कोटपुतली : जयपुर के कोटपुतली में ग्राम कुहाड़ा स्थित अरावली की पहाड़ियों में बने श्री छांपाला वाला भैंरू जी महाराज का वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है. जयपुर के कोटपुतली में ग्राम कुहाड़ा स्थित अरावली की पहाड़ियों में बने श्री छांपाला वाला भैंरू जी महाराज के मंदिर अपने आप में अनूठा है.
वहीं चूरमे के लिए बनाई गई मुठियां लाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली का प्रयोग किया जा रहा है. प्रसाद तैयार करने के लिए करीब 6 दर्जन हलवाई लगभग एक सप्ताह से कार्य कर रहे हैं. भण्डारे के लिए करीब डेढ़ लाख से अधिक पत्तल व तीन लाख से अधिक दोने एवं पानी के लिए एक दर्जन टैंकर की व्यवस्था की गई है.
21 स्कूलों के हजारों छात्र वालिंटियर्स
मेले में 11 सदस्यीय मेला कमेटी की देखरेख में करीब 200 वालंटियर्स व 21 स्कूलों के करीब एक हजार छात्र पार्किंग व्यवस्था, जल वितरण, प्रसाद वितरण आदि कार्यो में सेवाएं देते हैं. प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शिरकत करते हैं. इस मौके पर विशाल लक्खी मेले, भण्डारे व जागरण का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष बाबा का 12वां विशाल जागरण आयोजित किया जा रहा है. मेले को लेकर शुक्रवार को महिलाओं द्वारा गांव के विभिन्न मार्गों से मंदिर परिसर तक विशाल कलश यात्रा निकाली गई.
विशाल आयोजन में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा
इस मौके पर विशाल सामाजिक सम्मेलन का भी आयोजन होता है. यहां विभिन्न म्हासियों द्वारा नेहड़े व धमाल प्रस्तुति दी जाएगी. मन्दिर परिसर व कार्यक्रम स्थल पर प्रत्येक दो घंटे में पुष्प वर्षा विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है. उल्लेखनीय है कि श्री छांपाला वाला भैंरू बाबा का धाम उनके परम शिष्य सोनगिरा पोषवाल प्रथम की अटूट आस्था की कहानी से जुड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि सोनगिरा भैंरू बाबा की मूर्ति को कुहाड़ा में स्थापित करना चाहते थे. मूर्ति लाने के लिए जब वे काशी गए तो भैंरू बाबा ने उनसे पुत्र की बलि मांगी जो उन्होंने दे दी. इसके बाद सोनगिरा ने पंच पीरों के साथ कुहाड़ा गांव की स्थापना की. किंवदंती है कि जिस स्त्री को संतान नहीं हैं अगर वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलती है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है. यहां लोग भैंरू बाबा व खेजड़ी के वृक्ष की पूजा अर्चना करते हैं.
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबन्द
मेले के लिए ग्रामीणों में अपार उत्साह का माहौल देखने को मिला. कल्याणपुरा व कुहाड़ा गांव के ग्रामीण पिछले करीब एक माह से तैयारियों में जुटे हुए हैं. ग्रामीणों की ओर से मेले की व्यवस्था बेहद व्यवस्थित ढंग से की गई है, जो बाहर से आने वाले लोगों के लिए आश्चर्य का केन्द्र बनी हुई है. हजारों की संख्या में वाहनों की पार्किंग की जिम्मेदारी ग्रामीणों द्वारा उठाई जाती है. विभिन्न जगहों पर स्वयं ग्रामीण ही स्वयंसेवक के रूप में तैनात रहते हैं. यह मेला ग्राम एकता का नायाब उदाहरण है.
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वहीं दूसरी ओर मेले में व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन भी चाक-चौबन्द है. इसके लिए करीब चार थानों की पुलिस की तैनाती की गई है.