लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पिछले साढ़े छह साल में विकास के नाम पर केंद्र से आई परियोजनाओं में ही काम हुआ है. लखनऊ के रुके विकास को लेकर इन दिनों लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की पुण्य तिथि के मौके पर उनकी याद जरूर आ रही है. पूर्व प्रधानमंत्री के समय में ही लखनऊ में विकास की बड़ी यात्रा शुरू हुई थी जो कि अब कुछ रुकी सी नजर आ रही है.
बात पिछले साढ़े साल की हो तो राज्य सरकार ने अपनी योजनाओं के जरिए लखनऊ को अब तक कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं दिया है. मेट्रो का दूसरा रूप भी सपना बन चुका है. कोई नया बड़ा पार्क, इसके अलावा कोई भी नई परियोजना आकार नहीं ले सकी है. खास बात यह है कि पुरानी परियोजनाएं ठप हैं. अब तो विपक्ष और सामाजिक संगठन भी इस बात पर आवाज उठाने लगे हैं कि लखनऊ का बड़ा विकास नहीं किया जा रहा.
लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे का कहना है कि निश्चित तौर पर लखनऊ के विकास पर कम ध्यान दिया जा रहा. पुराने लखनऊ के लिए मेट्रो परियोजना बहुत बड़ी जरूरत है. इसके साथ ही कम से कम तीन नए रूटों पर मेट्रो चलाए जाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही कोई नया पर की सरकार ने बनवाया नहीं है. लखनऊ के विकास पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यह राज्य की राजधानी है.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि लखनऊ में मोहन रोड परियोजना निकट भविष्य में शुरू हो जाएगी. राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल पर भी काम बहुत तेजी से चल रहा है. ऐसे ही शहर में कुछ अन्य नए पार्क बनाए जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अवनीश त्यागी ने बताया कि बसपा और सपा की सरकार में लखनऊ में जो विकास हुए उनके भ्रष्टाचार की जांच अभी भी जारी है. हमारी सरकार का विकास केवल लखनऊ तक सीमित नहीं है. पूरा उत्तर प्रदेश और भारत देख रहा है कि हम किस तरह का विकास कर रहे हैं.
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