ETV Bharat / bharat

पेगासस मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, अगर मीडिया रिपोर्ट सही हैं तो आरोप गंभीर हैं - pegasus controversy india

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी कांड की स्वतंत्र जांच की मांग वाली अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप काफी गंभीर हैं.

पेगासस मामला
पेगासस मामला
author img

By

Published : Aug 5, 2021, 7:40 AM IST

Updated : Aug 5, 2021, 1:37 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी मामले (pegasus snooping row) की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि अगर इसके बारे में रिपोर्ट्स सही हैं तो जासूसी के आरोप गंभीर हैं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने शुरू में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कुछ सवाल पूछे.

सीजेआई ने कहा, इस सब में जाने से पहले, हमारे कुछ प्रश्न हैं। इसमें कोई शक नहीं, अगर रिपोर्ट सही है तो आरोप गंभीर हैं.

उन्होंने यह कहते हुए देरी का मुद्दा उठाया कि मामला 2019 में सामने आया था. सीजेआई ने कहा, जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी. मुझे नहीं पता कि क्या अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई प्रयास किये गए थे. उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहते थे कि यह एक बाधा थी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह प्रत्येक मामले के तथ्यों में नहीं जा रही है और अगर कुछ लोगों का दावा है कि उनके फोन को इंटरसेप्ट किया गया था तो टेलीग्राफ अधिनियम है जिसके तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

सिब्बल ने कहा, मैं समझा सकता हूं. हमारे पास कई सामग्री तक पहुंच नहीं है. याचिकाओं में फोन में सीधी घुसपैठ के 10 मामलों की जानकारी है.

कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा दायर याचिकाओं सहित नौ याचिकाओं पर फिलहाल सुनवाई चल रही है.

यह भी पढ़ें- पेगासस जासूसी कांड : एनडीए में पड़ी फूट, नीतीश बोले- मामले की होनी चाहिए जांच

ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं.

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करके निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी मामले (pegasus snooping row) की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि अगर इसके बारे में रिपोर्ट्स सही हैं तो जासूसी के आरोप गंभीर हैं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने शुरू में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कुछ सवाल पूछे.

सीजेआई ने कहा, इस सब में जाने से पहले, हमारे कुछ प्रश्न हैं। इसमें कोई शक नहीं, अगर रिपोर्ट सही है तो आरोप गंभीर हैं.

उन्होंने यह कहते हुए देरी का मुद्दा उठाया कि मामला 2019 में सामने आया था. सीजेआई ने कहा, जासूसी की रिपोर्ट 2019 में सामने आई थी. मुझे नहीं पता कि क्या अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई प्रयास किये गए थे. उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहते थे कि यह एक बाधा थी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह प्रत्येक मामले के तथ्यों में नहीं जा रही है और अगर कुछ लोगों का दावा है कि उनके फोन को इंटरसेप्ट किया गया था तो टेलीग्राफ अधिनियम है जिसके तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

सिब्बल ने कहा, मैं समझा सकता हूं. हमारे पास कई सामग्री तक पहुंच नहीं है. याचिकाओं में फोन में सीधी घुसपैठ के 10 मामलों की जानकारी है.

कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा दायर याचिकाओं सहित नौ याचिकाओं पर फिलहाल सुनवाई चल रही है.

यह भी पढ़ें- पेगासस जासूसी कांड : एनडीए में पड़ी फूट, नीतीश बोले- मामले की होनी चाहिए जांच

ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं.

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करके निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.

Last Updated : Aug 5, 2021, 1:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.