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Presidential Election : विपक्ष को साधने की कोशिश में एनडीए - राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी

देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी ताना-बाना बुना जा रहा है और आजमाइशें जोरों पर है. लेकिन इतना तो तय हो चुका है कि अब, विपक्षी पार्टियां, सर्वसम्मति से सत्ता पक्ष के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी. हालांकि, सत्तापक्ष के फेवर में भी कोई खास आंकड़े नहीं हैं, लेकिन पिछली बार की तरह सत्ताधारी एनडीए घटक दल कई अन्य पार्टियों को भी अपने में शामिल की कोशिश कर रही हैं. राष्ट्रपति चुनाव पर क्या होगी एनडीए और उनके घटक दलों की रणनीति, जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की ये रिपोर्ट...

राष्ट्रपति चुनाव
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Published : Jun 15, 2022, 10:29 PM IST

Updated : Jun 16, 2022, 7:43 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के चयन को लेकर टीएमसी नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कमान संभाली है. वहीं, कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ही सही अंदर खाने ममता बनर्जी के राष्ट्रीय मुद्दों पर नेतृत्व से बहुत ज्यादा सहमत नहीं है, लेकिन उसे ऐसा लगता है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व करती है तो शायद कुछ पार्टियां जो यूपीए के खेमे में आ सकती हैं, वह भी वापस लौट जाएंगी. अंततः 17 अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की बैठक ममता बनर्जी के नेतृत्व में आधिकारिक तौर पर देश की राजधानी दिल्ली में हुई.

ऐसा नहीं है कि जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी मात्र यूपीए की तरफ से ही की जा रही है, बल्कि एनडीए इससे पहले ही सजग हो चुका है और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अन्य घटक दलों और एनडीए से बाहर के कुछ पार्टियों के साथ भी बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया है. देखा जाए तो राष्ट्रपति चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में टीआरएस, वाईएसआर, बीजेडी और आम आदमी पार्टी की भूमिका होगी. लेकिन ये पार्टियां कांग्रेस के बुलाने पर या इस गठबंधन को कांग्रेस नेतृत्व करती है तो वह विपक्षी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी. इसलिए बुधवार को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रपति चुनाव की पहली आधिकारिक बैठक की अगुवाई ममता बनर्जी और शरद पवार ने की.

बीजेपी के रणनीतिकार और वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति चुनाव को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं. इस बाबत संसदीय दल के नेताओं से अंदर खाने आपसी बातचीत भी की गई और सर्वसम्मति से उम्मीदवार के नाम तय करने पर भी मंथन चला. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के बहाने एनडीए, या यूं कहें, बीजेपी 2024 के चुनाव को भी देख रही है, जिसमें जातिगत समीकरण बहुत अधिक मायने रख सकता है और यही वजह है कि अंदर खाने किसी जनजातिया उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा गर्म है। वही एक बार अल्पसंख्यक उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा की गई, लेकिन पार्टी अपने वोट बैंक को देखते हुए जनजातीय उम्मीदवार को लेकर ज्यादा गंभीर नजर आ रही है.

यह चार राजनीतिक पार्टियां जिनमें वाईएसआर, टीआरएस, बीजेडी और आम आदमी पार्टी हैं. इन पर भी अंदर खाने बीजेपी के नेताओं को मनाने का काम सौंपा गया है. पिछली बार इनमें से कई पार्टियों ने एनडीए का समर्थन दिया था. काफी हद तक एनडीए के खेमे में समर्थन इस बात पर भी निर्भर करेगा कि एनडीए अपना उम्मीदवार किसे उतारती है. बहरहाल, शुरुआती दौर की बातचीत शुरू हो गई है और राजनाथ सिंह ने अपने गठबंधन की पार्टियों समेत ऐसी पार्टियां जो किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रही है, उनसे भी बातचीत शुरू कर दी है. पार्टी में राजनाथ सिंह का चेहरा हमेशा से एक ऐसा चेहरा माना जाता रहा है जिनके दूसरे दलों के साथ भी निजी संबंध सामान्य रहे हैं. यही वजह है कि पार्टी ने रक्षामंत्री को इसके लिए अधिकृत किया है.

