नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को नलिनी श्रीहर समेत सभी 6 दोषियों को रिहा करने के आदेश दे दिए हैं. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरथ की पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया और 33 साल बाद उनकी रिहाई का आदेश दिया.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रभु (advocate prabhu) ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि अदालत एजी पेरारिवलन (PERARIVALAN CASE) मामले पर निर्भर थी जो राजीव गांधी हत्याकांड में सह दोषी था. एजी पेरारिवलन मामले में अदालत ने रिहाई के लिए मानदंड निर्धारित किए थे जिसमें दोषियों का लंबे समय तक सहयोग, अच्छा आचरण, स्वास्थ्य की स्थिति, जेल के अंदर सुधारात्मक कार्य शामिल थे.
वर्तमान मामले में भी दोषियों ने सभी मानदंडों को पूरा किया. उन्होंने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नलिनी का आचरण संतोषजनक था और उसने कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा सहित कई अध्ययन किए. आरपी रविचंद्रन के लिए अदालत ने कहा कि उनका आचरण भी संतोषजनक था और उन्होंने कला में पीजी डिप्लोमा सहित विभिन्न अध्ययन किए हैं और उन्होंने दान के लिए राशि एकत्र की है.
अधिवक्ता प्रभु ने कहा कि पेरारिवलन को भी 142 के तहत रिहा कर दिया गया था. चूंकि सारे मानदंड पूरे हुए इसलिए अदालत ने अन्य सह-दोषियों को रिहा करने के लिए फिर से 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि 'तमिलनाडु सरकार ने उनकी रिहाई के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था लेकिन राज्यपाल कार्रवाई नहीं कर रहे थे. इस पर राज्य ने अदालत को बताया कि केंद्र की मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि कानून तय हो गया है. अदालत इसके लिए सहमत हो गई है. राज्यपाल की निष्क्रियता के कारण ही याचिकाकर्ता शीर्ष अदालत में गए थे.'
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