चंडीगढ़ : पंजाब निकाय चुनाव 2021 की मतगणना चल रही है. अब तक के नतीजे कांग्रेस को सुकून देने वाले हैं. वहीं भाजपा और शिरोमणी अकादी दल का सुपड़ा साफ होता नजर आ रहा है. पंजाब में स्थानीय निकायों के चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है. पार्टी को चार नगर निगमों में जीत मिली है जबकि तीन अन्य नगर निगमों में आगे हैं. एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी.
प्रदेश के आठ नगर निगमों एवं 109 नगर परिषद के लिये मतों की गिनती का काम आज सुबह नौ बजे शुरू हुआ.
अधिकारियों ने बताया कि बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर एवं पठानकोट नगर निगमों में कांग्रेस को जीत मिली है जबकि पार्टी बटाला, मोगा एवं अबोहर नगर निगम में आगे चल रही है.
प्रदेश निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को मोहाली नगर निगम के दो मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान के निर्देश दिये थे इसलिये इस पूरे नगर निगम में मतों की गिनती का काम बृहस्पतिवार को किया जायेगा
उन्होंने आगे कहा कि मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गयी है
अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में स्थानीय निकायों के 2302 उम्मीदवारों के निर्वाचन के लिये 14 फरवरी को मतदान कराया गया था जिसमें 70 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया
भारतीय जनता पार्टी एवं शिरोमणि अकाली दल अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं पिछले साल कृषि कानून के मुद्दे पर शिअद राजग गठबंधन से बाहर हो गया था.
2015 में, जब 122 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में चुनाव हुए, तो मतदान 78.60 प्रतिशत था.2021 में, 109 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में मतदान 71.30 प्रतिशत था. 2021 के स्थानीय चुनावों में मतदान 2015 की तुलना में 7.21 प्रतिशत कम था.
बृजेंद्र कुमार सिंह का बयान
कांग्रेस की इस जीत से उत्तर प्रदेश में भी पदाधिकारी और कार्यकर्ता गदगद हैं. उनका कहना है कि पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव की ये जीत साबित करती है कि लोग कांग्रेस को पसंद कर रहे हैं. अब बीजेपी के जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता बृजेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि पंजाब के अन्नदाताओं का बीजेपी ने अपमान किया है. पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव का जो रिजल्ट आया है, वह इस बात का संकेत है कि भाजपा सरकार को जनता पूरी तरह से उखाड़ फेंकने को तैयार है. भारतीय जनता पार्टी के अहंकार का जवाब जनता ने देना शुरू कर दिया है. आने वाले समय में पूरे देश में बीजेपी का सफाया होता दिखाई देगा.
2015 की स्थिति
शिरोमणि अकाली दल ने अपने दम पर 34 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, जबकि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने संयुक्त रूप से 27 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्ष चुने. इसी तरह 41 परिषदों में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा का वर्चस्व था. भाजपा आठ नगरपालिका परिषदों में प्रमुख थी, जबकि कांग्रेस केवल पांच परिषदों में अपना अध्यक्ष बनाने में सक्षम रही. इस बार भाजपा और शिरोमणि अकाली दल अलग-अलग लड़ रहे हैं, इसलिए स्थिति बदल सकती है.