चंडीगढ़ : शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार से पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट फिर से खुल गया है. 2020 के बाद से लंबित मामलों की संख्या करीब एक लाख है. साथ ही 33 न्यायाधीशों की कमी की वजह से मुकदमा लड़ने वालों को न्याय के लिए 10 तक इंतजार करना पड़ सकता है. हालांकि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और पंजाब हरियाणा बार काउंसिल जल्द से जल्द अदालतों में भाैतिक सुनवाई की मांग कर रही है. सुनवाई के लिए 15 सदस्यीय कार्य समिति बनाई गई है, जिन्होंने हाई कोर्ट की प्रशासनिक कमेटी को 11 जनवरी तक का समय दिया है. ताकि जल्द से जल्द अदालतों में कोरोना संकट के पहले जैसी सुनवाई शुरू की जा सके.
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में सबसे ज्यादा लंबित मामले
अभी तक देशभर में सबसे ज्यादा लंबित 7.46 लाख मामले इलाहाबाद हाई कोर्ट में हैं. दूसरे नंबर पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट है. कोरोना वायरस आने के बाद से लोगों को इंसाफ मिलने में देरी हो रही है. हालांकि जिस तरह से अनलॉक प्रक्रिया शुरू हुई उससे उम्मीद थी कि अदालतें जल्द खुलेंगी. लेकिन मार्च 2020 से ही अभी तक जिला अदालतों में और हाई कोर्ट में भाैतिक ताैर पर काम नहीं हो रहा है. पिछले साल से लेकर अब तक करीब 1 लाख मामले लंबित पड़े हैं. पिछले साल लंबित मामले 5,28,340 थे वहीं अब इनकी संख्या 6,37,188 पहुंच गई है.
वर्चुअल तरीके से रोज 12 साै मामलों की सुनवाई
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में वर्चुअल तरीके से अभी 1200 मामलाें की रोजाना सुनवाई हो रही है. जबकि 24 मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020 तक 58,981 मामले फाइल किए जा चुके हैं. जिसमें से 23,474 मामले निपटाए गए हैं. अगर हाई कोर्ट खुलता है और भाैतिक सुनवाई शुरू होती है तो हाई कोर्ट पर पिछले और नए मामलों का दबाव बहुत बढ़ जाएगा.
पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल के चेयरमैन चरणजीत सिंह ने बताया कि उन्हें हाई कोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने आश्वासन दिलाया था कि नए साल से भाैतिक सुनवाई शुरू की जाएगी. पर अभी तक अदालतें बंद पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि 20 फीसदी अदालतें ही काम कर रही हैं. हाई कोर्ट में न्यायाधीश कम हैं. हाई कोर्ट की कुल 85 अदालतें हैं, जिनमें से कुल 52 जज हैं. इनमें से भी 40 जज ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर रहे हैं.
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फिफ्टी-फिफ्टी आधार पर चलें अदालतें
चरणजीत सिंह ने मांग की है कि 50 फिसदी भाैतिक सुनवाई और 50 फीसदी वर्चुअल कोर्ट खुली रहे. अदालतें बंद होने से वकीलों का नुकसान हो रहा है. कई ऐसे युवा वकील हैं जो टैक्सी चला रहे हैं. कोई जोमैटो में काम कर रहा है. यहां तक कि कई तो सेल्समैन का काम कर रहे हैं. इसके अलावा मुकदमा लड़ने वालों का काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि सिविल लिटिगेशन खत्म हो गई है. सिर्फ बेल कि मामले की अदालतों में आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मॉल्स खुल चुके हैं. यहां तक कि पंजाब में सात जनवरी से स्कूल तक खुल रहे हैं, ऐसे में अदालतों का भी खुलना जरूरी है. उन्होंने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट बार-बार मेडिकल क्लीयरेंस की बात कर रही हैं, लेकिन जहां सब कुछ खुल गया है तो किस मेडिकल क्लीयरेंस की बात हो रही है, यह समझ से परे है.
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को सबसे पहले खुलना चाहिए, क्योंकि न्याय हर किसी का हक है.
वर्चुअल सुनवाई में आती हैं कई परेशानियां
उन्होंने कहा कि वर्चुअल कोर्ट होने से ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के समय वकीलों को काफी परेशानी होती है क्योंकि कई ऐसे मामले हैं जिसमें बहस जरूरी है. कई बार कनेक्शन सही नहीं होता है. कभी कोई और तकनीकी समस्या आ जाती है. इस वजह से मामले में क्या आर्डर हुआ, जज ने क्या कहा, यह जानने में काफी परेशानी होती है.
वर्चुअल कोर्ट कुछ समय के लिए या विशेष परिस्थितियों में तो ठीक है लेकिन स्थाई ताैर पर इससे न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती.