ग्वालियर। इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की पूरे देश में खासी डिमांड होने लगी है. यही कारण है कि अब ग्वालियर की इंडियन मोनालिसा देश भर के मॉल्स की शोभा बढ़ाएंगी. इसको लेकर प्रसिद्ध नेशनल अवार्डी शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा के पास 300 से अधिक ऑर्डर आए हुए हैं. सबसे खास बात यह है कि यह सभी इंडियन मोनालिसा ग्वालियर के मशहूर मिंट स्टोन से तैयार की जाएंगी. बताया जा रहा है कि मूर्तियों को प्रतिष्ठित कंपनियों के द्वारा देश भर की मॉल्स में प्रदर्शित किया जाएगा.
करोड़ों में है मूर्ति की कीमत: इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की बेशकीमती प्रतिमा ग्वालियर की गुजरी महल संग्रहालय में रखी है. यह शालभंजिका देश विदेश में बहुत अधिक प्रसिद्ध का चुकी है. इसकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह मूर्ति विदेश में एग्जीबिशन के लिए ली जाती हैं तो उसकी बीमा राशि करोड़ों रुपए में होती है. शालभंजिका की मूर्ति वर्तमान में ग्वालियर की गुजरी महल संग्रहालय में रखी है. जिसकी सुरक्षा के लिए विशेष रूप से सरकार द्वारा चार गार्ड भी लगाए गए हैं.
मूर्तिकार के पास 300 से अधिक ऑर्डर: इसी शालभंजिका (इंडियन मोनालिसा) मूर्ति की तरह प्रसिद्ध मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ग्वालियर के टिडमेन्ट पत्थर से मूर्तियां तैयार कर रहे हैं, जो शालभंजिका की तरह दिखाई देती हैं. दीपक विश्वकर्मा अलग-अलग शैलियों में मूर्ति तैयार कर रहे हैं. यह सभी मूर्तियां 1 से 7 फीट ऊंची हैं. यह नागर, द्रविड़ सहित कई शैलियों में तैयार की जा रही हैं. इन मूर्तियों को प्रतिष्ठित कंपनियों के द्वारा देश भर के मॉल्स में प्रदर्शित किया जाएगा. मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा के पास अभी तक ग्वालियर के पत्थर से इंडियन मोनालिसा मूर्ति बनाने के लिए 300 से अधिक आर्डर आ चुके हैं, जिनमें से वह 100 के आसपास मूर्तियां तैयार कर चुके हैं.
मॉल्स में प्रदर्शित की जाएगी शालभंजिका: प्रसिद्ध मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया है कि ''प्रतिष्ठित कंपनी के पूरे देश भर में नई मॉल तैयार किया जा रहे हैं, जिनमें इन इंडियन मोनालिसा की मूर्तियों को लगाया जाएगा. सबसे खास बात यह है कि यह सभी मूर्ति ग्वालियर के मशहूर टिडमेन्ट पत्थर से तैयार की जा रही हैं. इंडियन मोनालिसा की मूर्तियों को बनाने के लिए लगभग दो दर्जन से अधिक शिल्पकार दिन-रात काम करने में जुटे हुए हैं. 3 महीने में इन सभी मूर्तियों को तैयार कर कंपनियों को सौंप दी जाएगी. यह देश भर के अपने सभी मॉल्स में ग्वालियर की बनी शालभंजिका को प्रदर्शित किया जाएगा.''
मजबूत पत्थर होता है मिंट स्टोन: रीजनल आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर में कारीगरों द्वारा तैयार हो रही मूर्तियों में ग्वालियर की ऐतिहासिक धरोहर प्रसिद्ध शालभंजिका के प्रतिरूप, बुद्ध हेड, लेटे हुए बुद्ध, बैठे हुए बुद्ध, नृत्य रूप में नायक बॉक्स के रूप में शिल्पकार तैयार हो रहे हैं. प्रसिद्ध मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने बताया है कि ''टिडमेन्ट स्टोन की खासियत होती है कि यह पत्थर बहुत मजबूत होता है. इस पत्थर से मूर्तियां तैयार करते समय पत्थर की टूटने की संभावना कम होती है और फिनिशिंग के बाद इसकी सुंदरता अधिक दिखाई देती है. मूर्तियों में डिटेलिंग दिखाने के लिए सबसे ज्यादा इसी पत्थर का उपयोग किया जाता है. वहीं सेंड स्टोन इसकी तुलना में सॉफ्ट होता है.''
मुस्कुराती हुई नजर आती है मूर्ती: अब हम आपको ग्वालियर के संग्रहालय में रखी विश्व प्रसिद्ध ओरिजिनल "इंडियन मोनालिसा" के नाम से मशहूर शालभंजिका के बारे में बताते हैं. दसवीं शताब्दी की मूर्ति इंडियन मोनालिसा के नाम से देश-विदेश में प्रसिद्धि पा चुकी है. जब इस मूर्ति को विदेशों में प्रदर्शन के लिए ले जाया जाता है तो इसकी बीमा राशि करोड़ों रुपए में होती है. यह शालभंजिका इस समय ग्वालियर की गुजरी महल संग्रहालय में रखी है जिसकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे जवान तैनात रहते हैं. इस मूर्ति की सबसे खासियत यह है कि आप किसी दिशा से इस मूर्ति को देखते हैं तो यह मूर्ति हमेशा आपको मुस्कुराती हुई एक ही रूप में नजर आएगी. विदेश में इसकी तुलना 'लियोनार्दो द विंची' की मोनालिसा की मुस्कान से की जाती है.