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इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम काेर्ट में चुनौती, एनसीबी की हुई खिंचाई

सुप्रीम काेर्ट ने एक मामले में लापरवाही बरतने पर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की बुधवार को खिंचाई की. चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती (Allahabad HC order) दी गई थी.

उच्चतम
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Published : Jun 30, 2021, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने एक मामले में लापरवाही बरतने पर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की बुधवार को खिंचाई की और मादक पदार्थ मामले में एक आरोपी को जमानत देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि यदि आप (अभियोजन) इतने लापरवाह हैं, तो हम इस मामले में शामिल क्यों दिखें.

भाटी ने पीठ को बताया कि यह अभियोजन पक्ष की गलती थी कि उसने उच्च न्यायालय को उस आरोपी के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दी थी, जिसे जमानत दी गई है. हालांकि आरोपी को रिहा नहीं किया गया था क्योंकि वह एक अन्य मामले में हिरासत में है. पीठ ने कहा कि यदि आपकी सरकार मामलों का बचाव करने में पर्याप्त ईमानदार नहीं है, तो हम आपकी सहायता नहीं कर सकते.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया है कि प्रतिवादी को पहले ही 10 नवंबर, 2020 के आदेश के तहत उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गई है, लेकिन उसे रिहा नहीं किया गया है क्योंकि वह किसी अन्य मामले में भी हिरासत में है.

इसे भी पढ़ें : परीक्षा के दौरान मौत पर आंध्र सरकार होगी जिम्मेदार : सुप्रीम कोर्ट

उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में पारित अपने आदेश में आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह लगभग 21 महीने से जेल में है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. मामले में प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया गया है कि आरोपी की कार से 20 किलोग्राम चरस बरामद की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने एक मामले में लापरवाही बरतने पर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की बुधवार को खिंचाई की और मादक पदार्थ मामले में एक आरोपी को जमानत देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि यदि आप (अभियोजन) इतने लापरवाह हैं, तो हम इस मामले में शामिल क्यों दिखें.

भाटी ने पीठ को बताया कि यह अभियोजन पक्ष की गलती थी कि उसने उच्च न्यायालय को उस आरोपी के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दी थी, जिसे जमानत दी गई है. हालांकि आरोपी को रिहा नहीं किया गया था क्योंकि वह एक अन्य मामले में हिरासत में है. पीठ ने कहा कि यदि आपकी सरकार मामलों का बचाव करने में पर्याप्त ईमानदार नहीं है, तो हम आपकी सहायता नहीं कर सकते.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया है कि प्रतिवादी को पहले ही 10 नवंबर, 2020 के आदेश के तहत उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गई है, लेकिन उसे रिहा नहीं किया गया है क्योंकि वह किसी अन्य मामले में भी हिरासत में है.

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उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में पारित अपने आदेश में आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि वह लगभग 21 महीने से जेल में है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. मामले में प्राथमिकी दर्ज कर आरोप लगाया गया है कि आरोपी की कार से 20 किलोग्राम चरस बरामद की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

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