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चिड़ियाघर में बदल रहा आरिफ के दोस्त सारस का स्वभाव, प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने पर फैसला जल्द

अमेठी के आरिफ का दोस्त सारस इन दिनों कानपुर चिड़ियाघर में है. सारस के स्वभाव में बदलाव न आने से अफसर फिक्रमंद नजर आ रहे थे. दरअसल आरिफ के साथ रहते-रहते सारस दूसरे सारस की तुलना में काफी बदल गया था. ऐसे में उसे उसके कुनबे के बीच छोड़ना संभव नहीं था.

चिड़ियाघर में आरिफ के दोस्त सारस का स्वभाव तेजी से बदल रहा है.
चिड़ियाघर में आरिफ के दोस्त सारस का स्वभाव तेजी से बदल रहा है.
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Published : May 6, 2023, 7:03 PM IST

चिड़ियाघर में आरिफ के दोस्त सारस का स्वभाव तेजी से बदल रहा है.

कानपुर : अमेठी के आरिफ और सारस की दोस्ती सुर्खियों में आई तो नियमों का हवाला देकर सारस को अलग कर दिया गया. सारस इस समय कानपुर चिड़ियाघर में है. यहां लगातार उसका ध्यान रखा जा रहा है. आरिफ के साथ रहते-रहते इस सारस का स्वभाव अन्य सारस से कुछ अलग हो गया था. तमाम प्रयासों के बावजूद सारस में कोई बदलाव नहीं आ रहा था. ऐसे में अफसर इस बात को लेकर फिक्रमंंद थे कि सारस को प्राकृतिक आवास कैसे उपलब्ध कराया जाए. हालांकि अब सारस के खाने के तरीके में बदलाव आया है. माना जा रहा है कि जल्द ही उसे प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने पर फैसला हो सकता है.

बता दें कि कानपुर जू में सारस को अन्य पक्षियों की तरह दाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है. कुछ दिनों पहले आरिफ अपने दोस्त सारस से मिलने भी पहुंचे थे. इस दौरान सारस बाड़े में ही उड़ने की कोशिश करने लगा था. दरअसल, जू में बंद सारस का स्वभाव, खाने के तरीके आदि बाकी सारस से अलग हैं. ऐसे हालात में सारस को प्राकृतिक आवास में उसके कुनबे के बीच छोड़ना संभव नहीं है. अफसरों के सामने चुनौती इस बात की थी कि किसी तरह इस सारस का स्वभाव भी बाकी सारस की तरह हो जाए, जिससे प्राकृतिक आवास में जाकर यह अपने कुनबे में घुल-मिल सके.

जू निदेशक केके सिंह ने बताया सारस के स्वभाव में कोई बदलाव न आने से अफसरों की चिंताएं बढ़ गईं थीं. यह मामला शासन तक पहुंचा था. इसके बाद शासन के अफसरों ने बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के वैज्ञानिकों से संपर्क किया. उसके बाद वहां के वैज्ञानिक कानपुर आए. उन्होंने करीब 15 दिनों के प्रयास के बाद काफी हद तक सारस का स्वभाव बदलने में सफलता प्राप्त कर ली है.

खाना खिलाने के तरीके से बदला स्वभाव : जू के निदेशक ने बताया कि वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डॉ. राजीव बख्शी कानपुर जू आए. उन्होंने जू के चिकित्सकों व प्रशासनिक अफसरों को बताया कि सारस को हाथ से खाना देने बजाय, जमीन पर खाना दिया जाए. फिर क्या था, देखते ही देखते कुछ दिनों में सारस जमीन पर दिया हुआ भोजन करने लगा. वैज्ञानिकों व प्रशासनिक अफसरों का मानना है कि अगर ऐसे ही सारस का स्वभाव बना रहा तो वह इंसानों के साथ रहने के बजाय प्राकृतिक आवास में ही अपना घर बना लेगा. फिलहाल पिछले कई दिनों से बीएनएचएस के वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डॉ.असद सारस की देखरेख कर रहे हैं. रोजाना सारस की रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है.

