नई दिल्ली : वैसे तो देखा जाए तो पीएमओ (PMO) हर साल अपने सभी मंत्रालयों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करता है और उसके आधार पर इन मंत्रालयों के इंटरनल रैंकिंग भी की जाती है, लेकिन पिछले 10 दिनों से सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सभी मंत्रालयों की समीक्षा कर रहे हैं और इसमें उनका साथ गृह मंत्री अमित शाह (Amit shah) और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) भी दे रहे हैं. इसे देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी मंत्रिमंडल में जल्दी ही विस्तार हो सकता है. क्या बदलाव हो सकते हैं. आइए जानते हैं....
छोटे-बड़े मंत्रालयों की जा रही समीक्षा
सूत्रों की माने तो तमाम छोटे-बड़े मंत्रालयों की समीक्षा की जा रही है और उसके अनुसार ही कैबिनेट में विस्तार किया जाएगा, जिसमें यह भी खबर आ रही है कि अभी तक कृषि, ग्रामीण विकास मंत्रालय ,कोयला एवं खनन ,पेट्रोलियम व शहरी विकास मंत्रालय ,नागरिक उड्डयन, रेलवे, संस्कृति ,पर्यटन ,जनजाति कार्य मंत्रालय ,मत्स्य पालन-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय पर्यावरण सड़क और परिवहन स्किल डेवलपमेंट और उत्तर पूर्वी विकास मंत्रालय की समीक्षा की जा चुकी है.
2019 के बाद से केंद्रीय मंत्रिमंडल का नहीं हुआ विस्तार
2019 के बाद से केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब तक कोई भी विस्तार नहीं किया गया है. इसी बीच उत्तर प्रदेश में भी मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं और इन्हीं बातों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं से भी मुलाकात की थी.
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से अलग-अलग समूह में मुलाकात की थी और इसे समीक्षा बैठक के रूप में देखा जा रहा है.
सिंधिया और अनुप्रिया को मिल सकती है जिम्मेदारी
खबरों के मुताबिक जहां उत्तर प्रदेश से अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का नाम केंद्रीय कैबिनेट के लिए सामने आ रहा है, तो वहीं मध्य प्रदेश से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को भी नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा बनाया जा सकता है. यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि इसी महीने होने वाले विस्तार में उन्हें रेल या मानव संसाधन विकास मंत्रालय जैसा अहम मंत्रालय मिल सकता है.
वहीं दूसरी तरफ पिछले दिनों बंगाल के नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) से भी प्रधानमंत्री की बंगाल पर लंबी चर्चा हुई थी और यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बंगाल के कोटे में से भी कुछ मंत्रियों को फेरबदल किया जा सकता है.
यही नहीं यह बात भी निकल कर सामने आ रही है कि इस बार के कैबिनेट विस्तार में कुछ युवा चेहरों को तरजीह दी जा सकती है और यही वजह है कि दो पूर्व मुख्यमंत्री, जिनमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) का नाम भी मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद की रेस में लिया जा रहा है. इसके अलावा बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का नाम भी इस विस्तार में मंत्री पद के तौर पर सामने आ रहा है.
यदि कैबिनेट विस्तार की बातों को देखें तो यहां यह बात भी निकल कर सामने आ रही है कि जो बड़े मंत्रालय हैं,जिनमें गृह, रक्षा, वित्त ,वाणिज्य और विदेश मंत्रालय जो सीसीएस के अंदर आते हैं. उनमें कोई भी बदलाव करने की संभावना नहीं है.
यह विस्तार कुछ इस तरह से होगा कि कुछ नेताओं और कुछ सहयोगी गठबंधन की पार्टियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह भी दे दी जाएगी और उन्हें मंत्री बना कर अपने विश्वास में भी ले लिया जाएगा . इसलिए यह उम्मीद लगाई जा रही है यह जो भी बदलाव होंगे वह राज्य मंत्रियों के स्तर पर ही ज्यादा संभावना है, कुछ इक्का-दुक्का कैबिनेट रैंक को छोड़ ज्यादातर फेरबदल राज्य मंत्रियों में ही इस विस्तार में देखे जा सकते हैं.
मोदी 2.0 का यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार होगा, यदि देखा जाए तो, मोदी सरकार के पार्ट वन में तीन बार मंत्रिमंडल विस्तार किए गए थे.
मंत्रिमंडल में कई नियुक्तियां खाली
मंत्रिमंडल में कई नियुक्तियां खाली पड़ी है, जिनमें लोक जनशक्ति के पार्टी के नेता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनका मंत्रालय अतिरिक्त प्रभार पर दिया गया है. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के साथ और शिवसेना के साथ रिश्ते टूटने के बाद उन मंत्रियों की जगह भी अतिरिक्त प्रभार के तौर पर ही अन्य मंत्रियों को सौंपी गई थी. इस वजह से कुछ केंद्रीय मंत्रियों के पास कई मंत्रालय आ गए हैं, जिसकी वजह से इन मंत्रालयों का काम-काज ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है.
चुनावी राज्यों को दी जाएगी तरजीह
इस मंत्रिमंडल में उन राज्यों के नाम भी आ रहे हैं, जिनमें आने वाले दिनों में चुनाव हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब ,उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा जैसे राज्य हैं, जिनमें विधानसभा चुनाव होने हैं और इन राज्यों के नेताओं को मंत्रिमंडल में लाने पर ज्यादातर तरजीह दी जाएगी.
इसके अलावा सूत्रों की माने तो इस बार जनता दल यूनाइटेड भी केंद्रीय कैबिनेट में अपने मंत्री पद के लिए जगह मांग रही है और जदयू से आरसीपी सिंह और राजीव रंजन सिंह का नाम भी प्रस्ताव के तौर पर आगे किया जा सकता है.
वही एलजेपी के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) का भी नाम पहले लिया जा रहा था, लेकिन जिस तरह से उनकी पार्टी में बगावत होकर चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया उसके बाद से फिलहाल एलजेपी से केंद्रीय कैबिनेट में किसी नेता को जगह दी जाएगी कि नहीं इस बात पर सवाल बना हुआ है.
एलजीपी का बवाल भी अंदर खाने माने तो केंद्रीय कैबिनेट में जगह लेने के साथ ही शुरू हुई थी, जिसमें यह पहले से तय माना जा रहा था कि केंद्रीय कैबिनेट में जगह चिराग पासवान को ही उनके पिता की जगह पर दी जाएगी, जिसके बाद ही 5 और सांसदों ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दी.
इस विस्तार के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई पार्टियां समाहित हो सकती हैं, जबकि अभी तक यदि गैर बीजेपी के किसी मंत्री की देखे तो वह एकमात्र रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास अठावले ही केंद्रीय मंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल थे. इस वजह से भी यह विस्तार काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
मॉनसून सत्र से पहले को सकता है विस्तार
हालांकि, अभी इस विस्तार पर अधिकारिक तौर पर कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं हो रहे हैं, लेकिन सूत्रों की माने तो मॉनसून सेशन (Monsoon Session) से पहले या इसी दौरान इस विस्तार को अमलीजामा पहनाया जा सकता है.