पार्टी की तरफ से कई नामों पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें, द्रौपदी मुर्मू, अर्जुन मुंडा, मुख्तार अब्बास नकवी, सरीखे कई नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं. लेकिन पार्टी किस नाम पर अपनी मुहर लगाती है, यह तो पार्टी के संसदीय दल की बैठक में ही तय किया जाएगा. वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. यही वजह है कि राष्ट्रपति चुनाव की तारीख 18 जुलाई तय की गई है और 30 जुलाई तक नए राष्ट्रपति पदभार ग्रहण कर लेंगे.

बता दें कि विपक्षी दलों की पहली बैठक में लगभग 17 पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. बैठक में शरद पवार ने उम्मीदवारी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. एनसीपी के नेताओं का मानना है कि आंकड़े उनके साथ नहीं है और यदि यूपीए आंकड़े जुटाकर दिखाती है, तभी इस पर विचार किया जाएगा. वहीं, कई और नाम जिनमें सीताराम येचुरी, फारुख अब्दुल्ला, सरीखे नेताओं का भी आ रहा है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर और महात्मा गांधी के पुत्र गोपाल कृष्ण गांधी का नाम भी यूपीए ने आगे बढ़ाया है. गोपाल कृष्ण गांधी ने पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन भरा था, लेकिन वेंकैया नायडू से वह हार गए थे.

पढ़ें : President election : पवार की मनाही के बाद फारूख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर विचार

राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले सियासी दलों के आंकड़ों के बारे में बात करें तो कांग्रेस के पास लगभग 23 फीसदी वोट हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के पास लगभग 48 फीसदी वोट हैं. ऐसे में एनडीए गठबंधन को मजबूत स्थिति में देखता है, लेकिन यदि कांग्रेस यूपीए के तमाम घटक दलों के अलावा वाईएसआर, टीआरएस, बीजेडी और आम आदमी पार्टी को अपने खेमे में लाने में सफल होती है, तो बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती हो जाएगी. एनडीए गठबंधन में ऐसी 20 छोटी पार्टियां शामिल हैं, जिनको मिलाकर वोट 10,86,431 में से करीब 5,35,000 मत हैं और एनडीए को अपने में उम्मीदवार को जिताने के लिए करीब 13 हजार मतों की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता अन्य दलों से भी संपर्क साध रहे हैं.

इस बाबत बीजेपी के नेता फिलहाल कुछ बोलने को तैयार नहीं. वहीं, पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि जो भी निर्णय होगा वह संसदीय दल करेगा, क्योंकि अंतिम निर्णय के लिए पार्टी का संसदीय दल ही अधिकृत है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेताओं को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार या विपक्ष के उम्मीदवारों पर कोई भी टीका टिप्पणी करने या आधिकारिक प्रवक्ताओं को बयानबाजी करने से मना किया गया है.

नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के चयन को लेकर टीएमसी नेता तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कमान संभाली है. वहीं, कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ही सही अंदर खाने ममता बनर्जी के राष्ट्रीय मुद्दों पर नेतृत्व से बहुत ज्यादा सहमत नहीं है, लेकिन उसे ऐसा लगता है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व करती है तो शायद कुछ पार्टियां जो यूपीए के खेमे में आ सकती हैं, वह भी वापस लौट जाएंगी. अंततः 17 अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की बैठक ममता बनर्जी के नेतृत्व में आधिकारिक तौर पर देश की राजधानी दिल्ली में हुई.

ऐसा नहीं है कि जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी मात्र यूपीए की तरफ से ही की जा रही है, बल्कि एनडीए इससे पहले ही सजग हो चुका है और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अन्य घटक दलों और एनडीए से बाहर के कुछ पार्टियों के साथ भी बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया है. देखा जाए तो राष्ट्रपति चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में टीआरएस, वाईएसआर, बीजेडी और आम आदमी पार्टी की भूमिका होगी. लेकिन ये पार्टियां कांग्रेस के बुलाने पर या इस गठबंधन को कांग्रेस नेतृत्व करती है तो वह विपक्षी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देगी. इसलिए बुधवार को राजधानी दिल्ली में हुई राष्ट्रपति चुनाव की पहली आधिकारिक बैठक की अगुवाई ममता बनर्जी और शरद पवार ने की.

बीजेपी के रणनीतिकार और वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति चुनाव को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं. इस बाबत संसदीय दल के नेताओं से अंदर खाने आपसी बातचीत भी की गई और सर्वसम्मति से उम्मीदवार के नाम तय करने पर भी मंथन चला. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव के बहाने एनडीए, या यूं कहें, बीजेपी 2024 के चुनाव को भी देख रही है, जिसमें जातिगत समीकरण बहुत अधिक मायने रख सकता है और यही वजह है कि अंदर खाने किसी जनजातिया उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा गर्म है। वही एक बार अल्पसंख्यक उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा की गई, लेकिन पार्टी अपने वोट बैंक को देखते हुए जनजातीय उम्मीदवार को लेकर ज्यादा गंभीर नजर आ रही है.

