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एक सच्चा कोरोना योद्धा जिसने सगाई समारोह छोड़कर किया शवों का अंतिम संस्कार

गुजरात के पारदी का श्मशान संचालक एक सच्चा कोरोना योद्धा है. क्योंने उन्होंने तीन शवों का अंतिम संस्कार अपने सगाई समारोह के कपड़े पहनकर ही पूरा किया.

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Published : May 4, 2021, 2:02 AM IST

Pardis
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वलसाड : कोविड-19 महामारी के समय में, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुलिसकर्मी, स्वच्छता कार्यकर्ता और यहां तक ​​कि श्मशान में काम करने वाले जैसे लोग कोरोना योद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यहां गौरव पटेल ऐसे ही एक कोरोना योद्धा हैं, जिन्होंने वलसाड के पारदी वैकुंठधाम श्मशान में अपने कर्तव्य को सबसे आगे रखा.

उन्होंने अपनी सगाई की रस्म के दौरान पहने कपड़ों में ही अपनी ड्यूटी पर पहुंचे. सगाई की रस्म के दौरान एक दूल्हे को घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता है. हालांकि ऐसे धार्मिक रीति रिवाजों को टालना मुश्किल होता है लेकिन वलसाड जिले के पारदी में श्मशान का संचालन करने वाले गौरव ने शव का अंतिम संस्कार करने के लिए अपने स्वयं की सगाई समारोह के आयोजन को छोड़ दिया.

वे श्मशान पहुंचे और शवों का अंतिम संस्कार किया. दरअसल, 26 अप्रैल को पारदी में तीन शवों को श्मशान में लाया गया था. श्मशान के गैस से भरे ओवन में कुछ गड़बड़ी थी जिसके कारण प्रबंधक ने मदद के लिए गौरव को संकोचवश बुलाया क्योंकि वह दिन में व्यस्त था और छुट्टी पर था. गौरव ने अनुरोध स्वीकार किया और तुरंत श्मशान की ओर रवाना हो गए.

भले ही उन्होंने अपनी सगाई के औपचारिक कपड़े पहने थे लेकिन ओवन की मरम्मत की और तीनों शवों का अंतिम संस्कार पूरा किया. गौरव के पिता कमलेश भी पलसाना के एक श्मशान में काम करते हैं और शादी के मौसम में भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. वलसाड जिले में कई लोग कोरोनो वायरस से मर रहे हैं. पारदी श्मशान सचिव संजय बारिया ने कहा कि गौरव पिछले तीन साल से श्मशान में काम कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें-दिल्ली हाई कोर्ट का केंद्र से सवाल- कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कस्टम विभाग में अटके हैं

उनके पिता कमलेश भाई भी पिछले 20 वर्षों से पलसाना में श्मशान में काम कर रहे हैं. दोनों अपने कर्तव्य को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और शादी जैसे शुभ अवसर के दौरान भी मृतकों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं. उनके लिए मानवता की सेवा करना परम धर्म है.

वलसाड : कोविड-19 महामारी के समय में, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुलिसकर्मी, स्वच्छता कार्यकर्ता और यहां तक ​​कि श्मशान में काम करने वाले जैसे लोग कोरोना योद्धा की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यहां गौरव पटेल ऐसे ही एक कोरोना योद्धा हैं, जिन्होंने वलसाड के पारदी वैकुंठधाम श्मशान में अपने कर्तव्य को सबसे आगे रखा.

उन्होंने अपनी सगाई की रस्म के दौरान पहने कपड़ों में ही अपनी ड्यूटी पर पहुंचे. सगाई की रस्म के दौरान एक दूल्हे को घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता है. हालांकि ऐसे धार्मिक रीति रिवाजों को टालना मुश्किल होता है लेकिन वलसाड जिले के पारदी में श्मशान का संचालन करने वाले गौरव ने शव का अंतिम संस्कार करने के लिए अपने स्वयं की सगाई समारोह के आयोजन को छोड़ दिया.

वे श्मशान पहुंचे और शवों का अंतिम संस्कार किया. दरअसल, 26 अप्रैल को पारदी में तीन शवों को श्मशान में लाया गया था. श्मशान के गैस से भरे ओवन में कुछ गड़बड़ी थी जिसके कारण प्रबंधक ने मदद के लिए गौरव को संकोचवश बुलाया क्योंकि वह दिन में व्यस्त था और छुट्टी पर था. गौरव ने अनुरोध स्वीकार किया और तुरंत श्मशान की ओर रवाना हो गए.

भले ही उन्होंने अपनी सगाई के औपचारिक कपड़े पहने थे लेकिन ओवन की मरम्मत की और तीनों शवों का अंतिम संस्कार पूरा किया. गौरव के पिता कमलेश भी पलसाना के एक श्मशान में काम करते हैं और शादी के मौसम में भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. वलसाड जिले में कई लोग कोरोनो वायरस से मर रहे हैं. पारदी श्मशान सचिव संजय बारिया ने कहा कि गौरव पिछले तीन साल से श्मशान में काम कर रहे हैं.

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उनके पिता कमलेश भाई भी पिछले 20 वर्षों से पलसाना में श्मशान में काम कर रहे हैं. दोनों अपने कर्तव्य को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और शादी जैसे शुभ अवसर के दौरान भी मृतकों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं. उनके लिए मानवता की सेवा करना परम धर्म है.

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