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Jharkhand Political Crisis, झारखंड में आ सकता है कल्पना राज, जानिए राह में हैं कितने रोड़े

Jharkhand Political Crisis के बीच कयासों का दौर तेज है. क्या होगा हेमंत का भविष्य, हेमंत के बाद कौन होगा सीएम. अगले सीएम के नाम पर हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम की जोरदार चर्चा है, लेकिन उनके लिए सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की राह आसान नहीं है, जानिए कल्पना की राह में कितने रोड़े हैं

Hemant wife Kalpana Soren
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Published : Aug 26, 2022, 5:06 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (CM Hemant Soren Office of Profit Case) में चुनाव आयोग की रिपोर्ट राजभवन पहुंचने के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. राजभवन और सीएम आवास में गतिविधियां तेज हो गईं हैं. राजभवन के बाहर पत्रकारों का जमावड़ा लग रहा है. वहीं सीएम आवास पर मंत्री विधायकों की आवाजाही के साथ-साथ आवास के बाहर राज्य के बड़े-बड़े पत्रकारों ने डेरा डाल दिया है. अंदर और बाहर दोनों जगहों पर संभावनाओं को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

ये भी पढ़ें- हेमंत नहीं तो कौन, चुनाव आयोग की रिपोर्ट के बाद राजनीतिक विकल्पों पर चर्चा तेज

राज्य का भविष्य क्या होगा. राज्य को कोई नया सीएम मिलेगा या हेमंत ही बने रहेंगे. यह तो राज्यपाल के फैसले पर निर्भर करेगा. लेकिन अगर हेमंत को सीएम पद छोड़ना पड़ता है तब वैसी परिस्थिति में क्या होगा? कौन राज्य की बागडोर संभालेगा. इसमें कई नामों की चर्चा हो रही है. जिसमें हेमंत के पिता शिबू सोरेन, माता रूपी सोरेन और पत्नी कल्पना सोरेन (Hemant wife Kalpana Soren) के नाम की चर्चा है. सबसे अधिक चर्चा कल्पना सोरेन की ही है. लेकिन सवाल यह है कि कल्पना सोरेन का सीएम बनना क्या इतना आसान है. इसका जवाब राजनीतिक पंडित ना में दे रहे हैं. उनका कहना है कि कल्पना के सीएम बनने की राह में कई रोड़े हैं.

विधायक बनना: अगर कल्पना सोरेन सीएम बनती है, तो उन्हें 6 महीने के अंदर में विधानसभा का सदस्य बनना होगा. हेमंत सोरेन की अयोग्यता से जो सीट खाली हो सकती है, वह रिजर्व सीट है. कल्पना ओडिशा की मूल निवासी हैं, इसलिए उनके बहरहेट जैसी रिजर्व सीट से चुनाव लड़ने में कई पेंच फंस सकते हैं. बरहेट के अलावा किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ेंगे तो किसी विधायक को इस्तीफा देना पड़ेगा, जो मुश्किल लग रहा है. क्योंकि जेएमएम सुप्रीम शिबू सोरेन 20 अगस्त 2008 को जब दूसरी बार सीएम बने थे तब वो भी विधायक नहीं थे. उनके लिए जेएमएम के किसी विधायक ने सीट छोड़ने की पेशकश नहीं की. लिहाजा उन्हें रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद खाली हुई सीट तमाड़ से चुनाव लड़ना पड़ा जहां से राजा पीटर ने उन्हें पटखनी दे दी और वो चुनाव हार गए और सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह का एक और मौका आया 2009 में जब 30 दिसंबर को उन्होंने फिर से तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली. इस बार भी वो झारखंड विधानसभा के सदस्य नहीं थे. 30 दिसंबर 2009 से लेकर 30 मई 2010 तक जेएमएम के किसी विधायक ने उनके लिए सीट छोड़ने की पेशकश नहीं की.

परिवार में विवाद: झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार का दबदबा रहा है. शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं और हेमंत सोरेन दो बार. फिलहाल हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री है, उनके पिता जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन राज्यसभा सदस्य है. वहीं हेमंत सोरेन के छोटे भाई दुमका से विधायक है और उनकी भाभी भी जामा से विधायक हैं. मतलब पूरा परिवार राजनीति में रूचि रखता है, ऐसे में कल्पना सोरेन के सीएम बनाए जाने से परिवार में विवाद हो सकता है, ऐसा हो सकता है कि सीता सोरेन समेत परिवार के कई सदस्यों को यह फैसला रास न आए. क्योंकि सोरेन परिवार के सभी सदस्यों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. सीता सोरेन और उनकी बेटियों की महत्वाकांक्षा गाहे बगाहे सामने आती भी रही है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में रिपीट हो सकती है बिहार के 1997 जैसी घटना, राबड़ी की तरह कल्पना भी बन सकती हैं सीएम

पार्टी में विवाद: वैसे तो झारखंड मुक्ति मोर्चा पर सोरेन परिवार का ही दबदबा है. शिबू सोरेन पार्टी के अध्यक्ष हैं और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ कार्यकारी अध्यक्ष भी है. वहीं बसंत सोरेन के हाथों में पार्टी के युवा मोर्चा की कमान. लेकिन पार्टी के अंदर जितनी स्वीकार्यता शिबू सोरेन की है, उतने अभी हेमंत नहीं बना पाए हैं. ऐसे में अगर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की सीएम बनाते हैं तो पार्टी के अंदर सालों से काम करने वाले बड़े बड़े नेताओं को शायद यह बात न पचे. क्योंकि लोबिन हेंब्रम, चंपई सोरेन, स्टीफन मरांडी जैसे बुजुर्ग नेता सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.