यह चार राजनीतिक पार्टियां जिनमें वाईएसआर, टीआरएस, बीजेडी और आम आदमी पार्टी हैं. इन पर भी अंदर खाने बीजेपी के नेताओं को मनाने का काम सौंपा गया है. पिछली बार इनमें से कई पार्टियों ने एनडीए का समर्थन दिया था. काफी हद तक एनडीए के खेमे में समर्थन इस बात पर भी निर्भर करेगा कि एनडीए अपना उम्मीदवार किसे उतारती है. बहरहाल, शुरुआती दौर की बातचीत शुरू हो गई है और राजनाथ सिंह ने अपने गठबंधन की पार्टियों समेत ऐसी पार्टियां जो किंग मेकर की भूमिका में नजर आ रही है, उनसे भी बातचीत शुरू कर दी है. पार्टी में राजनाथ सिंह का चेहरा हमेशा से एक ऐसा चेहरा माना जाता रहा है जिनके दूसरे दलों के साथ भी निजी संबंध सामान्य रहे हैं. यही वजह है कि पार्टी ने रक्षामंत्री को इसके लिए अधिकृत किया है.

पार्टी की तरफ से कई नामों पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें, द्रौपदी मुर्मू, अर्जुन मुंडा, मुख्तार अब्बास नकवी, सरीखे कई नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं. लेकिन पार्टी किस नाम पर अपनी मुहर लगाती है, यह तो पार्टी के संसदीय दल की बैठक में ही तय किया जाएगा. वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. यही वजह है कि राष्ट्रपति चुनाव की तारीख 18 जुलाई तय की गई है और 30 जुलाई तक नए राष्ट्रपति पदभार ग्रहण कर लेंगे.

बता दें कि विपक्षी दलों की पहली बैठक में लगभग 17 पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. बैठक में शरद पवार ने उम्मीदवारी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. एनसीपी के नेताओं का मानना है कि आंकड़े उनके साथ नहीं है और यदि यूपीए आंकड़े जुटाकर दिखाती है, तभी इस पर विचार किया जाएगा. वहीं, कई और नाम जिनमें सीताराम येचुरी, फारुख अब्दुल्ला, सरीखे नेताओं का भी आ रहा है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर और महात्मा गांधी के पुत्र गोपाल कृष्ण गांधी का नाम भी यूपीए ने आगे बढ़ाया है. गोपाल कृष्ण गांधी ने पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन भरा था, लेकिन वेंकैया नायडू से वह हार गए थे.

पढ़ें : President election : पवार की मनाही के बाद फारूख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर विचार

राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले सियासी दलों के आंकड़ों के बारे में बात करें तो कांग्रेस के पास लगभग 23 फीसदी वोट हैं, जबकि एनडीए गठबंधन के पास लगभग 48 फीसदी वोट हैं. ऐसे में एनडीए गठबंधन को मजबूत स्थिति में देखता है, लेकिन यदि कांग्रेस यूपीए के तमाम घटक दलों के अलावा वाईएसआर, टीआरएस, बीजेडी और आम आदमी पार्टी को अपने खेमे में लाने में सफल होती है, तो बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती हो जाएगी. एनडीए गठबंधन में ऐसी 20 छोटी पार्टियां शामिल हैं, जिनको मिलाकर वोट 10,86,431 में से करीब 5,35,000 मत हैं और एनडीए को अपने में उम्मीदवार को जिताने के लिए करीब 13 हजार मतों की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता अन्य दलों से भी संपर्क साध रहे हैं.

इस बाबत बीजेपी के नेता फिलहाल कुछ बोलने को तैयार नहीं. वहीं, पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि जो भी निर्णय होगा वह संसदीय दल करेगा, क्योंकि अंतिम निर्णय के लिए पार्टी का संसदीय दल ही अधिकृत है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के नेताओं को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार या विपक्ष के उम्मीदवारों पर कोई भी टीका टिप्पणी करने या आधिकारिक प्रवक्ताओं को बयानबाजी करने से मना किया गया है.

Last Updated : Jun 16, 2022, 7:43 AM IST
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