कोलकाता: ऐसे समय में जब पश्चिम बंगाल में धार्मिक तनाव बढ़ रहा है और लोगों के बीच कलह का माहौल है, उत्तरी कोलकाता में एक दुर्गा पूजा समिति ने अभूतपूर्व सद्भाव का संदेश दिया है.
दुर्गोत्सव के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे बारानगर फ्रेंड्स एसोसिएशन ने स्थानीय शिव मंदिर में पांच वर्षीय मुस्लिम बच्ची रिमशा अली की कुमारी पूजा की (Muslim girl worshipped in Kumari Puja). गुरुवार को ईद के मौके पर ऐसा किया गया. हिंसा की खबरों के बीच जब शांतिप्रिय लोग बंगाल के सौहार्द को लेकर चिंतित हों, ऐसे वक्त में ऐसी घटना निस्संदेह अभूतपूर्व मानी जा सकती है.
सिंथी सर्कस मैदान क्षेत्र (Sinthi Circus Maidan area) में सभी धर्मों के लोग रहते हैं. बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में हर जाति और धर्म के लोग शामिल होते हैं.वे सभी पूजा कार्य एक साथ करते हैं.
ये सभी राज्य के विभिन्न हिस्सों में हनुमान जयंती या रामनवमी के आसपास हुई अप्रिय घटनाओं से आहत हैं. इसलिए इस बार बारानगर फ्रेंड्स एसोसिएशन ने 'एकता' का संदेश देने के लिए यह पहल की है.
पूजा समिति के अध्यक्ष अजय घोष ने कहा, 'पिछले 5-7 वर्षों से बंगाल में रामनवमी और हनुमान जयंती को लेकर जो अराजकता है, वह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. हाल के दिनों में कहीं न कहीं एकता की नींव हिल गई है. यही वजह है कि देश को गांधी जी का देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जहां एकता होगी. कोई धार्मिक हिंसा नहीं होगी. अन्य पूजा समितियों को भी ऐसी पहल करनी चाहिए.'
ईद के दिन कुमारी पूजा के दौरान हिंदू महिलाएं साड़ी पहनकर और मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहनकर मंदिर समारोह में शामिल हुए. वहीं हिंदू लड़के, पंजाबी और मुस्लिम पुरुष टोपी पहनकर इस पूजा में मौजूद थे.
इसी दौरान वे सोनागाछी (कोलकाता में रेड लाइट एरिया) गए और दुर्गा मूर्तियां बनाने के लिए सेक्स वर्कर से मिट्टी लाए. पूजा के अंत में दो धर्मों के लोग इस उत्सव में शामिल हुए जिससे एक बार फिर पारंपरिक बंगाल की तस्वीर सामने आई.