नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के दूसरे चरण और अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) का शुभारंभ किया. सरकार के मुताबिक एसबीएम-यू 2.0 का परिव्यय करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये है.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया था. 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया. अब 'स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0' का लक्ष्य है Garbage-Free शहर, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त शहर बनाना.
मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य है- 'सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को Water secure cities' बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे.
उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा वाकई हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है. इसमें मिशन भी है, मान भी है, मर्यादा भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है.
पीएम मोदी ने कहा, बाबा साहेब, असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे. बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं. हम जानते हैं कि उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है. ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है. एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी स्थिति में रहना. इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था. स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है.
हमारे सफाई मित्र, हर रोज झाड़ू उठाकर सड़कों को साफ करने वाले हमारे भाई-बहन, कूड़े की दुर्गंध को बर्दास्त करते हुए कचरा साफ करने वाले हमारे साथी, सच्चे अर्थों में इस अभियान के महानायक हैं. कोरोना के कठिन समय में उनके योगदान को देश ने करीब से देखा है.
पीएम मोदी ने कहा, हमें ये याद रखना है कि स्वच्छता, एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम है, ऐसा नहीं है. स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाअभियान है. स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है.
आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन Waste, Process कर रहा है. 2014 में जब देश ने अभियान शुरू किया था तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम process होता था. आज हम करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट process कर रहे हैं. अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना है.
देश में शहरों के विकास के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी लगातार बढ़ रहा है. अभी अगस्त के महीने में ही देश ने National Automobile Scrappage Policy लॉन्च की है. ये नई स्क्रैपिंग पॉलिसी, Waste to Wealth के अभियान को, सर्कुलर इकॉनॉमी को और मजबूती देती है.
उन्होंने कहा, ये पॉलिसी देश के शहरों से प्रदूषण कम करने में भी बड़ी भूमिका निभाएगी. इसका सिद्धांत है- Reuse, Recycle और Recovery. सरकार ने सड़कों के निर्माण में भी वेस्ट के उपयोग पर बहुत ज्यादा जोर दिया है.
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इस दौरान केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, स्वच्छ भारत मिशन न केवल लाखों शौचालयों या अपशिष्ट प्रसंस्करण को 70% तक लाने के कारण सफल हुआ है, बल्कि इसलिए भी कि पीएम मोदी ने इस परियोजना को 'जन आंदोलन' बनाया.
केंद्रीय शहरी एवं आवासन कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (सीबीएम-यू) के दूसरे चरण का उद्देश्य सुविधाओं को बेहतर बनाना और नगर निकायों को ठोस कचरे के प्रसंस्करण को मौजूदा 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत तक ले जाना है.