ग्वालियर। मध्य प्रदेश में पहली बार पुलिस मूक बधिर पीड़ित लोगों की भाषा को समझेगी. इसको लेकर पुलिस कर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, जिसके माध्यम से यह साइन लैंग्वेज सीख रहे हैं. इसका मुख्य उद्देश्य है कि मूक बधिर पीड़ित लोग जब थाने पर आते हैं तो उनकी भाषा को पुलिस नहीं समझती है और उन्हें मामले को समझने में काफी परेशानी होती है. इसलिए उनकी समस्याओं का हल जल्द नहीं हो पाता है. इसी को लेकर ग्वालियर में पहली बार पुलिस मुख बधिर की भाषाओं को समझने के लिए इस भाषा का ज्ञान ले रही है.
एनजीओ के माध्यम से दी जा रही ट्रेनिंग: दरअसल थानों में यह देखा जाता है कि जब कोई पीड़ित मूकबधिर महिला या पुरुष थाने में पहुंचता है तो उनकी बातों को समझने में पुलिस को काफी परेशानी होती है. इसलिए पुलिस साइन लैंग्वेज को समझने के लिए एक एक्सपर्ट का सहारा लेती है. उसके बाद उनकी बातों को समझा जाता है, तब जाकर मामले की जांच शुरू होती है, लेकिन कभी-कभी देखने को मिलता है कि यह साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट उपलब्ध नहीं हो पाते हैं और इन मूकबधिर पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता है. इन पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिले, इसलिए ग्वालियर एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा कि मूकबधिर पीड़ितों की भाषा को समझने के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यह ट्रेनिंग एक एनजीओ के माध्यम से दी जा रही है, जिसमें साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को यह लैंग्वेज सिखा रहे हैं. इस ट्रेनिंग में पुरुष और महिला पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. इसमें पुलिस के अधिकारी और कर्मचारियों को यह बताया जा रहा है कि पुलिस इन मूक-बधिर पीड़ित लोगों से साइन लैंग्वेज में कैसे बात करें, ताकि उनकी बेसिक जानकारियों के बारे में समझा जा सके.
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पुलिसकर्मियों को सिखाई जा रही साइन लैंग्वेज: एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने ईटीवी भारत को बताया कि पुलिसकर्मियों को यह साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग एक एनजीओ के माध्यम से दी जा रही है. जिसमें साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट के जरिए इस भाषा के बारे में बताया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस ट्रेनिंग में जिले के सभी थानों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. उन्होंने कहा है कि बारी-बारी से सभी को बुलाया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में जो मूकबधिर पीड़ित हैं, उनकी भाषा समझने में पुलिस को परेशानी होती है उसको कहीं ना कहीं सरल किया जाए, ताकि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल सके. एसएसपी राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि अधिकतर देखा जाता है कि जो मूकबधिर लोग होते हैं उनकी समस्याएं या उनसे जानकारी जुटाने में काफी परेशानी होती है. इसलिए इस ट्रेनिंग में सबसे अधिक जिले के थाना प्रभारी और एसआई स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया है. यह सभी लोग साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट के जरिए बेसिक चीजें सीखने का काम कर रहे हैं, ताकि जो थाने में आने वाले मूक-बधिर पीड़ित लोग हैं. उनकी बातों को आसानी से समझ सके और उनकी मदद कर सके.