ETV Bharat / bharat

कोरोना महामारी : ले डूबी सरकार की अदूरदर्शिता ! - vaccine production on corona modi

जब दुनिया के दूसरे देश अग्रिम पेशगी देकर वैक्सीन निर्माताओं को अधिक से अधिक दवा का उत्पादन करने की डील कर रहे थे, भारत का राजनीतिक नेतृत्व कोरोना को समाप्त मान बैठा. परिणाम ये हुआ कि दूसरी लहर ने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी. हालत ये हो गया कि न तो वैक्सीन मिल पा रहे हैं, न दवाई और न ऑक्सीजन.

etv bharat
कोरोना महामारी
author img

By

Published : May 5, 2021, 9:57 PM IST

Updated : May 6, 2021, 6:49 AM IST

हैदराबाद : भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं कि गत 15 दिनों के आंकड़े 50 लाख को छूने वाले हैं. कोविड से मरने वालों की सबसे अधिक संख्या अमेरिका में है. ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है. लेकिन यह बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि दूसरी लहर में एक तिहाई मौतें सिर्फ भारत में ही हो रहीं हैं.

कोविड की पहली लहर जैसे ही थमने लगी थी, हमारी सरकार ने सारे एहतियात बरतने बंद कर दिए थे. सरकार की लापरवाही की वजह से करोड़ों देशवासियों की जान खतरे में पड़ गई. दुनिया की नजरों में भारत वैक्सीन उत्पादक देशों में अग्रणी है. लेकिन सरकार की गलत प्राथमिकताओं की वजह से आज भारत में ही वैक्सीन नहीं मिल पा रहे हैं.

केंद्र ने वैक्सीन लाभार्थियों का दायरा बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है कि केंद्र ने 18-45 साल वालों के वैक्सीनेशन की शुरुआत कर दी है. उनका कहना है कि सरकार ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर राज्यों को अधर में छोड़ दिया है. कीमत अब कंपनियां तय कर रहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि कोरोना के मामले में हमने सार्वभौमिक टीकाकरण की नीति को क्यों छोड़ दिया. देश के गरीबों को वैक्सीन कैसे मिलेगी. वे इसकी कीमत कैसे अदा कर पाएंगे. कोर्ट के अनुसार यह जीवन जीने के संविधान प्रदत्त अधिकार के खिलाफ है. सरकार को अब कम से कम नींद से जागना चाहिए कि कैसे वे देशवासियों को कोरोना के दंश से मुक्ति दिला सकती हैं.

मोदी सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्यों और केंद्र को मिलाकर उनके पास 2000 कोविड अस्पताल हैं. सरकार ने यह भी कहा कि कोविड के रोगियों का इलाज करने के लिए हम त्रिस्तरीय व्यवस्था का पालन कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह से आंकड़े 35 लाख पार करने वाले हैं, उसे देखकर कहा जा सकता है कि जन स्वास्थ्य का पूरा ढांचा ध्वस्त हो चुका है.

अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की अनुपलब्धता हमारी अपनी व्यवस्थाओं की कमी की ओर इशारा कर रहे हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना को लेकर बहुत ही हास्यास्पद टिप्पणी की थी. इसके बावजूद उन्होंने वैक्सीन के अनुसंधान और उत्पादन के लिए दो हजार डॉलर की सहायत दी थी. इसे 'रैप स्पीड' योजना बताया गया था. आज अमेरिका उनकी नीतियों और उनकी पहल की वजह से सुरक्षित महसूस कर रहा है. इजरायल जैसे देश ने पिछले साल मई महीने में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को अग्रिम भुगतान कर दिया था. ऐसे ही देश आज सुरक्षित हैं.

पूरी दुनिया में अब तक 116 करोड़ वैक्सीन के डोज उपयोग में लाए जा चुके हैं. अपने नागरिकों को वैक्सीन देने के मामले में भारत का 74 वां स्थान है. हमारे नेताओं की अदूरदर्शिता की वजह से जुलाई के अंत तक भारत में वैक्सीन का संकट जारी रहेगा. इस बीच लोग ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयों की किल्लत से लगातार जूझ रहे हैं. व्यवस्था का आलम ये है कि विदेशों से आने वाली मदद (300 टन आपातकालीन मेडिकल सामान) दिल्ली हवाई अड्डे पर ही पड़ी रह जाती है. कस्टम विभाग उसे क्लीयरेंस नहीं दे पाता है. क्या देश के नागरिक ऐसी नीतियों को बर्दाश्त कर पाएंगे. ऐसे जन सेवकों को तुरंत ही हटाकर व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. अगर वे कोविड पर नियंत्रण लगाना चाहते हैं तो उन्हें वैज्ञानिक कार्य प्रणाली से आगे बढ़ना होगा.

