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सांसदों का अशोभनीय आचरण संसद की बेअदबी : सभापति नायडू

राज्य सभा सांसदों का निलंबन रद्द (revocation of Rajya Sabha MPs suspension) करने की मांग खारिज करते हुए सभापति नायडू ने अपने विस्तृत संबोधन में कहा कि सांसदों का अशोभनीय आचरण, संसद की बेअदबी (sacrilege in Parliament) है. उन्होंने सांसदों के व्यवहार पर दुख जताते हुए कहा कि सरकार से तीखे सवाल पूछे जाने चाहिए, लेकिन संसदीय मर्यादा और नियमों के दायरे का ध्यान भी रखा जाना चाहिए.

rajya sabha chairman naidu sansad tv
सभापति वेंकैया नायडू
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Published : Nov 30, 2021, 12:14 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 3:25 PM IST

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने वाले सांसदों के व्यवहार को सभापति वेंकैया नायडू ने संसद की बेअदबी (sacrilege in Parliament) करार दिया है. शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सभापति नायडू ने कहा कि सांसदों का व्यवहार संसद की बेअदबी है. संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. सांसदों के व्यवहार से क्षुब्ध सभापति ने संसद में अभद्रता पर दुख भी जताया.

नायडू ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थान है, जहां सांसद जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर आते हैं. उन्होंने कहा कि सांसदों को जनता की अपेक्षा पर खरे उतरने के लिए प्रश्नकाल, शून्यकाल जैसे मौकों पर आवाज उठानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि बतौर राज्य सभा के सभापति, उनका रूख निष्पक्ष है. वे सरकार का बचाव नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके संवैधानिक दायित्व भी हैं. सांसदों के निराशाजनक व्यवहार को लेकर नायडू ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दस्तावेज देखने से यह स्पष्ट होता है कि उपसभापति या पीठासीन सभापति सांसदों से बहस में भाग लेने की अपील कर सकते हैं. कई बार देखा गया है कि नाम पुकारे जाने के बाद भी सांसदों ने बहस या चर्चा में भाग नहीं लिया. ऐसे में सभापति किसी भी राज्य सभा सदस्य को बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.

सांसदों का अशोभनीय आचरण, संसद की बेअदबी : सभापति नायडू

इससे पहले नायडू ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही सांसदों का निलंबन रद्द (revocation of Rajya Sabha MPs suspension) करने की मांग खारिज कर दी. सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि फैसला राज्य सभा की समिति ने किया है. निलंबित सांसदों ने अपने व्यवहार पर कोई खेद नहीं है, ऐसे में राज्य सभा सांसदों का निलंबन वापस नहीं किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- Rajya Sabha Members Suspension : सांसदों का निलंबन रद्द नहीं, विपक्ष का वॉकआउट

राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (LoP Rajya Sabha Mallikaarjun Kharge) ने सांसदों के निलंबन (Rajya Sabha Members Suspension) पर दोबारा विचार करने की अपील की. नायडू ने कहा 'मुझे नहीं लगता कि निलंबन रद्द करने की नेता प्रतिपक्ष की अपील विचार करने योग्य है.' इस पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के सदस्यों ने विरोध जताया. कुछ देर बाद इन दलों के सदस्यों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वॉकआउट कर दिया.

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई और वह हंगामा करने के लिए बाध्य हुए. ओ ब्रायन ने कहा कि यह देखते हुए सत्ता पक्ष के 80 सदस्यों को निलंबित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने कुछ मुद्दों पर चर्चा बाधित की. इसके बाद उन्होंने और उनकी पार्टी के सदस्यों ने भी वॉकआउट कर दिया.

शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने अपना मुद्दा उठाया और अपनी बात रखने के बाद उन्होंने भी विपक्षी दलों के 12 सदस्यों के निलंबन के विरोध में वॉकआउट किया.

बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा से 12 सांसदों को निलंबित (rajya sabha members suspended) कर दिया गया. सांसदों को शीतकालीन सत्र (parliament winter session) की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उन पर संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में अशोभनीय आचरण और सभापति के निर्देशों का उल्लंघन के आरोपों के अलावा संसदीय नियमों की अनदेखी का आरोप है.

