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लोजपा अध्यक्ष बनने के बाद बोले पशुपति पारस- भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा क्या करेगा - Pasupati Paras reaction after elected president of LJP in Bihar

बिहार में पशुपति पारस (Pashupati Paras) को चिराग पासवान (Chirag Paswan) की जगह एलजेपी (Lok Janshakti Party) का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. पारस गुट की ओर से बुलाई गई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उन्हें निर्विरोध चुना गया है.

पशुपति पारस
पशुपति पारस
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Published : Jun 17, 2021, 8:37 PM IST

पटना : सांसद पशुपति पारस (Pashupati Paras) को एलजेपी (Lok Janshakti Party) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) की निगरानी में हुए चुनाव में वे निर्विरोध चुने गए हैं. हालांकि, पारस का अध्यक्ष बनना पहले से ही तय माना जा रहा था. क्योंकि चिराग पासवान (Chirag Paswan) गुट का कोई सदस्य इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ था.

निर्विरोध निर्वाचन के लिए पशुपति पारस ने सभी नेताओं का आभार जताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि दल को आगे ले जाएं और रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करें. मेरी पूरी कोशिश होगी कि पार्टी को देश के तमाम राज्यों में विस्तार दूं.

ये भी पढ़ें : राहुल गांधी से मिले खैरा, पंजाब एकता पार्टी का कांग्रेस में विलय

'पार्टी में लौट आएं पुराने लोग'

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पारस ने कहा कि अगर उनकी वजह से किसी का दिल दुखा हो तो वे सभी से माफी मांगते हैं. साथ ही तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी पुराने लोग पार्टी में लौट आएं. 'मैं सभी को भरोसा दिलाता हूं कि पार्टी में कोई मतभेद या कलह नहीं. क्योंकि अगर अंतर्कलह होता तो जाहिर तौर पर मैं निर्विरोध अध्यक्ष नहीं बनता.'

'भैया ने दी बड़ी सीख'

इस दौरान पारस ने पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को याद किया और कहा, 'बड़े भैया अक्सर कहते थे, जब 'गरीब-अमीर में लड़ाई' हो तो 'गरीब' का साथ दो. 'औरत और मर्द' में लड़ाई तो 'महिला' का साथ दो और अगर 'बहुसंख्यक' (हिंदू) और 'अकलियत' (मुस्लिम) में लड़ाई हो तो 'अकलियत' का साथ देना चाहिए.'

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस

चिराग पासवान को बताया तानाशाह

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों पर पशुपति थोड़े असहज दिखे. उनसे पूछा गया कि क्या रामविलास पासवान ने कभी नहीं बताया कि जब चाचा और भतीजा में झगड़ा हो जाए तो क्या करना चाहिए? इस सवाल पर वो भड़क गए. उन्होंने सवाल को ही गलत बता दिया, साथ ही कहा, 'अगर भतीजा तानाशाह हो जाता है, तो ऐसा कदम उठाना जरूरी हो जाता है.'

ये भी पढे़ं : कांग्रेस के बयान पर शिवसेना ने पूछा- क्या मध्यावधि चुनाव कराने की है योजना

'पार्टी नियम के तहत हुआ मेरा निवार्चन'

पशुपति ने चिराग पासवान के उस बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसमें चिराग ने कहा था कि वे ही आजीवन अध्यक्ष रहेंगे, ये चुनाव असंवैधानिक है. पारस ने कहा, लोकतंत्र में कोई व्यक्ति भला कैसे जीवन भर पद पर बना रह सकता है. मेरा निर्वाचन एलजेपी के संविधान के अनुसार ही हुआ है.

लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

'ऐसा हुआ तो दे दूंगा इस्तीफा'

वहीं, 'एक व्यक्ति एक पद' से जुड़े सवाल पर पारस ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि दलित सेना का अध्यक्ष जरूर हूं, लेकिन वह एक सामाजिक संगठन है. साथ ही कहा कि अगर भविष्य में केंद्रीय मंत्री बनूंगा, तो संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दूंगा और किसी दूसरे साथी को उसका जिम्मा सौंप दूंगा.

इस दौरान पत्रकारों ने जब उनके एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता यानी एक साथ दो पर रहने को लेकर सवाल पूछा तो वे बिदक गए और प्रेस कॉन्फ्रेंस की समाप्ति की घोषणा कर निकल गए.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस

खुद के नियम पर घिरे पारस

यहां याद दिलाना जरूरी है कि कुछ दिन पहले ही चिराग पासवान को पहले संसदीय दल का नेता और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इसी तर्क के साथ हटाया गया था कि पार्टी में 'एक व्यक्ति, एक पद' के तहत ऐसा किया गया है. खुद पारस ने तमाम इंटरव्यू में इसका जिक्र किया. मगर अब वे खुद दो बड़े पद पर हैं, इसके अलावा वे दलित सेना के भी अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- पथराव से बचने के लिए उन्नाव पुलिस ने टोकरी-स्टूल को बनाया कवच

किसी ने दावा नहीं किया- सूरजभान

इससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह ने पशुपति पारस के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मेरे पास सिंगर नोमिनेशन आया था. पारस जी के अलावा किसी ने भी दावा नहीं किया, लिहाजा वे ही अब पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे.

संसदीय दल के नेता बने पारस

आपको बता दें कि पिछले रविवार को पशुपति पारस की अगुआई में एलजेपी के पांच सांसदों ने बगावत कर दी. अगले दिन सभी ने मिलकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पशुपति को संसदीय दल के नेता बनाने के लिए पत्र सौंपा. जिसके बाद स्पीकर ने उन्हें मान्यता दे दी.

कौन हैं पारस के समर्थक ?

चिराग से अलग होने वालों में चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज के अलावा चंदन कुमार सिंह, वीणा देवी और सांसद महबूब अली कैसर शामिल हैं. इसके अलावा पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, प्रवक्ता रहे श्रवण कुमार और दलित सेना के कई बड़े नेता पारस के साथ हैं.

ये भी पढ़ें- भारत शांति का 'पुजारी' है लेकिन किसी भी आक्रामकता का जवाब देने में सक्षम है : राजनाथ

कौन हैं पशुपति पारस ?

पशुपति पारस हाजीपुर से एलजेपी के टिकट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बने हैं. 64 वर्षीय पारस इससे पहले बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वे एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत पार्टी में कई अहम पदों पर रह चुके हैं.

पटना : सांसद पशुपति पारस (Pashupati Paras) को एलजेपी (Lok Janshakti Party) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह (Surajbhan Singh) की निगरानी में हुए चुनाव में वे निर्विरोध चुने गए हैं. हालांकि, पारस का अध्यक्ष बनना पहले से ही तय माना जा रहा था. क्योंकि चिराग पासवान (Chirag Paswan) गुट का कोई सदस्य इस चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ था.

निर्विरोध निर्वाचन के लिए पशुपति पारस ने सभी नेताओं का आभार जताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि दल को आगे ले जाएं और रामविलास पासवान के सपनों को पूरा करें. मेरी पूरी कोशिश होगी कि पार्टी को देश के तमाम राज्यों में विस्तार दूं.

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'पार्टी में लौट आएं पुराने लोग'

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पारस ने कहा कि अगर उनकी वजह से किसी का दिल दुखा हो तो वे सभी से माफी मांगते हैं. साथ ही तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी पुराने लोग पार्टी में लौट आएं. 'मैं सभी को भरोसा दिलाता हूं कि पार्टी में कोई मतभेद या कलह नहीं. क्योंकि अगर अंतर्कलह होता तो जाहिर तौर पर मैं निर्विरोध अध्यक्ष नहीं बनता.'

'भैया ने दी बड़ी सीख'

इस दौरान पारस ने पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को याद किया और कहा, 'बड़े भैया अक्सर कहते थे, जब 'गरीब-अमीर में लड़ाई' हो तो 'गरीब' का साथ दो. 'औरत और मर्द' में लड़ाई तो 'महिला' का साथ दो और अगर 'बहुसंख्यक' (हिंदू) और 'अकलियत' (मुस्लिम) में लड़ाई हो तो 'अकलियत' का साथ देना चाहिए.'

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस

चिराग पासवान को बताया तानाशाह

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों के सवालों पर पशुपति थोड़े असहज दिखे. उनसे पूछा गया कि क्या रामविलास पासवान ने कभी नहीं बताया कि जब चाचा और भतीजा में झगड़ा हो जाए तो क्या करना चाहिए? इस सवाल पर वो भड़क गए. उन्होंने सवाल को ही गलत बता दिया, साथ ही कहा, 'अगर भतीजा तानाशाह हो जाता है, तो ऐसा कदम उठाना जरूरी हो जाता है.'

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'पार्टी नियम के तहत हुआ मेरा निवार्चन'

पशुपति ने चिराग पासवान के उस बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसमें चिराग ने कहा था कि वे ही आजीवन अध्यक्ष रहेंगे, ये चुनाव असंवैधानिक है. पारस ने कहा, लोकतंत्र में कोई व्यक्ति भला कैसे जीवन भर पद पर बना रह सकता है. मेरा निर्वाचन एलजेपी के संविधान के अनुसार ही हुआ है.

लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

'ऐसा हुआ तो दे दूंगा इस्तीफा'

वहीं, 'एक व्यक्ति एक पद' से जुड़े सवाल पर पारस ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि दलित सेना का अध्यक्ष जरूर हूं, लेकिन वह एक सामाजिक संगठन है. साथ ही कहा कि अगर भविष्य में केंद्रीय मंत्री बनूंगा, तो संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दूंगा और किसी दूसरे साथी को उसका जिम्मा सौंप दूंगा.

इस दौरान पत्रकारों ने जब उनके एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता यानी एक साथ दो पर रहने को लेकर सवाल पूछा तो वे बिदक गए और प्रेस कॉन्फ्रेंस की समाप्ति की घोषणा कर निकल गए.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस

खुद के नियम पर घिरे पारस

यहां याद दिलाना जरूरी है कि कुछ दिन पहले ही चिराग पासवान को पहले संसदीय दल का नेता और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इसी तर्क के साथ हटाया गया था कि पार्टी में 'एक व्यक्ति, एक पद' के तहत ऐसा किया गया है. खुद पारस ने तमाम इंटरव्यू में इसका जिक्र किया. मगर अब वे खुद दो बड़े पद पर हैं, इसके अलावा वे दलित सेना के भी अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- पथराव से बचने के लिए उन्नाव पुलिस ने टोकरी-स्टूल को बनाया कवच

किसी ने दावा नहीं किया- सूरजभान

इससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और चुनाव प्रभारी सूरजभान सिंह ने पशुपति पारस के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मेरे पास सिंगर नोमिनेशन आया था. पारस जी के अलावा किसी ने भी दावा नहीं किया, लिहाजा वे ही अब पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे.

संसदीय दल के नेता बने पारस

आपको बता दें कि पिछले रविवार को पशुपति पारस की अगुआई में एलजेपी के पांच सांसदों ने बगावत कर दी. अगले दिन सभी ने मिलकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पशुपति को संसदीय दल के नेता बनाने के लिए पत्र सौंपा. जिसके बाद स्पीकर ने उन्हें मान्यता दे दी.

कौन हैं पारस के समर्थक ?

चिराग से अलग होने वालों में चाचा पशुपति पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज के अलावा चंदन कुमार सिंह, वीणा देवी और सांसद महबूब अली कैसर शामिल हैं. इसके अलावा पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, प्रवक्ता रहे श्रवण कुमार और दलित सेना के कई बड़े नेता पारस के साथ हैं.

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कौन हैं पशुपति पारस ?

पशुपति पारस हाजीपुर से एलजेपी के टिकट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बने हैं. 64 वर्षीय पारस इससे पहले बिहार सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वे एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत पार्टी में कई अहम पदों पर रह चुके हैं.

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