आगरा : आपने सांसद और विधायकों की सिफारिश से लोगों के काम आसानी होते खूब सुने और देखे भी होंगे, मगर आगरा में एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसमें सांसदों और विधायकों के सिफारिश करने से एक महिला की सरकारी नौकरी ही चली गई. जी हां, यह सच है. आगरा रेल मंडल में तैनात के एक महिला कर्मचारी को रेलवे ने इसलिए नौकरी से निकाल दिया है कि महिला रेलकर्मी ने फील्ड जॉब के बजाय ऑफिस जॉब के लिए जनप्रतिनिधियों से सिफारिश कराई थी. जिसे रेलवे ने रेलसेवा आचरण नियमावली के तहत गलत माना है. इस बारे में आगरा मंडल रेल पीआरओ प्रशस्त्रि श्रीवास्तव ने बताया कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर पूजा कुमारी को तत्काल प्रभाव से रेल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.
मामला उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल का है. आगरा रेल मंडल के ट्रैक्शन डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट (टीआरडी) में रेलकर्मी पूजा कुमारी हेल्पर के पद पर 10 साल से कार्यरत थीं. जो फील्ड जॉब है. रेलकर्मी पूजा कुमारी ने फील्ड जॉब करने में दिक्कत आने पर अपना विभाग बदलवाने के लिए प्रार्थना पत्र वरिष्ठ अधिकारियों को दिया. उनके प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं हुई. इस पर पूजा कुमारी ने आम लोगों की तरह परिचित के माध्यम से जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया. जनप्रतिनिधियों से अपनी फील्ड जॉब की नौकरी से ऑफिस जॉब के लिए सिफारिश लगवाई. जिसके तहत जनप्रतिनिधियों ने पूजा कुमारी की सिफारिश में रेल अधिकारियों को कई बार कॉल किए. सिफारिशी पत्र भी भेजे.
रेलसेवा आचरण का उल्लंघन पर किया बर्खास्त : रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेल सेवा आचरण नियम के तहत कोई भी रेलकर्मी सेवा से संबंधित मामलों में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए किसी प्राधिकारी पर राजनीतिक या अन्य प्रभाव डालने का प्रयास नहीं करेगा. रेलवे बोर्ड ने रेल सेवा (अनुशासन और अपील) नियम 1968 के तहत रेल सेवा नियमों का उल्लंघन करने पर रेलकर्मी पूजा कुमारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है.
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