उमरिया। अगर आप घूमने फिरने और जंगल सफारी के शौकीन हैं, तो यह खबर आपके लिए है. जी हां मध्यप्रदेश में पर्यटन को लेकर बड़ी खबर आ रही है. बहुत जल्द एमपी के सभी नेशनल पार्क में तीन महीनों के लिए ताला लगने वाला है. 1 जुलाई से सिंतबर तक प्रदेश के सभी नेशनल पार्क बंद रहेंगे. उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 1 जुलाई से 30 सिंतबर तक के लिए पर्यटन बंद हो जाएगा. जून का महीना जंगल में पर्यटन का आखरी महीना है. 30 जून यानि की शुक्रवार को आखिरी दिन. इसके बाद तीन महीने तक पर्यटन बंद रहेगा.
जानें क्यों मॉनसून में नेशनल पार्क होते हैं बंद: वन विभाग के नियमानुसार 30 जून से मध्य प्रदेश के सभी नेशनल पार्क बंद हो जाएंगे और फिर एक अक्टूबर को खुलेंगे. बारिश के सीजन में पार्क बंद करने की कई वजह होती है. जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण वजह यह बताई जाती है कि इस समय बाघ-बाघिन साथ रहते हैं. इस दौरान बाघ और बाघिन ज्यादा खुंखार हो जाते हैं. यही कारण है कि उनके एकांत में पर्यटकों की वजह से खलल न पड़े, इसलिए पार्क बंद कर दिया जाता है. वन्य प्राणी प्रेमी नरेन्द्र बगड़िया का कहना है कि वर्षाकाल के तीन महीने पार्क पूरी तरह से बंद रखा जाना चाहिए, ताकि वन्य प्राणी सुकून के साथ रह सकें.
काफी शर्मीले होते हैं बाघ: जंगल के अंदर कच्चे रास्तों पर पर्यटकों के वाहन चलते हैं. बारिश के दौरान कच्चे रास्ते वाहनों के लिए अनुकूल नहीं रहते. बारिश के दौरान जंगल के अंदर वाहनों के कच्चे रास्तों में फंसने से किसी तरह का कोई हादसा न हो जाए, इसका भी भय बना रहता है. यह भी एक कारण है कि बारिश के दौरान जंगल के अंदर सफारी नहीं कराई जाती और पर्यटन को बंद कर दिया जाता है. हम आपको बता दें कि बाघ स्वभाव से न सिर्फ आलसी होते हैं, बल्कि शर्मीले भी होते हैं. यही कारण है कि बाघ अक्सर अकेले रहना पसंद करते हैं.
निराश नहीं मॉनसून में भी उठा सकते हैं लुत्फ: हालांकि इस दौरान भले ही टाइगर सफारी न देखने को मिले, लेकिन बफर जोन का जंगल घूमा जा सकता है. पर्यटक मॉनसून में टाइगर रिजर्व के आसपास की जगह पर जाकर मौसम का भरपूर मजा ले सकते हैं. साथ ही नेशनल पार्क और लक्जरी होटल का कम कीमत पर मजा लेने के लिए पर्यटक 30 जून के बाद भी यहां आ सकते हैं. कोर जोन में पर्यटन बंद होने के नियमों को ध्यान में रखते हुए होटल और जिप्सी संचालकों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने बीच का रास्ता निकाल लिया है. कोर जोन में जो नियम आड़े आते हैं, वह बफर में नहीं आते. यही कारण है कि बफर जोन में बारिश में भी सफारी जारी रहेगी. इसके अलावा नाईट सफारी का आनन्द भी पर्यटक उठा सकेंगे. बफर में पर्यटन जारी रहने से पार्क क्षेत्र में कारोबार करने वाले छोटे व्यापारियों को भी इसका लाभ मिलेगा और उनका घर भी चल सकेगा.
एमपी में नेशनल पार्क: मध्यप्रदेश में 12 नेशनल पार्क है, जिनमें से अधिकांश में बाघ देखने मिलते हैं. अब तक मध्यप्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यानों को बाघ परियोजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है.
ये सभी छह टाइगर रिजर्व हैं.
- बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, उमरिया
- कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान, मण्डला
- पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, पन्ना
- सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, होशंगाबाद
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान, सिवनी
- संजय राष्ट्रीय उद्यान, सीधी
खुले रहेंगे बफर जोन: जबकि वन्य प्राणी प्रेमी बारिश के दौरान बफर में पर्यटन को पूरी तरह से गलत मानते हैं और इसका विरोध भी करते हैं. एक जुलाई से मध्यप्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व बंद हो रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी जंगल में वन्यप्राणियों को सुकून नहीं मिल सकेगा. इसकी वजह यह है कि प्रदेश में सभी पार्क के कोर जाेन भले ही पर्यटकों के लिए बंद हो रहे हैं, लेकिन बफर जोन बारिश में भी खुले रहेंगे. इतना ही नहीं जिन पार्कों के बफर जोन में नाइट सफारी होती है, वहां बारिश में भी नाईट सफारी पूर्ववत जारी रहेगी. यानी न सिर्फ दिन में बल्कि रात में भी वन्यजीवों का आराम हराम रहेगा.