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बिलासपुर की निधि तिवारी बनी लावारिस जानवरों के लिए मसीहा

animal lover Nidhi Tiwari: बिलासपुर के कुदुदंड में रहने वाली निधि तिवारी लावारिस और बीमार जानवरों की देखभाल और सेवा को अपना धर्म मानती हैं. निधि लावारिस जानवरों को अपने घर लाकर न सिर्फ इलाज कराती हैं, बल्कि उनके रहने खाने से लेकर उनकी सेवा भी करती हैं. निधि के पास ऐसे भी जानवर हैं, जिन्हें उनके मालिकों ने बीमार या उम्रदराज होने पर छोड़ दिया है. निधि जानवरों की सेवा ऐसे करती हैं, जैसे कोई मां अपने बीमार बच्चों की सेवा करती है.messiah for abandoned animals

निधि तिवारी बनी लावारिस जानवरों के लिए मसीहा
निधि तिवारी बनी लावारिस जानवरों के लिए मसीहा
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Published : Sep 24, 2022, 10:56 PM IST

बिलासपुर: शहरों में अक्सर आपने देखा होगा कि कई लावारिस जानवर बीमार और दुर्घटना में जख्मी हालत में पड़े रहते हैं. ऐसे जानवर इसी हालात में वहीं पड़े पड़े मर भी जाते हैं. इनके मरने पर किसी को रत्ती भर फर्क भी नहीं पड़ता. ऐसे जानवरो की चिंता करने का किसी के पास समय नहीं है. लेकिन बिलासपुर की निधि तिवारी जानवरों की मसीहा बनकर सामने आईं हैं. निधि ने लावारिस जानवरों की रक्षा करने के साथ उन्हें अच्छा जीवन देने का बीड़ा उठाया है. बिलासपुर के कुदुदंड शिव चौक में रहने वाली निधि तिवारी ने अपने खर्च से जानवरों के लिए घर में रहने की व्यवस्था की है. Nidhi Tiwari messiah for abandoned animals

बिलासपुर की निधि तिवारी बनी लावारिस जानवरों के लिए मसीहा

मेनका गांधी की मदद से भी कई जानवरों का हो सका रेस्क्यू: निधि तिवारी ने बताया कि ''अक्सर बीमार और घायल जानवरों की सूचना आम लोग देते हैं. सूचना पाकर जाकर जानवर का रेस्क्यू कर उन्हें अपने घर लाती हूं. कई बार ऐसी जानकारी भी मिली है, जिसमें जानवर का रेस्क्यू करने के लिए पुलिस और वन विभाग की जरूरत पढ़ती है, तब उनसे सहायता लेती हूं. कुछ मामलों को याद करते हुए निधि ने बताया कि एक मंदिर में छोटे से बकरे की बलि दी जा रही थी, तब इसे रोकने उन्हें पुलिस की जरूरत पड़ी. इस मामले में पुलिस ने भी उनकी सहायता नहीं की, तब उन्होंने मेनका गांधी को फोन कर बताया. इसके बाद पुलिस ने उनकी सहायता कर बलि दिए जा रहे बकरे को छुड़वाया था. इसी तरह कुत्ते को बांधकर मारने के मामले में भी मेनका गांधी की सहायता मिली थी.

अपने खर्च पर लावारिस जानवर का इलाज: लावारिस जानवर अकसर सड़कों पर दुर्घटना और बीमार स्थिति में पड़े मिलते हैं. उन्हें लाकर निधि खुद के खर्च से इलाज कराती हैं. निधि ने बताया कि, '' कई बार जानवरों की स्थिति इतनी खराब रहती है कि उन्हें ठीक करने में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं. कई जानवरों के इलाज में तो 25 से 30 हजार रुपए तक खर्च किए हैं.'' निधि का कहना है कि इंस्टाग्राम पेज पर एक लाख से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. वह कभी कभी छोटी मोटी रकम उसे देते हैं, जिससे भी काफी मदद मिलती है. महीने में लगभग डेढ़ से 2 लाख रुपए जानवरों की सेवा और इलाज में खर्च होते हैं. निधि की गांव में खेती की जमीन है. वह संपन्न किसान परिवार से है. खेती से मिलने वाले पैसे से वह जानवरों का इलाज कराती है.

