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देशभर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की जरूरत: केंद्रीय गृह मंत्रालय वार्षिक रिपोर्ट

मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित सभी अधिकारियों द्वारा कुल 1,414 नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 1120 लोगों को नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और 294 को धारा 6 के तहत देशीयकरण द्वारा यह नागरिकता प्रमाण पत्र दिया गया.

केंद्रीय गृह मंत्रालय वार्षिक रिपोर्ट
केंद्रीय गृह मंत्रालय वार्षिक रिपोर्ट
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Published : Nov 8, 2022, 10:02 AM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोमवार को कहा कि जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण हुए परिवर्तनों को शामिल करने के लिए देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को फिर से अपडेट करने की आवश्यकता है. एमएचए की 2021-22 रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में, नाम, लिंग, जन्म तिथि और जन्म स्थान, निवास स्थान और पिता और माता के नाम जैसे कुछ क्षेत्रों को अपडेट किया गया और आधार, मोबाइल और राशन कार्ड नंबर एकत्र किए गए. जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए, इसे (एनपीआर) फिर से अपडेट करने की आवश्यकता है.

सरकार ने प्रत्येक निवासी की विशिष्ट जानकारी एकत्र करके 2010 में देश के सभी 'सामान्य निवासियों' का राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार किया. एनपीआर नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम, 2003 के विभिन्न प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों की सुविधा के अनुसार अप्रैल से सितंबर, 2020 के दौरान जनगणना 2021 के हाउस लिस्टिंग चरण के साथ असम राज्य को छोड़कर पूरे देश में एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें: सीजेआई ललित के उत्तराधिकारी के तौर पर मेरे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियां: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

एमएचए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण, हालांकि, एनपीआर अपडेशन और अन्य संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने के लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. इसमें सेल्फ अपडेटिंग शामिल होगी, जिसमें निवासी कुछ प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद अपने डेटा को अपडेट करेंगे और एनपीआर डेटा को पेपर फॉर्मेट और मोबाइल मोड में अपडेट करेंगे.

इस अभ्यास के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एकत्र/अपडेट किए जाएंगे. अपडेशन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा. इस काम के लिए केंद्र ने पहले ही 3,941 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है. मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित सभी अधिकारियों द्वारा कुल 1,414 नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए हैं.

पढ़ें: महाराष्ट्र : उद्धव ठाकरे और अनिल परब के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज

रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 1120 लोगों को नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और 294 को धारा 6 के तहत देशीयकरण द्वारा यह नागरिकता प्रमाण पत्र दिया गया. वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई या पारसी समुदायों के सदस्यों के संबंध में पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान करने की शक्तियों को 9 राज्यों के गृह सचिव और 29 जिलों के कलेक्टरों को सौंप दिया है.

बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें गुजरात में मेहसाणा और आणंद जिलों के कलेक्टरों को पड़ोसी मुल्कों से आए अल्पसंख्यकों को 1955 के कानून के तहत ही नागरिकता प्रमाण पत्र देने की अनुमति दी गई. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, मगर चूंकि इस अधिनियम के तहत नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं, इसलिए अब तक किसी को भी इसके तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती है.

पढ़ें: पश्चिम बंगाल की दिव्यांग नादिया और थैलेसीमिया से पीड़ित इंद्राणी छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत

एमएचए रिपोर्ट में कहा गया कि जनगणना के पूर्व परीक्षण के साथ-साथ असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित क्षेत्रों में एनपीआर अपडेशन पर एक पूर्व परीक्षण किया गया था. प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एनपीआर के अपडेशन अभ्यास के दौरान एकत्र और अद्यतन किए जाने हैं. अद्यतन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा.

पढ़ें: इंडियन मर्चेंट नेवी के रोशन अरोड़ा ने सरकार से मांगी मदद, 3 महीने से गिनी में 26 क्रू मेंबर के साथ बंधक

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोमवार को कहा कि जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण हुए परिवर्तनों को शामिल करने के लिए देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को फिर से अपडेट करने की आवश्यकता है. एमएचए की 2021-22 रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में, नाम, लिंग, जन्म तिथि और जन्म स्थान, निवास स्थान और पिता और माता के नाम जैसे कुछ क्षेत्रों को अपडेट किया गया और आधार, मोबाइल और राशन कार्ड नंबर एकत्र किए गए. जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए, इसे (एनपीआर) फिर से अपडेट करने की आवश्यकता है.

सरकार ने प्रत्येक निवासी की विशिष्ट जानकारी एकत्र करके 2010 में देश के सभी 'सामान्य निवासियों' का राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार किया. एनपीआर नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता नियम, 2003 के विभिन्न प्रावधानों के तहत तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सरकारों की सुविधा के अनुसार अप्रैल से सितंबर, 2020 के दौरान जनगणना 2021 के हाउस लिस्टिंग चरण के साथ असम राज्य को छोड़कर पूरे देश में एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने का निर्णय लिया है.

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एमएचए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण, हालांकि, एनपीआर अपडेशन और अन्य संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. एनपीआर डेटाबेस को अपडेट करने के लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया जाएगा. इसमें सेल्फ अपडेटिंग शामिल होगी, जिसमें निवासी कुछ प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद अपने डेटा को अपडेट करेंगे और एनपीआर डेटा को पेपर फॉर्मेट और मोबाइल मोड में अपडेट करेंगे.

इस अभ्यास के दौरान प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एकत्र/अपडेट किए जाएंगे. अपडेशन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा. इस काम के लिए केंद्र ने पहले ही 3,941 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है. मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक केंद्रीय गृह मंत्रालय सहित सभी अधिकारियों द्वारा कुल 1,414 नागरिकता प्रमाण पत्र दिए गए हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 1120 लोगों को नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और 294 को धारा 6 के तहत देशीयकरण द्वारा यह नागरिकता प्रमाण पत्र दिया गया. वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई या पारसी समुदायों के सदस्यों के संबंध में पंजीकरण या देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान करने की शक्तियों को 9 राज्यों के गृह सचिव और 29 जिलों के कलेक्टरों को सौंप दिया है.

बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें गुजरात में मेहसाणा और आणंद जिलों के कलेक्टरों को पड़ोसी मुल्कों से आए अल्पसंख्यकों को 1955 के कानून के तहत ही नागरिकता प्रमाण पत्र देने की अनुमति दी गई. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, मगर चूंकि इस अधिनियम के तहत नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं, इसलिए अब तक किसी को भी इसके तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती है.

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एमएचए रिपोर्ट में कहा गया कि जनगणना के पूर्व परीक्षण के साथ-साथ असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित क्षेत्रों में एनपीआर अपडेशन पर एक पूर्व परीक्षण किया गया था. प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के जनसांख्यिकीय और अन्य विवरण एनपीआर के अपडेशन अभ्यास के दौरान एकत्र और अद्यतन किए जाने हैं. अद्यतन के दौरान कोई दस्तावेज या बायोमेट्रिक्स एकत्र नहीं किया जाएगा.

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