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कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार कर मुसलमानों ने पेश की अनोखी मिसाल

दक्षिण कश्मीर के त्राल में हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर भाईचारे की मिसाल कायम की. यहां एक कश्मीरी पंडित के निधन पर मुसलमान भाई भी दुखी थे. उन्होंने मृतक के परिवार के दुख में सहभागी बनने के साथ पंडित के अंतिम संस्कार में अहम भूमिका भी निभाई.

भाईचारे की मिसाल
भाईचारे की मिसाल
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Published : Oct 7, 2021, 7:27 AM IST

श्रीनगर : हिंदू-मुस्लिम भाईचारे (Hindu-Muslim brotherhood) की बेहतरीन मिसाल दक्षिण कश्मीर स्थित त्राल (Tral area of ​​south Kashmir) में देखने को मिली है. यहां एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार स्थानीय मुसलमानों (local Muslims) ने कराया.

जानकारी के मुताबिक, स्थानीय पंडित कन्हैया लाल रैना पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. बुधवार की सुबह उनका सुरा अस्पताल (Sura Hospital) में इलाज के दौरान निधन हो गया. उनके निधन की खबर पाते ही स्थानीय मुसलमाल उनके आवास पर पहुंच गए. जब घर पर कन्हैया लाल का पार्थिव शरीर लाया गया, तब सबकी आंखें नम हो गईं थी.

कन्हैया लाल के अंतिम संस्कार में मुसलमानों ने अहम भूमिका निभाई. वहां मौजूद मुसलमानों ने ही उनकी अंतिम विदाई करायी.

स्थानीय निवासी मुश्ताक अहमद ने कहा कि त्राल में सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं. आज पंडित जी के निधन पर मुसलमान भाई भी दुखी है. उनके परिवार के दुख में सहभागी हैं. कन्हैया लाल के अंतिम संस्कार में केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि कई सिख भाई भी मौजूद थे.

स्थानीय पंडित मनुजी ने कहा कि पंडितजी के निधन से इलाके में मातम का माहौल है. यहां आसपास के वक्नाफ के लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में मदद कर कश्मीरवाद की मिसाल कायम की है.

श्रीनगर : हिंदू-मुस्लिम भाईचारे (Hindu-Muslim brotherhood) की बेहतरीन मिसाल दक्षिण कश्मीर स्थित त्राल (Tral area of ​​south Kashmir) में देखने को मिली है. यहां एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार स्थानीय मुसलमानों (local Muslims) ने कराया.

जानकारी के मुताबिक, स्थानीय पंडित कन्हैया लाल रैना पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. बुधवार की सुबह उनका सुरा अस्पताल (Sura Hospital) में इलाज के दौरान निधन हो गया. उनके निधन की खबर पाते ही स्थानीय मुसलमाल उनके आवास पर पहुंच गए. जब घर पर कन्हैया लाल का पार्थिव शरीर लाया गया, तब सबकी आंखें नम हो गईं थी.

कन्हैया लाल के अंतिम संस्कार में मुसलमानों ने अहम भूमिका निभाई. वहां मौजूद मुसलमानों ने ही उनकी अंतिम विदाई करायी.

स्थानीय निवासी मुश्ताक अहमद ने कहा कि त्राल में सभी लोग आपसी भाईचारे के साथ रहते हैं. आज पंडित जी के निधन पर मुसलमान भाई भी दुखी है. उनके परिवार के दुख में सहभागी हैं. कन्हैया लाल के अंतिम संस्कार में केवल मुसलमान ही नहीं बल्कि कई सिख भाई भी मौजूद थे.

स्थानीय पंडित मनुजी ने कहा कि पंडितजी के निधन से इलाके में मातम का माहौल है. यहां आसपास के वक्नाफ के लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में मदद कर कश्मीरवाद की मिसाल कायम की है.

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