यह भी पढ़ें- Rajya Sabha Suspension : कांग्रेस के 6 सांसदों समेत 12 राज्य सभा सदस्य निलंबित

निलंबित किए गए 12 राज्यसभा सांसदों में से एक शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena MP Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि जिला अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में आरोपी का पक्ष भी सुना जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है, लेकिन संसद में निलंबन से पहले हमारा पक्ष नहीं सुना गया.

नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने वाले सांसदों के व्यवहार को सभापति वेंकैया नायडू ने संसद की बेअदबी (sacrilege in Parliament) करार दिया है. शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सभापति नायडू ने कहा कि सांसदों का व्यवहार संसद की बेअदबी है. संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. सांसदों के व्यवहार से क्षुब्ध सभापति ने संसद में अभद्रता पर दुख भी जताया.

नायडू ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थान है, जहां सांसद जनप्रतिनिधि के रूप में चुनकर आते हैं. उन्होंने कहा कि सांसदों को जनता की अपेक्षा पर खरे उतरने के लिए प्रश्नकाल, शून्यकाल जैसे मौकों पर आवाज उठानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि बतौर राज्य सभा के सभापति, उनका रूख निष्पक्ष है. वे सरकार का बचाव नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनके संवैधानिक दायित्व भी हैं. सांसदों के निराशाजनक व्यवहार को लेकर नायडू ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दस्तावेज देखने से यह स्पष्ट होता है कि उपसभापति या पीठासीन सभापति सांसदों से बहस में भाग लेने की अपील कर सकते हैं. कई बार देखा गया है कि नाम पुकारे जाने के बाद भी सांसदों ने बहस या चर्चा में भाग नहीं लिया. ऐसे में सभापति किसी भी राज्य सभा सदस्य को बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.

सांसदों का अशोभनीय आचरण, संसद की बेअदबी : सभापति नायडू

इससे पहले नायडू ने शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही सांसदों का निलंबन रद्द (revocation of Rajya Sabha MPs suspension) करने की मांग खारिज कर दी. सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि फैसला राज्य सभा की समिति ने किया है. निलंबित सांसदों ने अपने व्यवहार पर कोई खेद नहीं है, ऐसे में राज्य सभा सांसदों का निलंबन वापस नहीं किया जाएगा.

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राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (LoP Rajya Sabha Mallikaarjun Kharge) ने सांसदों के निलंबन (Rajya Sabha Members Suspension) पर दोबारा विचार करने की अपील की. नायडू ने कहा 'मुझे नहीं लगता कि निलंबन रद्द करने की नेता प्रतिपक्ष की अपील विचार करने योग्य है.' इस पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के सदस्यों ने विरोध जताया. कुछ देर बाद इन दलों के सदस्यों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करते हुए वॉकआउट कर दिया.

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई और वह हंगामा करने के लिए बाध्य हुए. ओ ब्रायन ने कहा कि यह देखते हुए सत्ता पक्ष के 80 सदस्यों को निलंबित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने कुछ मुद्दों पर चर्चा बाधित की. इसके बाद उन्होंने और उनकी पार्टी के सदस्यों ने भी वॉकआउट कर दिया.

शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद निषाद ने अपना मुद्दा उठाया और अपनी बात रखने के बाद उन्होंने भी विपक्षी दलों के 12 सदस्यों के निलंबन के विरोध में वॉकआउट किया.

बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा से 12 सांसदों को निलंबित (rajya sabha members suspended) कर दिया गया. सांसदों को शीतकालीन सत्र (parliament winter session) की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उन पर संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्य सभा में अशोभनीय आचरण और सभापति के निर्देशों का उल्लंघन के आरोपों के अलावा संसदीय नियमों की अनदेखी का आरोप है.

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निलंबित किए गए 12 राज्यसभा सांसदों में से एक शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena MP Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि जिला अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में आरोपी का पक्ष भी सुना जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है, लेकिन संसद में निलंबन से पहले हमारा पक्ष नहीं सुना गया.

Last Updated : Nov 30, 2021, 3:25 PM IST
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