हैदराबाद : बिहार में नीतीश कुमार की सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है. विवाद की वजह बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 है. विरोधी दलों का दावा है कि इसे पोटा और टाडा जैसे खतरनाक कानून की तर्ज पर बनाया गया है. दूसरी ओर बिहार सरकार ने विधेयक का बचाव किया है. मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य और राज्य के लोगों की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर करने के लिए इस विधेयक को लाया गया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा और यूपी के बाद बिहार यह विधेयक लेकर आई है.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने की ताकत देने के प्रावधान वाला विधेयक संवैधानिक सिद्धांतों पर हमला है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए सरकार प्रदेश में पुलिस राज कायम करने का प्रयास कर रही है.
विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी कर इसे काला कानून और सशस्त्र मिलिशिया जैसा बताया. साझा बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन, द्रमुक, शिवसेना, राजद और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हैं.
राजद नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि यह बिहार का सवाल नहीं है. इस तरीके से बिहार सरकार प्रजातंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. यह देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. अगर आप विरोध में उठ रही आवाज को दबाने के लिए पुलिस बल का प्रयोग करते हैं, तो प्रजातंत्र शर्मसार होगा.
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि भारत एक प्रजातांत्रिक देश है. कोई सोच भी नहीं सकता है कि चुनी हुई सरकार इस तरह का विधेयक लेकर आएगी. ऐसे विधेयकों से प्रजातांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है.
पूरे मुद्दे पर सरकार और विपक्षी दलों का क्या कहना है, एक नजर
पूरे मामले पर पूर्व डीजीपी ने कहा कि बिल में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे किसी को भयभीत होने की जरूरत है. क्या कहा पूर्व डीजीपी ने यहां देखें पूरा साक्षात्कार
ये भी पढ़ें :