Viral Video : नगर निगम की टीम से बचने के लिए पहली मंजली से नीचे कूदी गाय, मौत

परिवार वाले भी अपने बच्चों की तरह करते हैं सेवा: निधि का परिवार खेती किसानी करने वाले संपन्न किसानों में शामिल है. परिवार में माता पिता और भाई हैं. निधि घर में छोटी है. सभी घरवाले उसे काफी दुलार करते हैं. यही वजह है कि उसके रेस्क्यू किए जानवर को घर में जब वह रखती है तो उसे देखरेख करते हुए परिवार वालों का मन भी पसीज जाता है. वह उसके बीमार जानवरों की सेवा में खुद भी लग जाते हैं. निधि के पिता और भाई रोजाना ही घर में रखे जानवरों के खाने की व्यवस्था खुद करते हैं.

अलग अलग जानवरों के पसंद का आहार और फल खिलाते हैं: घर और फार्म में रखे अलग अलग जानवरों को अलग अलग चीजें खाने में पसंद है. बंदरों को अलग अलग तरह के फल पसंद हैं. उनके पसंद के हिसाब से ही भाई और पिता बंदरों के खाने की व्यवस्था करते हैं. इसके अलावा कुत्तों को पेडिग्री और अन्य खाद्य पदार्थ खिलाया जाता है. बकरे के पत्ते और भूसी, इसके अलावा गधे के लिए भूसी लाते हैं. परिवार वाले निधि का साथ देते हैं. वह जिस तरह से निधि को दुलार करते हैं, उसी तरह से उसके लाए हुए जानवरों को भी दुलार करते हैं. निधि का घर तीन मंजिला है. तीनों मंजिल में कोई ना कोई जानवर उसके घर में है. इसके अलावा बड़ी संख्या में जानवर उसके फार्म में हैं.

जानवरों की सेवा अपने बच्चों की तरह करें: निधि ने बताया कि, '' मेरी दादी जब जिंदा थी तो उसने कहानी सुनाई थी कि जब भगवान ने इंसान और जानवरों को बनाया तो सोचा कि किसे क्या दिया जाए. सब जानवरों ने कहा कि हाथ और दिमाग इंसानों को दे दिया जाए क्योंकि जब इनके पास हाथ और दिमाग होंगे तो यह हमारी रक्षा और सेवा करेंगे. दादी की यह बात मन में घर कर गई है.'' निधि जानवरों को इंसान के बराबर मानती हैं. जब कोई उन्हें प्रताड़ित करता है तो उसे अच्छा नहीं लगता. निधि तिवारी ने आम जनता से अपील की है कि जिस तरह लोग अपने परिवार के बच्चों की देखरेख करते हैं, उसी तरह इन जानवरों की भी सेवा करनी चाहिए.

बिलासपुर: शहरों में अक्सर आपने देखा होगा कि कई लावारिस जानवर बीमार और दुर्घटना में जख्मी हालत में पड़े रहते हैं. ऐसे जानवर इसी हालात में वहीं पड़े पड़े मर भी जाते हैं. इनके मरने पर किसी को रत्ती भर फर्क भी नहीं पड़ता. ऐसे जानवरो की चिंता करने का किसी के पास समय नहीं है. लेकिन बिलासपुर की निधि तिवारी जानवरों की मसीहा बनकर सामने आईं हैं. निधि ने लावारिस जानवरों की रक्षा करने के साथ उन्हें अच्छा जीवन देने का बीड़ा उठाया है. बिलासपुर के कुदुदंड शिव चौक में रहने वाली निधि तिवारी ने अपने खर्च से जानवरों के लिए घर में रहने की व्यवस्था की है. Nidhi Tiwari messiah for abandoned animals

बिलासपुर की निधि तिवारी बनी लावारिस जानवरों के लिए मसीहा

मेनका गांधी की मदद से भी कई जानवरों का हो सका रेस्क्यू: निधि तिवारी ने बताया कि ''अक्सर बीमार और घायल जानवरों की सूचना आम लोग देते हैं. सूचना पाकर जाकर जानवर का रेस्क्यू कर उन्हें अपने घर लाती हूं. कई बार ऐसी जानकारी भी मिली है, जिसमें जानवर का रेस्क्यू करने के लिए पुलिस और वन विभाग की जरूरत पढ़ती है, तब उनसे सहायता लेती हूं. कुछ मामलों को याद करते हुए निधि ने बताया कि एक मंदिर में छोटे से बकरे की बलि दी जा रही थी, तब इसे रोकने उन्हें पुलिस की जरूरत पड़ी. इस मामले में पुलिस ने भी उनकी सहायता नहीं की, तब उन्होंने मेनका गांधी को फोन कर बताया. इसके बाद पुलिस ने उनकी सहायता कर बलि दिए जा रहे बकरे को छुड़वाया था. इसी तरह कुत्ते को बांधकर मारने के मामले में भी मेनका गांधी की सहायता मिली थी.

