नई दिल्ली: राज्यसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन में कहा है कि संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं किया जा सकता. विपक्षी दलों के द्वारा इस कदम की आलोचना के बाद अधिकारियों ने सफाई दी कि सत्र के पहले इस तरह के बुलेटिन जारी किया जाना 'नियमित' प्रक्रिया का हिस्सा है. लोकसभा सचिवालय ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि यह एक महज प्रक्रिया है और हर सत्र से पहले इसे जारी किया जाता है. लोकसभा सचिवालय ने कहा कि ऐसे दिशा-निर्देश हर सत्र से पहले जारी किए जाते हैं. पिछले साल 3 अगस्त 2021 को भी संसद परिसर में धरना-प्रदर्शन नहीं करने को लेकर एडवाइजरी जारी की गई थी.
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इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अभी लोकसभा से कोई नया बुलेटिन जारी नहीं किया गया है और इस तरह का बुलेटिन जारी करने की प्रक्रिया लम्बे समय से जारी है. राज्यसभा सचिवालय ने भी कहा है कि इस तरह का बुलेटिन या परिपत्र संसद के प्रत्येक सत्र से पहले आम तौर पर जारी किया जाता है. राज्यसभा सचिवालय ने वर्ष 2013 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के समय जारी ऐसे ही परिपत्र की प्रति साझा करते हुए कहा कि ऐसे परिपत्र कई वर्षों से जारी किये जा रहे हैं. मॉनसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है, 'सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए नहीं कर सकते.'
विपक्ष ने बताया 'तुगलकी फरमान'
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना, हड़ताल और धार्मिक समारोहों की मनाही से जुड़े, राज्यसभा सचिवालय के एक बुलेटिन का विरोध करते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार 'असंसदीय' शब्दों की नई सूची से संसदीय विमर्श पर बुलडोजर चलाने के बाद अब नया 'तुगलकी फरमान' लेकर आई है. कांग्रेस महासचिव एवं राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, 'विषगुरू का ताजा प्रहार...धरना मना है.' उन्होंने इसके साथ 14 जुलाई का बुलेटिन भी साझा किया.
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर सरकार की आलोचना की और कहा कि यह लोकतंत्र की आवाज दबाने का प्रयास है. उन्होंने ट्वीट किया, 'जितनी निकम्मी सरकार, उतनी ही डरपोक. लोकतंत्र का मखौल उड़ाया जा रहा है, इस तरह के तानाशाही आदेश निकाल कर. संसद भवन परिसर में धरना देना सांसदों का एक राजनीतिक अधिकार है, जिसका हनन हो रहा है.'
वहीं, आरजेडी के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने ट्वीट किया, 'बुलेटिन लाकर ये कहा जा रहा है कि संसद के अंदर धरना नहीं दे सकते. ये संसदीय लोकतंत्र को कब्रगाह तक ले जाने की कोशिश हो रही है ...हमारी मांग है कि लोकसभा स्पीकर और चेयरमैन तुरंत इसमें हस्तक्षेप करें.' शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बुलेटिन को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, 'क्या अब वे संसद में पूछे जाने वाले प्रश्नों को लेकर भी ऐसा करेंगे? आशा करती हूं कि यह पूछना असंसदीय प्रश्न नहीं है.'
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एक दिन पहले ही, संसद में बहस आदि के दौरान सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले कुछ शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा था कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब 'असंसदीय' माने जाएंगे.
हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया था कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं. लोकसभा सचिवालय ने 'असंसदीय शब्द 2021' शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिट्ठू जैसे शब्द शामिल हैं.
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