : Jun 20, 2023, 5:16 PM IST
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