अपने खर्च पर लावारिस जानवर का इलाज: लावारिस जानवर अकसर सड़कों पर दुर्घटना और बीमार स्थिति में पड़े मिलते हैं. उन्हें लाकर निधि खुद के खर्च से इलाज कराती हैं. निधि ने बताया कि, '' कई बार जानवरों की स्थिति इतनी खराब रहती है कि उन्हें ठीक करने में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं. कई जानवरों के इलाज में तो 25 से 30 हजार रुपए तक खर्च किए हैं.'' निधि का कहना है कि इंस्टाग्राम पेज पर एक लाख से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. वह कभी कभी छोटी मोटी रकम उसे देते हैं, जिससे भी काफी मदद मिलती है. महीने में लगभग डेढ़ से 2 लाख रुपए जानवरों की सेवा और इलाज में खर्च होते हैं. निधि की गांव में खेती की जमीन है. वह संपन्न किसान परिवार से है. खेती से मिलने वाले पैसे से वह जानवरों का इलाज कराती है.

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परिवार वाले भी अपने बच्चों की तरह करते हैं सेवा: निधि का परिवार खेती किसानी करने वाले संपन्न किसानों में शामिल है. परिवार में माता पिता और भाई हैं. निधि घर में छोटी है. सभी घरवाले उसे काफी दुलार करते हैं. यही वजह है कि उसके रेस्क्यू किए जानवर को घर में जब वह रखती है तो उसे देखरेख करते हुए परिवार वालों का मन भी पसीज जाता है. वह उसके बीमार जानवरों की सेवा में खुद भी लग जाते हैं. निधि के पिता और भाई रोजाना ही घर में रखे जानवरों के खाने की व्यवस्था खुद करते हैं.

अलग अलग जानवरों के पसंद का आहार और फल खिलाते हैं: घर और फार्म में रखे अलग अलग जानवरों को अलग अलग चीजें खाने में पसंद है. बंदरों को अलग अलग तरह के फल पसंद हैं. उनके पसंद के हिसाब से ही भाई और पिता बंदरों के खाने की व्यवस्था करते हैं. इसके अलावा कुत्तों को पेडिग्री और अन्य खाद्य पदार्थ खिलाया जाता है. बकरे के पत्ते और भूसी, इसके अलावा गधे के लिए भूसी लाते हैं. परिवार वाले निधि का साथ देते हैं. वह जिस तरह से निधि को दुलार करते हैं, उसी तरह से उसके लाए हुए जानवरों को भी दुलार करते हैं. निधि का घर तीन मंजिला है. तीनों मंजिल में कोई ना कोई जानवर उसके घर में है. इसके अलावा बड़ी संख्या में जानवर उसके फार्म में हैं.

जानवरों की सेवा अपने बच्चों की तरह करें: निधि ने बताया कि, '' मेरी दादी जब जिंदा थी तो उसने कहानी सुनाई थी कि जब भगवान ने इंसान और जानवरों को बनाया तो सोचा कि किसे क्या दिया जाए. सब जानवरों ने कहा कि हाथ और दिमाग इंसानों को दे दिया जाए क्योंकि जब इनके पास हाथ और दिमाग होंगे तो यह हमारी रक्षा और सेवा करेंगे. दादी की यह बात मन में घर कर गई है.'' निधि जानवरों को इंसान के बराबर मानती हैं. जब कोई उन्हें प्रताड़ित करता है तो उसे अच्छा नहीं लगता. निधि तिवारी ने आम जनता से अपील की है कि जिस तरह लोग अपने परिवार के बच्चों की देखरेख करते हैं, उसी तरह इन जानवरों की भी सेवा करनी चाहिए.

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