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छतीसगढ़ में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगे कई वाहनों को किया आग के हवाले

कांकेर में नक्सलियों ने आज आमाबेड़ा (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला के बीच सड़क निर्माण में लगे 6 से 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

छतीसगढ़ में नक्सलियों का हमला
छतीसगढ़ में नक्सलियों का हमला
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Published : Mar 23, 2022, 6:32 AM IST

कांकेर : छतीसगढ़ में नक्सलियों ने मंगलवार को आमाबेड़ा थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) के बीच सड़क निर्माण में लगे कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इसी माह की 4 तारीख को भी नक्सलियों ने जिला मुख्यालय के करीब कलमुच्चे में सड़क निर्माण में लगे पांच वाहनों को जला दिया था. वहीं आमाबेड़ा-कांकेर मार्ग स्थित गुमझिर मेले में नक्सलियों ने एक नगर सैनिक की सरेआम हत्या कर दी थी. जबकि 20 मार्च को नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा क्षेत्र में एक ग्रामीण की हत्या कर शव सड़क पर फेंक दिया था. बता दें कि जिले में नक्सलियों का उत्पात लगातार जारी है.

फरवरी से मई के बीच बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं नक्सली
मार्च महीने में नक्सलियों ने 4 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सल मामलों के जानकार की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते 10 सालों में अब तक TCOC के दौरान 250 जवान शहीद हो चुके हैं.

TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं नक्सली

पुलिस का भी मानना है कि नक्सली TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं. खासकर मार्च-अप्रैल और मई के महीनों में जवानों को नुकसान पहुंचाकर अपनी उपस्थिति दिखाते हैं. इस दौरान नक्सलियों के बड़े दलम के कमांडर भी सक्रिय रहते हैं. हालांकि कई बार सुरक्षा बलों को आभास होने के बाद नक्सलियों के चंगुल से बच निकलने में भी कामयाबी मिली है, लेकिन कुछ घटनाओं में सर्च पर निकले जवान नक्सलियों द्वारा बिछाए एम्बुश का शिकार हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें : कांकेर: नक्सलियों ने भरे बाजार में की नगर सैनिक की हत्या

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों की TCOC के दौरान छतीसगढ़ पुलिस को भी बीते साल बस्तर जिले में काफी बड़ी उपलब्धि मिली थी. इन्हीं महीनों में नक्सलियों के बड़े कमांडर भी मारे गिराए गए हैं. नक्सलियों के TCOC को भेदने के लिए पुलिस अब ऐसे इलाकों के ग्रामीणों का दिल जीतकर नक्सलियों का मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आने वाले समय में निश्चित रूप से पुलिस को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में कामयाबी हासिल होगी. उनका TCOC अभियान भी फेल साबित होगा.

क्या होता नक्सलियों का TCOC?

TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली अपने संगठन से जोड़ते हैं. सदस्यों को जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

यह भी पढ़ें : माओवादी नेता ने महिला सदस्यों का किया यौन शोषण : तेलंगाना पुलिस

यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ : नक्सली हमले में 22 जवान शहीद, शाह ने बीच में रद्द किया असम दौरा

कांकेर में अब तक की बड़ी नक्सली वारदात

  • 6 अप्रैल 2010- ताड़मेटला हमले में CRPF के 76 जवानों की शहादत.
  • 25 मई 2013- झीरम हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद.
  • 11 मार्च 2014- टाहकावाड़ा नक्सली हमले में 15 जवानों की शहादत हुई.
  • 12 अप्रैल 2015-दरभा में 5 जवानों समेत एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मी शहीद.
  • मार्च 2017-सुकमा के भेज्जी हमले में 11 CRPF जवानों को मिली शहादत.
  • 6 मई 2017-सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवानों की शहादत.
  • 25 अप्रैल 2017-सुकमा के बुर्कापाल बेस कैंप हमले में 32 CRPF के जवान शहीद.
  • 21 मार्च 2020- सुकमा के मीनपा हमले में 17 जवानों की शहादत हुई.
  • 23 मार्च 2021- नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में 5 जवान शहीद.
  • 3 अप्रैल 2021-बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए.

