नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में दोनों दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को यदि देखा जाए तो बजट सत्र के शुरुआत से हो रहे अडाणी मुद्दे के हमले को प्रधानमंत्री ने दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश की. एक तरफ राज्यसभा में विपक्ष लगातार पीएम के भाषण में व्यवधान करता रहा, वहीं दूसरी तरफ सत्तापक्ष मोदी-मोदी के नारे लगाते रहा. सदन राष्ट्रपति के अभिभाषण से ज्यादा चुनावी एजेंडा तय करने का प्लेटफार्म नजर आया.
पहले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला, तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले लोकसभा में और उसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस के साथ-साथ पूरे गांधी नेहरू परिवार पर हमला बोल दिया. प्रधानमंत्री के शब्द जिसमें उन्होंने कहा कि आज पूरा देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है. देश के लिए जीता हूं, देश के लिए कुछ करने के लिए निकला हुआ हूं, जिस पर सत्तापक्ष ने खूब मेज थपथपाई. वहीं संसदीय नियमों से उलट विपक्ष राज्यसभा में भी पीएम के भाषण के दौरान लगतार हंगामा करता रहा.
यदि देखा जाए तो नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों में चुनाव चल रहे हैं और जल्द ही कई अन्य राज्यों में और इसके बाद 2024 में आम चुनाव हैं और शायद यही वजह है कि बजट के भाषण में बजट कम चुनावी एजेंडा ज्यादा नजर आ रहा है और कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर आगे के इलेक्शन का एजेंडा भी सेट कर दिया है, जिसमें कांग्रेस के भ्रष्टाचार के मुद्दों को फिर से उठाने की कोशिश में भाजपा, जनता को पुराने घोटालों को याद दिलाने की कोशिश कर रही.
सूत्रों की माने तो अडाणी मामले में जिस तरह विपक्ष सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर आरोप लगा रहा है. भाजपा भी नीति बना रही कि वो बजट सत्र खत्म होने के बाद भी पीएम पर बगैर किसी सबूत और आधार पर लगाए गए आरोपों पर संसद से लेकर सड़क तक जवाब मांगेगी. पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की माने तो 2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर ही जनता ने उन्हें लोकप्रिय नेता के तौर पर वोट दिया है और कांग्रेस पहले रफेल और अब अडाणी मामले पर सीधे-सीधे प्रधानमंत्री के ऊपर ही आरोप लगा रही है.
अंदरखाने पार्टी सूत्रों का मानना है कि प्रधानमंत्री पर विपक्ष जितने हमले करेगा, विपक्ष को उतना ही नुकसान उठाना पड़ सकता है. पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार का कहना है कि कांग्रेस पहले राफेल-राफेल चिल्लाती रही और अब अडाणी-अडाणी, लेकिन जनता के दिल में पीएम की एक क्लीन छवि है और कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के आरोप से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उल्टे इससे लोग और पीएम के नजदीक आयेंगे.
प्रधानमंत्री ने यह कहकर कि केरल में वामपंथी सरकार चुनी गई, जिसके पंडित नेहरू पसंद नहीं करते थे. कुछ ही दिनों में चुनी हुई सरकार को गिरा दिया. डीएमके के मित्रों को भी बताता हूं. तमिलनाडु में भी एमजीआर और करुणानिधि जैसे दिग्गजों की कई सरकारों को कांग्रेस वालों ने गिरा दिया. एनटीआर की आत्मा देखती होगी, आप कहां खड़े हो. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने एनटीआर की सरकार को भी गिरा दिया था. राजभवनों को कांग्रेस का दफ्तर बना दिया गया था. प्रधानमंत्री ने कहा, 'जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खुलेगा.'