जयपुर : लोकेश शर्मा ने मुख्यमंत्री को संबोधित अपने इस्तीफे में लिखा कि आज दिन में मेरे द्वारा किये गए द्वीट को राजनैतिक रंग देते हुए, गलत अर्थ निकालकर पंजाब के घटनाक्रम से जोड़ा जा रहा है. जबकि कि वर्ष 2010 से मैं ट्विटर पर सक्रिय हूं और मैंने आज तक पार्टी लाइन से अलग, कांग्रेस के किसी भी छोटे से लेकर बड़े नेता के संबंध में और प्रदेश की कांग्रेस सरकार को लेकर कभी कोई ऐसे शब्द नहीं लिखे हैं, जिन्हें गलत कहा जा सके.
साथ ही कहा गया है ओएसडी की जिम्मेदारी मिलने के बाद मैंने सीमाओं और मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए कभी कोई राजनैतिक द्वीट नहीं किया. मैंने हमेशा राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की बात, सरकार के फैसले, जनकल्याणकारी योजनाओं और सरकार की सकारात्मक मंशा को ही आगे बढ़ाने का प्रयास किया और सरकार के कार्यकलाप और सरकार के साथ मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने वाले लोगों को तथ्यों के साथ जवाब देकर उनके द्वारा फैलाए जाने वाले भ्रामक प्रचार को रोकने का प्रयास किया.
इसके अलावा लोकेश ने लिखा है कि मैं लगभग रोजाना ही द्वीट करता रहता हूं. मेरे आज के ट्रीट से किसी भी रूप में पार्टी, सरकार और आलाकमान की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहता हूं. मेरी मंशा, मेरे शब्द और मेरी भावना किसी को भी किसी रूप में ठेस पहुंचाने वाली नहीं थी और न कभी होगी. फिर भी यदि आपको लगता है मेरे द्वारा जान-बूझकर कोई गलती की गयी है तो मैं आपके विशेषाधिकारी पद से इस्तीफा भेज रहा हूं. निर्णय आपको करना है.
दरअसल, पंजाब में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने शायराना अंदाज में लिखा था कि 'मजबूत को मजबूर, मामूली को मगरूर किया जाए...बाड़ ही खेत को खाए तो फसल को कौन बचाए !'
ये भी पढ़ें - कांग्रेस ने फिर बुलाई विधायक दल की बैठक, जाखड़ को मिल सकती है पंजाब की कमान
लोकेश शर्मा के ट्वीट को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा रही और इसका अलग-अलग तरह से मतलब निकाला गया. जिसके बाद लोकेश शर्मा ने शनिवार देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया.