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गोद लेने के संबंध में व्यापक कानून लाए जाने की जरूरत : संसदीय समिति - बच्चा गोद लेने का कानून

देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया (Child adoption process in India) को लेकर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. संसदीय समिति ने इस संबंध में व्यापक कानून लाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है. जानिए रिपोर्ट में किस बात पर जोर दिया गया है.

Parliamentary Panel
गोद लेने की प्रक्रिया
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Published : Aug 9, 2022, 4:32 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 5:22 PM IST

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने कहा है कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून (एचएएमए) और किशोर न्याय (जेजे) कानून में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून लाए जाने की आवश्यकता है जो अधिक पारदर्शी, जवाबदेह, नौकरशाही के कम हस्तक्षेप वाला और सभी धर्मों के लोगों पर लागू हो.

समिति ने कहा कि ऐसा होने पर गोद लिए जाने की प्रक्रिया आसान और कम बोझिल हो सकेगी. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी समिति की यह रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई. भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी इस समिति के अध्यक्ष हैं. समिति ने 'गोद लेने और बच्चों के संरक्षण से जुड़े कानूनों की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून और किशोर न्याय कानून में अपनी-अपनी खूबियां और कमियां हैं.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एचएएमए के तहत गोद लेने की प्रक्रिया सरल है और कम समय लेने वाली है जबकि जेजे कानून के तहत यह पारदर्शी, जवाबदेह और प्रमाण योग्य है. उसने कहा कि गोद लेने के बारे में एक व्यापक कानून के लिए दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है, जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह, प्रमाण योग्य और सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान करे.

हालांकि, समिति ने यह भी कहा कि किशोर न्याय कानून के तहत बनाए गए नियम में ऐसी प्रक्रिया है जिसमें काफी समय लगता है. समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि उसका मानना है कि दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून बनाने की जरूरत है जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह व प्रमाण योग्य बनाए तथा सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान बनाए.

पढ़ें- देश में बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन', इसे सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता: SC

पढ़ें- अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण को आसान बनाने के लिए नये नियम

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने कहा है कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून (एचएएमए) और किशोर न्याय (जेजे) कानून में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून लाए जाने की आवश्यकता है जो अधिक पारदर्शी, जवाबदेह, नौकरशाही के कम हस्तक्षेप वाला और सभी धर्मों के लोगों पर लागू हो.

समिति ने कहा कि ऐसा होने पर गोद लिए जाने की प्रक्रिया आसान और कम बोझिल हो सकेगी. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी समिति की यह रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई. भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी इस समिति के अध्यक्ष हैं. समिति ने 'गोद लेने और बच्चों के संरक्षण से जुड़े कानूनों की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण कानून और किशोर न्याय कानून में अपनी-अपनी खूबियां और कमियां हैं.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एचएएमए के तहत गोद लेने की प्रक्रिया सरल है और कम समय लेने वाली है जबकि जेजे कानून के तहत यह पारदर्शी, जवाबदेह और प्रमाण योग्य है. उसने कहा कि गोद लेने के बारे में एक व्यापक कानून के लिए दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है, जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह, प्रमाण योग्य और सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान करे.

हालांकि, समिति ने यह भी कहा कि किशोर न्याय कानून के तहत बनाए गए नियम में ऐसी प्रक्रिया है जिसमें काफी समय लगता है. समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि उसका मानना है कि दोनों कानूनों में तालमेल जरूरी है तथा गोद लिए जाने के संबंध में एक व्यापक कानून बनाने की जरूरत है जो गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, जवाबदेह व प्रमाण योग्य बनाए तथा सभी धर्मों के लिए समान रूप से आसान बनाए.

पढ़ें- देश में बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया 'बहुत कठिन', इसे सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता: SC

पढ़ें- अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण को आसान बनाने के लिए नये नियम

Last Updated : Aug 9, 2022, 5:22 PM IST
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