हैदराबाद : भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं कि गत 15 दिनों के आंकड़े 50 लाख को छूने वाले हैं. कोविड से मरने वालों की सबसे अधिक संख्या अमेरिका में है. ब्राजील दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है. लेकिन यह बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि दूसरी लहर में एक तिहाई मौतें सिर्फ भारत में ही हो रहीं हैं.

कोविड की पहली लहर जैसे ही थमने लगी थी, हमारी सरकार ने सारे एहतियात बरतने बंद कर दिए थे. सरकार की लापरवाही की वजह से करोड़ों देशवासियों की जान खतरे में पड़ गई. दुनिया की नजरों में भारत वैक्सीन उत्पादक देशों में अग्रणी है. लेकिन सरकार की गलत प्राथमिकताओं की वजह से आज भारत में ही वैक्सीन नहीं मिल पा रहे हैं.

केंद्र ने वैक्सीन लाभार्थियों का दायरा बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है कि केंद्र ने 18-45 साल वालों के वैक्सीनेशन की शुरुआत कर दी है. उनका कहना है कि सरकार ने वैक्सीन की कीमतों को लेकर राज्यों को अधर में छोड़ दिया है. कीमत अब कंपनियां तय कर रहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि कोरोना के मामले में हमने सार्वभौमिक टीकाकरण की नीति को क्यों छोड़ दिया. देश के गरीबों को वैक्सीन कैसे मिलेगी. वे इसकी कीमत कैसे अदा कर पाएंगे. कोर्ट के अनुसार यह जीवन जीने के संविधान प्रदत्त अधिकार के खिलाफ है. सरकार को अब कम से कम नींद से जागना चाहिए कि कैसे वे देशवासियों को कोरोना के दंश से मुक्ति दिला सकती हैं.

मोदी सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्यों और केंद्र को मिलाकर उनके पास 2000 कोविड अस्पताल हैं. सरकार ने यह भी कहा कि कोविड के रोगियों का इलाज करने के लिए हम त्रिस्तरीय व्यवस्था का पालन कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह से आंकड़े 35 लाख पार करने वाले हैं, उसे देखकर कहा जा सकता है कि जन स्वास्थ्य का पूरा ढांचा ध्वस्त हो चुका है.

अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की अनुपलब्धता हमारी अपनी व्यवस्थाओं की कमी की ओर इशारा कर रहे हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना को लेकर बहुत ही हास्यास्पद टिप्पणी की थी. इसके बावजूद उन्होंने वैक्सीन के अनुसंधान और उत्पादन के लिए दो हजार डॉलर की सहायत दी थी. इसे 'रैप स्पीड' योजना बताया गया था. आज अमेरिका उनकी नीतियों और उनकी पहल की वजह से सुरक्षित महसूस कर रहा है. इजरायल जैसे देश ने पिछले साल मई महीने में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को अग्रिम भुगतान कर दिया था. ऐसे ही देश आज सुरक्षित हैं.

पूरी दुनिया में अब तक 116 करोड़ वैक्सीन के डोज उपयोग में लाए जा चुके हैं. अपने नागरिकों को वैक्सीन देने के मामले में भारत का 74 वां स्थान है. हमारे नेताओं की अदूरदर्शिता की वजह से जुलाई के अंत तक भारत में वैक्सीन का संकट जारी रहेगा. इस बीच लोग ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयों की किल्लत से लगातार जूझ रहे हैं. व्यवस्था का आलम ये है कि विदेशों से आने वाली मदद (300 टन आपातकालीन मेडिकल सामान) दिल्ली हवाई अड्डे पर ही पड़ी रह जाती है. कस्टम विभाग उसे क्लीयरेंस नहीं दे पाता है. क्या देश के नागरिक ऐसी नीतियों को बर्दाश्त कर पाएंगे. ऐसे जन सेवकों को तुरंत ही हटाकर व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. अगर वे कोविड पर नियंत्रण लगाना चाहते हैं तो उन्हें वैज्ञानिक कार्य प्रणाली से आगे बढ़ना होगा.

Last Updated : May 6, 2021, 6:49 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.