रामनगर (उत्तराखंड): नैनीताल जिले में स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क में हिंसक हुए बाघ को कॉर्बेट प्रशासन ने चिन्हित कर लिया है. युवक अफसारुल की मौत के 13 दिन बाद ट्रैंक्यूलाइज किए जाने वाले बाघ को कॉर्बेट प्रशासन ने चिन्हित कर लिया है. बाघ की एक्सक्लूसिव फोटो ईटीवी भारत को मिली है. कैमरा ट्रैप के माध्यम से बाहर बाघ की फोटो क्लिक हुई है. कॉर्बेट प्रशासन ने अब हिंसक बाघ को ट्रैंक्यूलाइज करने की कवायद की तेज कर दी है. तीन हाथियों के साथ ही 35 से ज्यादा कैमरा ट्रैप, 2 ड्रोन, 2 पिंजड़े, 40 से ज्यादा वनकर्मी लगातार हिंसक बाघ के मूवमेंट्स पर नजर रख रहे हैं.
13 दिन बाद भी नहीं मिला अफसारुल शव: 16 जुलाई को अफसारुल पर बाघ के हमले के बाद अभी तक उसका शव बरामद नहीं हुआ है. बाघ युवक को घसीटकर कर जंगल के अंदर ले गया था. फिलहाल हिंसक बने बाघ को ट्रैंक्यूलाइज करने की कवायद में कॉर्बेट प्रशासन व वन विभाग लगा हुआ है. जिसके लिए मोहन क्षेत्र में बाघ को पकड़ने के लिए 2 पिंजरे, 2 ड्रोन, 35 से ज्यादा कैमरा ट्रैप, 3 हाथी व 40 से ज्यादा वनकर्मी भी लगातार घटना वाले क्षेत्र में लगे हुए हैं.
ये भी पढ़ें: रामनगरः 5 दिन बाद भी नहीं मिला अफसारुल का शव, बाघ के लिए वन विभाग ने लगाया पिंजरा
अफसारुल को बाइक पर से खींच ले गया था बाघ: 16 जुलाई रात 8 बजे बाइक के पीछे बैठे युवक अफसारुल को बाघ खींचकर ले गया था. अफसारुल अपने दोस्त अनस के साथ बाइक से अल्मोड़ा रानीखेत घूमने निकला था. अल्मोड़ा से लौटते वक्त मोहन क्षेत्र में बाइक के पीछे बैठे अफसारुल को बाघ उठाकर ले गया था. तब से ही विभाग बाघ को ट्रैक करने के साथ ही शव बरामद करने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाए हुए है.
बाघ पकड़ने के लिए लगाए एक्सटेंशन कैमरा ट्रैप: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडे ने सर्च ऑपरेशन में लगे हुए कर्मचारियों व अधिकारियों को बाघ की पल-पल की मूवमेंट तुरंत ही पता लगने पर, रेस्क्यू टीम के डॉक्टरों को देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि हमने कालागढ़ टाइगर रिजर्व, वन प्रभाग या कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का जो वन क्षेत्र है, उन सभी क्षेत्रों में एक्सटेंशन कैमरा ट्रैप लगाए हैं. रोज उनका डाटा एनालिसिस का कार्य किया जा रहा है. ताकि हम बाघ की मूवमेंट को समझ पाएं और यह जान पाएं कि कौन से क्षेत्र में बाघ की ज्यादा गतिविधि पाई जा रही है.
बाघ के लिए सर्च ऑपरेशन जारी: धीरज पांडे ने कहा कि हमारी वन विभाग की टीम लगातार सर्च ऑपरेशन चलाए हुए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी ट्रैंक्यूलाइज करने वाली टीम भी वहां पर मौजूद है. उन्होंने कहा कि ड्रोन कैमरा ट्रैप उतने कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं. क्योंकि बारिश की वजह से झाड़ियां उगने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जबकी कैमरा ट्रैप से काफी मदद मिल रही है. उन्होंने कहा कि 2 दिन पहले बाघ को लोकेट भी किया गया था.
ये भी पढ़ें: Tiger Terror: रामनगर में बाघ का निवाला बना बाइक सवार, उत्तराखंड में 20 साल में बाघों ने किया 40 इंसानों का शिकार
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पांडे ने कहा कि झाड़ियां अधिक होने के कारण ऑपरेशन सक्सेसफुल नहीं हो पाया. क्योंकि बरसात का होना भी मुख्य कारण है. जिसकी वजह से कुछ बाधा भी उत्पन्न हो रही है. धीरज पांडे ने कहा, लेकिन हमारा प्रयास यह है कि जल्द से जल्द जो बाघ हमारे द्वारा चिन्हित कर लिया गया है, उसको हम ट्रैंक्यूलाइज करके रेस्क्यू कर पाएं.
16 जुलाई को क्या हुआ था?: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के तहसील हसनपुर गांव जिहल निवासी 25 वर्षीय अफसारुल उर्फ भूरा पुत्र बाबू अपने साथी मो. अनस पुत्र शकील अहमद के साथ घूमने के लिए निकले थे. वह पहले नैनीताल फिर रानीखेत होते हुए अल्मोड़ा घूमने निकल गए. 16 जुलाई शनिवार देर शाम को ही अल्मोड़ा से वाया रामनगर होते हुए वह अमरोहा को जा रहे थे. बाइक अनस चला रहा था. रात सवा आठ बजे वे रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत कोसी रेंज के मोहान क्षेत्र में पहुंचे. इस बीच घात लगाए बाघ ने उन पर हमला कर दिया. हमले से बाइक अनियंत्रित हुई तो दोनों सड़क पर गिर गए. बाघ पीछे गिरे अफसारुल को खींचकर जंगल को ले गया. शोर मचाते हुए हिम्मत जुटाकर अनस बाइक उठाकर मोहान चौकी पहुंचा. इसके बाद सीटीआर का स्टाफ व रामनगर कोतवाल अरुण सैनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे.