भोपाल। मध्यप्रदेश के बुधनी विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों एक चेहरा अचानक से चर्चा का विषय बन गया है. इसका नाम बृजेंद्र उइके है. महज 26-27 साल का यह लड़का पहली बार तब चर्चा में आया था, जब इसने सीहोर जिला पंचायत की उस सीट को जीता था, जो कि एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी विधानसभा में आती है. 11 हजार मतों से रिकार्ड जीत दर्ज की तो हर किसी का ध्यान इसकी तरफ चला गया. कांग्रेस की भी पहली बार नजर पड़ी. यही चेहरा दूसरी बार चर्चा तब आया, जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की. इस यात्रा में 126 लोगाें को स्थायी यात्रा के रूप में चुना गया. इस 126 लोगों में भी बृजेंद्र उइके का नाम शामिल था. ब्रजेंद्र ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी के साथ पैदल यात्रा की. अब तीसरी बार फिर ब्रजेंद्र उइके चर्चा में हैं, क्योंकि इस बार कांग्रेस उसे सीएम के सामने प्रत्याशी बनाने की तैयारी कर रही है. अब तक ऑफिसियली तो किसी ने एनाउंस नहीं किया गया है.
क्या है बुधनी का सियासी समीकरण: जिस तरह से खुद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने क्षेत्र में बृजेंद्र उइके को लेकर घूम रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि सीएम को चुनौती देने वाला प्रत्याशी यही होगा. अब समझना यह है कि आखिर ब्रजेंद्र उइके ही क्यों? क्या सिर्फ इसलिए कि उसने 11 हजार वोटों से जिला पंचायत का चुनाव जीता या फिर इसलिए कि राहुल गांधी के साथ भारत यात्रा की. जवाब जानने के लिए क्षेत्र के सीनियर जर्नलिस्ट और मतदाताओं से बात की. भेरुंदा (नसरुल्लागंज) में एक दैनिक समाचार पत्र के लिए काम करने वाले मनोहर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि "बुधनी सीट पर मामला 60-40 का औसत रहा है. अब तक कुल 16 बार चुनाव हुए हैं. इसमें से 5 बार कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत मिली तो 7 बार भाजपा का प्रत्याशी जीता है. जबकि एक बार जनसंघ और एक बार जनता पार्टी का प्रत्याशी रहा. यह दोनों ही हिंदुत्व विचारधारा वाली पार्टी रही हैं. भाजपा का गठन इसके बाद हुआ था. यह शुद्ध रूप से कांग्रेस के खिलाफ थे. वहीं दो बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है. इन सभी के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को हराने के लिए कांग्रेस दावा नहीं कर रही, बल्कि उन्हें उनके ही विधानसभा में घेरकर रोकना चाहती है."
कांग्रेस बना रही है आदिवासी-ब्राह्मण गठजोड़: इस समय कांग्रेस की तरफ से दो नाम चर्चा में है. पहला बृजेंद्र उइके और दूसरा विक्रम मस्ताल शर्मा. विक्रम को कमलनाथ ने कांग्रेस ज्वाइन करवाई और उसे नर्मदा सेना का प्रभारी बना दिया गया. विक्रम एक निजी चैनल पर प्रसारित रामायण सीरियल में बजरंगबली का किरदार निभा कर चर्चा में आए थे. वे बुधनी के सलकनपुर इटारसी के रहने वाले हैं और उनके छोटे भाई अर्जुन उर्फ निक्की शर्मा भी बुधनी विधानसभा से कांग्रेस के युवा नेता हैं और कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. लेकिन ईटीवी भारत का एनालिसिस बताता है कि इस बार प्रत्याशी के रूप में आदिवासी चेहरा ही लगभग फाइनल है. बुधनी विधानसभा में बृजेंद्र उनके दिग्विजय सिंह की खोज बताई जा रही है. इनके सहयोगी के तौर पर विक्रम मस्ताल को दिखाया जाएगा, ताकि आदिवासी के साथ सामान्य वर्ग के वोट भी कांग्रेस पार्टी को मिल सके.
अब समझिए वोटों के गणित: सिर्फ बुधनी विधानसभा क्षेत्र की 2018 की चुनाव की बात करें तो कुल मतदाताओं में से शिवराज सिंह चौहान को 1 लाख 23 हजार 492 वोट मिले. वहीं कांग्रेस के अरुण सुभाष चंद्र यादव को 64 हजार 493 वोट मिले. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी को 8152, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को 1683 और निर्दलीय प्रत्याशी हेमराज पठारी को 1386 वोट मिले. इनके अलावा 10 प्रत्याशी और मैदान में थे, जो हजार के नीचे ही रहे. अब कुल मतदाताओं में सामाजिक वोटर्स की बात करें तो सबसे अधिक आदिवासी वोट करीब इनके मतदाता 50 हजार से अधिक हैं. इनमें बारेला, गौंड कोरकू, भील शामिल है. इसके अलावा किरार, ब्राह्मण, राजपूत, पवार, अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम, मीणा, यादव, कीर, खंडेलवाल आदि जातियों के वोट 5 से 20 हजार प्रति जाति के अनुपात में है. गौरतलब है कि पिछली विधानसभा चुनाव के अनुसार बुधनी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 244580 है. इनमें पुरुष मतदाता 127847 और महिला मतदाता 116724 है. जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 9 है.