इंसानों के साथ बहुत जल्द घुल मिल जाते हैं सारस : जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि सारस इंसानों के साथ बहुत जल्द घुल मिल जाते हैं. इंसानों के बीच पहुंचने से उनके स्वभाव में बदलाव आ जाता है, यह स्वभाव उनके कुनबे से काफी अलग होता है. हालांकि कोशिश की जाए तो स्वभाव बदल भी जाता है.

यह भी पढ़ें : कानपुर जू में अपने दोस्त आरिफ को देख बाड़े से बाहर आने के लिए तड़पने लगा सारस, देखें वीडियो

चिड़ियाघर में आरिफ के दोस्त सारस का स्वभाव तेजी से बदल रहा है.

कानपुर : अमेठी के आरिफ और सारस की दोस्ती सुर्खियों में आई तो नियमों का हवाला देकर सारस को अलग कर दिया गया. सारस इस समय कानपुर चिड़ियाघर में है. यहां लगातार उसका ध्यान रखा जा रहा है. आरिफ के साथ रहते-रहते इस सारस का स्वभाव अन्य सारस से कुछ अलग हो गया था. तमाम प्रयासों के बावजूद सारस में कोई बदलाव नहीं आ रहा था. ऐसे में अफसर इस बात को लेकर फिक्रमंंद थे कि सारस को प्राकृतिक आवास कैसे उपलब्ध कराया जाए. हालांकि अब सारस के खाने के तरीके में बदलाव आया है. माना जा रहा है कि जल्द ही उसे प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने पर फैसला हो सकता है.

बता दें कि कानपुर जू में सारस को अन्य पक्षियों की तरह दाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है. कुछ दिनों पहले आरिफ अपने दोस्त सारस से मिलने भी पहुंचे थे. इस दौरान सारस बाड़े में ही उड़ने की कोशिश करने लगा था. दरअसल, जू में बंद सारस का स्वभाव, खाने के तरीके आदि बाकी सारस से अलग हैं. ऐसे हालात में सारस को प्राकृतिक आवास में उसके कुनबे के बीच छोड़ना संभव नहीं है. अफसरों के सामने चुनौती इस बात की थी कि किसी तरह इस सारस का स्वभाव भी बाकी सारस की तरह हो जाए, जिससे प्राकृतिक आवास में जाकर यह अपने कुनबे में घुल-मिल सके.

जू निदेशक केके सिंह ने बताया सारस के स्वभाव में कोई बदलाव न आने से अफसरों की चिंताएं बढ़ गईं थीं. यह मामला शासन तक पहुंचा था. इसके बाद शासन के अफसरों ने बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के वैज्ञानिकों से संपर्क किया. उसके बाद वहां के वैज्ञानिक कानपुर आए. उन्होंने करीब 15 दिनों के प्रयास के बाद काफी हद तक सारस का स्वभाव बदलने में सफलता प्राप्त कर ली है.

खाना खिलाने के तरीके से बदला स्वभाव : जू के निदेशक ने बताया कि वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डॉ. राजीव बख्शी कानपुर जू आए. उन्होंने जू के चिकित्सकों व प्रशासनिक अफसरों को बताया कि सारस को हाथ से खाना देने बजाय, जमीन पर खाना दिया जाए. फिर क्या था, देखते ही देखते कुछ दिनों में सारस जमीन पर दिया हुआ भोजन करने लगा. वैज्ञानिकों व प्रशासनिक अफसरों का मानना है कि अगर ऐसे ही सारस का स्वभाव बना रहा तो वह इंसानों के साथ रहने के बजाय प्राकृतिक आवास में ही अपना घर बना लेगा. फिलहाल पिछले कई दिनों से बीएनएचएस के वरिष्ठ पक्षी वैज्ञानिक डॉ.असद सारस की देखरेख कर रहे हैं. रोजाना सारस की रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है.

इंसानों के साथ बहुत जल्द घुल मिल जाते हैं सारस : जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि सारस इंसानों के साथ बहुत जल्द घुल मिल जाते हैं. इंसानों के बीच पहुंचने से उनके स्वभाव में बदलाव आ जाता है, यह स्वभाव उनके कुनबे से काफी अलग होता है. हालांकि कोशिश की जाए तो स्वभाव बदल भी जाता है.

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