छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में इस साल राखी का त्यौहार कुछ खास है. राखी के माध्यम से पर्यावरण को बढ़ावा देने के साथ ही संरक्षण के लिए अनूठी पहल की गई है. मध्य प्रदेश राज्य बांस मिशन के तहत छिंदवाड़ा वन विभाग द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बांस की राखियां बनवाई गई हैं. इन राखियों की विशेषता यह है कि देखने में सुंदर तो हैं ही. साथ ही उनके भीतर अलग-अलग पौधों के बीज भी लगाए गए हैं. राखी का उपयोग होने के बाद यदि इन्हें कहीं भी डाला जाएगा तो उससे जमीन पर पौधा उगेगा. जो पर्यावरण को संवारने का काम करेगा.
ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना ही उद्देश्य : वन विभाग के रेंजर पंकज शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की राखियों को बनाने का उद्देश्य जिले में ज्यादा से ज्यादा पौधा लगाकर पर्यावरण की रक्षा करना है. जिन पौधों के बीज राखियों में रखे गए हैं, उनमें करंज, कचनार, बांस, नीलगिरी और गुलमोहर मुख्य रूप से शामिल हैं. इसके अलावा अन्य पौधों के बीज भी इसमें रखे जा रहे हैं. वन विभाग के अधिकारी का मानना है कि अगर राखी बांधने के बाद उसके बीज से उत्पन्न पौधा का पेड़ बन जाए तो रक्षाबंधन का इससे बड़ा उपहार और कोई नहीं हो सकता.
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महिलाओं के हुनर के आगे मशीन भी फेल : ये राखियां महिलाएं तैयार कर रही हैं. उनकी मेहनत और हुनर के आगे मशीने भी फेल हैं. राखी बनाने वाली महिला अरुणा डेहरिया ने बताया कि इन्हें बनाने में काफी समय लगता है लेकिन अब उनके लिए ये एक जुनून हो गया है. वह सिर्फ राखियां ही नहीं बल्कि बांस से कई तरह के ज्वैलरी और घरों की सजावट के समान तैयार करती हैं. करीब 5 हजार राखियां तैयार करने का उनका लक्ष्य है. इसके बाद जिला न्यायालय के बगल में वन विभाग के दफ्तर में बिक्री के लिए रखा जाएगा. एक राखी की कीत ₹40 है. राखी बनाने के लिए सीमा डेहरिया और ज्योति चौरसिया की टीम काम कर रही है.