नई दिल्ली : बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख के न्योमा में एयरफील्ड का काम शुरू किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक, इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया जाएगा. यह दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक होगा, जो हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक गेम चेंजर जैसा होगा. न्योमा इलाके में बनाई जा रही यह एयरफील्ड विश्व का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरफील्ड चाइना बॉर्डर से लगभग सिर्फ 35 किलोमीटर दूर है. 3 वर्षों में भारतीय वायु सेना का यह एयरबेस बनकर तैयार होगा. इसके उपरांत वायु सेना के लड़ाकू विमान यहां से उड़ान भर व उतर सकेंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को जम्मू से इस परियोजना का शिलान्यास किया. एलएसी पर चीनी सेना के साथ चल रहे तनाव को देखते हुए यह फैसला काफी अहम है. एयरफील्ड के निर्माण में कुल 218 करोड़ रुपये की लागत आएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि बीआरओ को हाल ही में शिंकुला सुरंग के निर्माण का काम भी सौंपा गया है, जो हिमाचल में लाहौल-स्पीति को लद्दाख की जास्कर घाटी से जोड़ेगा. यह हिमाचल और लद्दाख के बीच ऑल वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. रक्षा मंत्री ने कहा, "मुझे यह बताया गया कि 15,855 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग, दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी, जो बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा स्थापित एक और अनोखा रिकॉर्ड होगा.
रक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले लगभग नौ सौ दिनों में बीआरओ ने करीब तीन सौ इंफ्रा प्रोजेक्ट्स देश को समर्पित किए हैं. उन्होंने कहा, "आप देखिए, कि अक्टूबर 2020 में मैंने बालीपरा चारद्वार तवांग मार्ग पर 500 मीटर लम्बी नेचिफु सुरंग की नींव रखी थी. अभी तीन साल भी नहीं हुए कि आपने इस प्रोजेक्ट को पूरा कर दिया गया. आज मुझे इस बात की अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि मैं इस सुरंग को राष्ट्र को समर्पित कर रहा हूं." मंगलवार को कुल 90 प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई, जिनमें कई रोड, ब्रिज, रनवे हेलीपैड और टनल शामिल हैं.
रक्षा मंत्री ने बीआरओ की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज जिस कुशलता से आप लोग काम कर रहे हैं, और जितनी तेजी से प्रोजेक्ट पूरे कर रहे हैं, उसके लिए आप सभी निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन देश के सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का कार्य करता हैं. एक से बढ़कर एक दुर्गम इलाके, जहां पर पांव रखना भी लगभग मुश्किल होता है, वहां भी बीआरओ ने रोड, सुरंग और पुलों का जाल बिछा दिया है. इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा, "आप सभी जानते हैं कि अभी हाल में इसरो ने 'शिव शक्ति प्वॉइंट' पर सफल लैंडिंग कराकर चांद पर भी भारत का झंडा गाड़ दिया है. लेकिन, एक समय वह भी था, जब इसरो एक सैटेलाइट तक नहीं छोड़ पाता था. हम दूसरे देशों में जाकर अपने सैटेलाइट स्पेस में लॉन्च करवाते थे. लेकिन, धीरे-धीरे इसरो अपनी मेहनत व लगन से इस काम में इतना एक्सपर्ट बन गया, कि आज स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है." उन्होंने कहा कि आज इसरो चांद और मंगल तो क्या, सूरज तक अपने हाथ फैला रहा है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सबको मिलकर भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिए कार्य करना है. इसमें हमें सबका सहयोग मिल भी रहा है. इसका उदाहरण इन प्रोजेक्ट्स में भी देख सकते हैं, अनेक राज्यों में अलग-अलग दल सत्ता में हैं, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में हम सब एक-दूसरे का साथ देते हुए आगे बढ़ रहे हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सहयोग के लिए मैं सभी राज्य सरकारों को अपनी ओर से बधाई भी देता हूं.
(आईएएनएस)