नई दिल्ली : संसद की एक समिति (parliamentary committee) ने आपातकालीन महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के तहत आवंटित निधि के पूर्ण उपयोग नहीं होने को लेकर स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) की दलील से असहमति व्यक्त की और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से भविष्य में किसी स्वास्थ्य आपदा घटना से निपटने के लिए पेशेवर खोज और परिचालन दक्षता बढ़ाने की सिफारिश की.
संसद के शीतकालीन सत्र में आठ दिसंबर को पेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट (Report of the Standing Committee on Health and Family Welfare) के अनुसार, समिति आपातकालीन महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के तहत आवंटित निधि के पूर्ण उपयोग नहीं होने को लेकर डीएचआर की दलील से सहमत नहीं है.
इसमें कहा गया है कि जांच की रिपोर्ट देरी से प्रदान करने और अस्पताल के द्वारों एवं गलियारों पर मरीजों की लंबी प्रतीक्षा के परिणामस्वरूप महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पांच लाख से अधिक लोगों की मौत महामारी के कुप्रबंधन को प्रदर्शित करने के तथ्य का प्रमाण है, जब सारी सरकारी मशीनरी ठप होने के कगार पर पहुंच गई थी.
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, समिति अप्रत्याशित और अभूतपूर्व वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों में अपनी प्रत्याशित क्षमता के संबंध में डीएचआर की सीमा को समझती है, हालांकि वह भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य घटना से निपटने के लिए आईसीएमआर से अपनी पेशेवर खोज और परिचालन दक्षता बढ़ाने की सिफारिश करती है.
समिति ने आईसीएमआर से सिफारिश की कि वह सीवेज नमूना परीक्षण आदि को अपनाकर महामारी के संभावित प्रकोप के पूर्वानुमान के लिए गहन शोध/अध्ययन करने की परियोजना शुरू करे. वहीं, सरकार ने की गई कार्रवाई के बारे में समिति को बताया कि कई राज्यों और कार्यालयों (निजी एवं सरकारी संगठन) ने अंतरराज्यीय यात्रा या कार्यालय में उपस्थित होने के दौरान स्वस्थ व्यक्तियों के परीक्षण की मांग की थी.
उसने कहा कि यह आईसीएमआर और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय कोविड-19 दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं था और इसके परिणामस्वरूप प्रयोगशालाओं पर अनावश्यक रूप से भार पड़ा.
रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि वर्ष 2020-21 में आईसीएमआर को जारी किए गए 1275 करोड़ रुपये में से वास्तविक व्यय 1236 करोड़ रुपये था. इसी प्रकार 2021-22 में 526 करोड़ रुपये की कुल निधि में से आईसीएमआर ने 232.72 करोड़ रुपये खर्च किए.
मंत्रालय ने समिति को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए राशि में लगातार वृद्धि की जा रही है. उसने कहा कि वर्ष 2022-23 के लिए 690 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गई थी जिसमें पीएम-एबीएचआईएम (प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन) योजना के तहत इस वर्ष कोविड-19 के लिए आवंटित 323 करोड़ रुपये शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि आवश्यकता के अनुसार और राष्ट्रीय स्तर पर मिशन प्रारूप में अनुसंधान कार्यक्रमों के विकास के साथ विभाग, वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त बजट मांगेगा. संसदीय समिति ने इस बात को दोहराया कि अगले वर्ष के लिए स्वास्थ्य अनुसंधान हेतु कुल स्वास्थ्य बजट को सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत निर्धारित करना चाहिए.
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(पीटीआई-भाषा)