गठबंधन में विवाद: झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार है, इसमें जेएमएम और कांग्रेस के साथ आरजेडी भी पार्टनर है. अगर हेमंत सोरेन कल्पना सोरेन को झारखंड का सीएम बनाने का प्रस्ताव अपने सहयोगियों के सामने रखते हैं, तो उनका रिएक्शन होगा. क्या कांग्रेस कल्पना सोरेन को एक्सेप्ट कर पाएगी. क्योंकि इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस के कई विधायक इसके लिए शायद तैयार ना हों.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (CM Hemant Soren Office of Profit Case) में चुनाव आयोग की रिपोर्ट राजभवन पहुंचने के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. राजभवन और सीएम आवास में गतिविधियां तेज हो गईं हैं. राजभवन के बाहर पत्रकारों का जमावड़ा लग रहा है. वहीं सीएम आवास पर मंत्री विधायकों की आवाजाही के साथ-साथ आवास के बाहर राज्य के बड़े-बड़े पत्रकारों ने डेरा डाल दिया है. अंदर और बाहर दोनों जगहों पर संभावनाओं को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

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राज्य का भविष्य क्या होगा. राज्य को कोई नया सीएम मिलेगा या हेमंत ही बने रहेंगे. यह तो राज्यपाल के फैसले पर निर्भर करेगा. लेकिन अगर हेमंत को सीएम पद छोड़ना पड़ता है तब वैसी परिस्थिति में क्या होगा? कौन राज्य की बागडोर संभालेगा. इसमें कई नामों की चर्चा हो रही है. जिसमें हेमंत के पिता शिबू सोरेन, माता रूपी सोरेन और पत्नी कल्पना सोरेन (Hemant wife Kalpana Soren) के नाम की चर्चा है. सबसे अधिक चर्चा कल्पना सोरेन की ही है. लेकिन सवाल यह है कि कल्पना सोरेन का सीएम बनना क्या इतना आसान है. इसका जवाब राजनीतिक पंडित ना में दे रहे हैं. उनका कहना है कि कल्पना के सीएम बनने की राह में कई रोड़े हैं.

विधायक बनना: अगर कल्पना सोरेन सीएम बनती है, तो उन्हें 6 महीने के अंदर में विधानसभा का सदस्य बनना होगा. हेमंत सोरेन की अयोग्यता से जो सीट खाली हो सकती है, वह रिजर्व सीट है. कल्पना ओडिशा की मूल निवासी हैं, इसलिए उनके बहरहेट जैसी रिजर्व सीट से चुनाव लड़ने में कई पेंच फंस सकते हैं. बरहेट के अलावा किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ेंगे तो किसी विधायक को इस्तीफा देना पड़ेगा, जो मुश्किल लग रहा है. क्योंकि जेएमएम सुप्रीम शिबू सोरेन 20 अगस्त 2008 को जब दूसरी बार सीएम बने थे तब वो भी विधायक नहीं थे. उनके लिए जेएमएम के किसी विधायक ने सीट छोड़ने की पेशकश नहीं की. लिहाजा उन्हें रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद खाली हुई सीट तमाड़ से चुनाव लड़ना पड़ा जहां से राजा पीटर ने उन्हें पटखनी दे दी और वो चुनाव हार गए और सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह का एक और मौका आया 2009 में जब 30 दिसंबर को उन्होंने फिर से तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली. इस बार भी वो झारखंड विधानसभा के सदस्य नहीं थे. 30 दिसंबर 2009 से लेकर 30 मई 2010 तक जेएमएम के किसी विधायक ने उनके लिए सीट छोड़ने की पेशकश नहीं की.

परिवार में विवाद: झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार का दबदबा रहा है. शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं और हेमंत सोरेन दो बार. फिलहाल हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री है, उनके पिता जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन राज्यसभा सदस्य है. वहीं हेमंत सोरेन के छोटे भाई दुमका से विधायक है और उनकी भाभी भी जामा से विधायक हैं. मतलब पूरा परिवार राजनीति में रूचि रखता है, ऐसे में कल्पना सोरेन के सीएम बनाए जाने से परिवार में विवाद हो सकता है, ऐसा हो सकता है कि सीता सोरेन समेत परिवार के कई सदस्यों को यह फैसला रास न आए. क्योंकि सोरेन परिवार के सभी सदस्यों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. सीता सोरेन और उनकी बेटियों की महत्वाकांक्षा गाहे बगाहे सामने आती भी रही है.

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पार्टी में विवाद: वैसे तो झारखंड मुक्ति मोर्चा पर सोरेन परिवार का ही दबदबा है. शिबू सोरेन पार्टी के अध्यक्ष हैं और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ कार्यकारी अध्यक्ष भी है. वहीं बसंत सोरेन के हाथों में पार्टी के युवा मोर्चा की कमान. लेकिन पार्टी के अंदर जितनी स्वीकार्यता शिबू सोरेन की है, उतने अभी हेमंत नहीं बना पाए हैं. ऐसे में अगर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की सीएम बनाते हैं तो पार्टी के अंदर सालों से काम करने वाले बड़े बड़े नेताओं को शायद यह बात न पचे. क्योंकि लोबिन हेंब्रम, चंपई सोरेन, स्टीफन मरांडी जैसे बुजुर्ग नेता सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं.

गठबंधन में विवाद: झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार है, इसमें जेएमएम और कांग्रेस के साथ आरजेडी भी पार्टनर है. अगर हेमंत सोरेन कल्पना सोरेन को झारखंड का सीएम बनाने का प्रस्ताव अपने सहयोगियों के सामने रखते हैं, तो उनका रिएक्शन होगा. क्या कांग्रेस कल्पना सोरेन को एक्सेप्ट कर पाएगी. क्योंकि इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस के कई विधायक इसके लिए शायद तैयार ना हों.

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