कांकेर : छतीसगढ़ में नक्सलियों ने मंगलवार को आमाबेड़ा थाना अंतर्गत हलाइनार और मातला (Naxalites burnt vehicles engaged in road construction in Kanker) के बीच सड़क निर्माण में लगे कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इसी माह की 4 तारीख को भी नक्सलियों ने जिला मुख्यालय के करीब कलमुच्चे में सड़क निर्माण में लगे पांच वाहनों को जला दिया था. वहीं आमाबेड़ा-कांकेर मार्ग स्थित गुमझिर मेले में नक्सलियों ने एक नगर सैनिक की सरेआम हत्या कर दी थी. जबकि 20 मार्च को नक्सलियों ने कोयलीबेड़ा क्षेत्र में एक ग्रामीण की हत्या कर शव सड़क पर फेंक दिया था. बता दें कि जिले में नक्सलियों का उत्पात लगातार जारी है.

फरवरी से मई के बीच बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं नक्सली
मार्च महीने में नक्सलियों ने 4 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सल मामलों के जानकार की मानें तो नक्सली ज्यादातर बड़ी घटनाओं को फरवरी से मई के बीच में अंजाम देते हैं. इन 4 महीनों को नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) समय कहा जाता है. बीते 10 सालों में अब तक TCOC के दौरान 250 जवान शहीद हो चुके हैं.

TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं नक्सली

पुलिस का भी मानना है कि नक्सली TCOC अभियान के दौरान ज्यादा आक्रामक होते हैं. खासकर मार्च-अप्रैल और मई के महीनों में जवानों को नुकसान पहुंचाकर अपनी उपस्थिति दिखाते हैं. इस दौरान नक्सलियों के बड़े दलम के कमांडर भी सक्रिय रहते हैं. हालांकि कई बार सुरक्षा बलों को आभास होने के बाद नक्सलियों के चंगुल से बच निकलने में भी कामयाबी मिली है, लेकिन कुछ घटनाओं में सर्च पर निकले जवान नक्सलियों द्वारा बिछाए एम्बुश का शिकार हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें : कांकेर: नक्सलियों ने भरे बाजार में की नगर सैनिक की हत्या

बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों की TCOC के दौरान छतीसगढ़ पुलिस को भी बीते साल बस्तर जिले में काफी बड़ी उपलब्धि मिली थी. इन्हीं महीनों में नक्सलियों के बड़े कमांडर भी मारे गिराए गए हैं. नक्सलियों के TCOC को भेदने के लिए पुलिस अब ऐसे इलाकों के ग्रामीणों का दिल जीतकर नक्सलियों का मुंह तोड़ जवाब दे रही है. आने वाले समय में निश्चित रूप से पुलिस को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने में कामयाबी हासिल होगी. उनका TCOC अभियान भी फेल साबित होगा.

क्या होता नक्सलियों का TCOC?

TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के तहत नए लड़ाकों को नक्सली अपने संगठन से जोड़ते हैं. सदस्यों को जोड़ने का काम आमतौर पर पतझड़ के बाद शुरू होता है. नक्सली नए लड़ाकों को सिखाते हैं कि सही समय पर हमला कैसे करना है? रियल टाइम प्रैक्टिस और एंबुश में कैसे जवानों को फंसा कर मारा जाए? इसके अलावा ट्रेनिंग में ये भी बताया जाता है कि फायरिंग में कैसे शहीद जवानों के हथियार लूटने हैं? इसी अवधि में नक्सली संगठन का विस्तार करते हैं. नए सदस्यों को पुलिस पर आक्रमण, हथियार प्रशिक्षण और अन्य शस्त्र कला और गुरिल्ला वार का प्रशिक्षिण मिलता है. इसके अलावा व्यापारियों, ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से वसूली कर साल भर का फंड इकट्ठा करते हैं. बाकी 8 माह नक्सली छोटी वारदातों को अंजाम देते हैं.

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कांकेर में अब तक की बड़ी नक्सली वारदात

  • 6 अप्रैल 2010- ताड़मेटला हमले में CRPF के 76 जवानों की शहादत.
  • 25 मई 2013- झीरम हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद.
  • 11 मार्च 2014- टाहकावाड़ा नक्सली हमले में 15 जवानों की शहादत हुई.
  • 12 अप्रैल 2015-दरभा में 5 जवानों समेत एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मी शहीद.
  • मार्च 2017-सुकमा के भेज्जी हमले में 11 CRPF जवानों को मिली शहादत.
  • 6 मई 2017-सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवानों की शहादत.
  • 25 अप्रैल 2017-सुकमा के बुर्कापाल बेस कैंप हमले में 32 CRPF के जवान शहीद.
  • 21 मार्च 2020- सुकमा के मीनपा हमले में 17 जवानों की शहादत हुई.
  • 23 मार्च 2021- नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में 5 जवान शहीद.
  • 3 अप्रैल 2021-बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए.
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