नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जेल सुधारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट समिति के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से जवाब तलब किया है. बता दें कि कोर्ट देश भर के 1382 जेलों में व्याप्त कथित अमानवीय स्थितियों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही है. मामले में कोर्ट ने केंद्र के अलावा सभी राज्यों से बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के बारे में विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा. कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद लोगों के परिवार के सदस्यों के मुलाकात के अधिकार में सहायता जैसे कई अन्य मुद्दे भी हैं. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 सितंबर की तिथि तय की है.
मामले पर जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ मंगलवार को सुनवाई कर रही थी. इस दौरान पीठ ने कहा कि छठी, सातवीं और आठवीं प्रारंभिक रिपोर्ट और पिछले साल दिसंबर की रिपोर्ट का अंतिम सारांश कोर्ट द्वारा नियुक्त जेल सुधार समिति द्वारा पेश किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में जेल सुधारों से जुड़े मुद्दों को देखने और जेलों में भीड़भाड़ सहित कई पहलुओं पर सिफारिशें करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अमिताव रॉय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. मामले में पीठ ने वकील गौरव अग्रवाल से केंद्र और राज्य सरकारों के वकील के साथ रिपोर्ट की प्रतियां साझा करने के लिए कहा. गौरतलब है कि गौरव अग्रवाल इस मामले में एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) के रूप में कोर्ट की सहायता कर रहे हैं.
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट का अध्ययन करने और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत की सहायता करने के लिए पक्षों के वकीलों को कुछ समय मांगा गया है और दिया गया है. 25 सितंबर, 2018 के आदेश के संदर्भ में अपनी सिफारिशें देने के लिए कोर्ट द्वारा समिति को भेजे गए संदर्भ की शर्तों पर गौर करने के बाद कहा गया कि कुछ अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
साथ ही कोर्ट ने जेल में कैदियों को चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, जेल में कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना और वर्चुअल कोर्ट कार्यवाही आयोजित करने पर जोर दिया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को तीन सप्ताह के अंदर जेल महानिदेशक के जरिए उचित जवाब दिया जा सकता है.
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(PTI)