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पहली बार रेलवे चुन सकता है बीओटी मॉडल डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

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Published : Feb 18, 2021, 3:26 PM IST

भारतीय रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के निर्माण में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल को अपनाने की योजना बना रही है. दरअसल, रेलवे की आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने के लिए निजी कंपनियों के माध्यम से फ्रेट काॅरिडोर बनाने की योजना है.

Railways
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नई दिल्ली : भारतीय रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के निर्माण में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल को अपनाने की योजना बना रही है. यह पहली बार होगा कि रेलवे निजी क्षेत्र को शामिल करके बीओटी मॉडल का चयन करेगा. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि बीओटी मॉडल के आधार पर बिहार के सोननगर से पश्चिम बंगाल के दनकुनी तक पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा.

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत बनने वाला यह काॅरिडोर 538 किलोमीटर लंबा होगा. इस पर करीब 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी. डीएफसी निर्माण के लिए एलस्टन, विश्व बैंक, टाटा प्रोजेक्ट्स, एलएंडटी और कई अन्य निजी कंपनियों ने रुचि दिखाई है. रेलवे इसके लिए डिजाइन, बिल्ड, वित्त, रख-रखाव और स्थानांतरण मॉडल (DBFMT) का प्रयोग करने की योजना बना रहा है. डीएफसी के निर्माण में निजी कंपनियों पर रखरखाव का भी प्रभार होगा. नीति आयोग (NITI Aayog) से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे इसके लिए निविदा जारी करेगा.

रेलवे की योजना है कि यदि यह मॉडल सफल हो जाता है, तो इसे आगामी तीन डीएफसी में लागू किया जा सकता है. जिसमें ईस्ट-कोस्ट कॉरिडोर, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर शामिल हैं. जिसकी घोषणा वित्त मंत्री ने इस महीने अपने बजट में की थी.

यह भी पढ़ें-असम को महाबाहु-ब्रह्मपुत्र प्रोजेक्ट की सौगात पर मोदी बोले- वॉटर कनेक्टिविटी को सशक्त करेगा

पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण जून 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है. हाल ही में रेल मंत्रालय ने सूचित किया था कि डीएफसी में कैपेक्स का उपयोग पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ा है.

नई दिल्ली : भारतीय रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के निर्माण में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल को अपनाने की योजना बना रही है. यह पहली बार होगा कि रेलवे निजी क्षेत्र को शामिल करके बीओटी मॉडल का चयन करेगा. रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि बीओटी मॉडल के आधार पर बिहार के सोननगर से पश्चिम बंगाल के दनकुनी तक पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा.

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत बनने वाला यह काॅरिडोर 538 किलोमीटर लंबा होगा. इस पर करीब 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी. डीएफसी निर्माण के लिए एलस्टन, विश्व बैंक, टाटा प्रोजेक्ट्स, एलएंडटी और कई अन्य निजी कंपनियों ने रुचि दिखाई है. रेलवे इसके लिए डिजाइन, बिल्ड, वित्त, रख-रखाव और स्थानांतरण मॉडल (DBFMT) का प्रयोग करने की योजना बना रहा है. डीएफसी के निर्माण में निजी कंपनियों पर रखरखाव का भी प्रभार होगा. नीति आयोग (NITI Aayog) से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे इसके लिए निविदा जारी करेगा.

रेलवे की योजना है कि यदि यह मॉडल सफल हो जाता है, तो इसे आगामी तीन डीएफसी में लागू किया जा सकता है. जिसमें ईस्ट-कोस्ट कॉरिडोर, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर शामिल हैं. जिसकी घोषणा वित्त मंत्री ने इस महीने अपने बजट में की थी.

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पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण जून 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है. हाल ही में रेल मंत्रालय ने सूचित किया था कि डीएफसी में कैपेक्स का उपयोग पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ा है.

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