अगरतला : त्रिपुरा में अदालत के एक फैसले के बाद करीब 10 हजार से ज्यादा सरकारी शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसके बाद इन शिक्षकों की जिदंगी में भूचाल आ गया, लेकिन हिम्मत ना हारते हुए इन शिक्षकों ने कुछ कर गुजरने की ठानी .
बता दें, राजधानी अगरतला के बाहरी इलाके में स्थित फटिकचेरा इलाका जो पहले उच्च मूल्य की चाय के लिए जाना जाता था, लेकिन हाल ही में सरकारी नौकरी से हटने के बाद, 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों में से एक बाबुल देबनाथ ने हिम्मत दिखाते हुए मशरूम की खेती कर डाली. बता दें, देबनाथ ने अपनी मेहनत के चलते मिल्की किंग का टैग हासिल किया और उन लोगों के लिए जो मशरूम की खेती करते हैं उनके लिए एक शिक्षक के रूप में उभरे. भले ही उनके हाथ में चाक और डस्टर नहीं था, लेकिन फिर भी उन्हें मशरूम की खेती की शिक्षा देने वाले प्रगतिशील किसानों में सर्वश्रेष्ठ पाया गया.
उन्होंने कहा कि मैंने मिल्की मशरूम बड़े पैमाने पर किया है और मैंने बहुत सारे किसानों को सुझाव भी दिया. मेरे सर्किल में काम करने वाले किसानों ने मेरी सलाह मानी और मुझे मिल्की किंग के रूप में स्वीकार किया.
मशरूम के साथ अपने लंबे संबंधों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं लंबे समय से मशरूम की खेती में था. सरकारी सेवा में शामिल होने के चलते मुझे समय नहीं मिल पाता था, लेकिन अब मैंने अपने दम पर कुछ शुरू करने की ठानी. उन्होंने बताया कि मशरूम के क्षेत्र में काफी काम कर रहा था इसलिए मैंने यह कार्य करने की सोची.
उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल बटन मशरूम की खेती शुरू की थी, लेकिन कुछ तकनीकी चीजों के कारण उनकी फसल बर्बाद हो गई. उनके अनुसार, बटन मशरूम एक विशिष्ट प्रकार का मशरूम है जो आमतौर पर ठंडे क्षेत्रों में उगाया जाता है और त्रिपुरा के लिए इसे केवल सर्दियों के मौसम में उगाया जा सकता है. पिछले साल केवल मैंने आसनसोल में प्रशिक्षण लिया और इस विशिष्ट प्रकार के मशरूम के लिए पश्चिम बंगाल के साथ एक बीज श्रृंखला विकसित की. अब, इस साल मैंने 30 टन खाद तैयार की है.
बटन मशरूम के अलावा बाबुल मिल्की मशरूम और ओएस्टर मशरूम की खेती भी करते हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास राज्य भर के किसानों का एक समूह है जो विचारों का आदान-प्रदान करते हैं. बाबुल ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से किसान मेरे पास आते हैं और मैं उन्हें विचारों के साथ मार्गदर्शन करता हूं जहां तक मशरूम के बारे में मेरा ज्ञान है.
उनकी सफलता के बारे में सुनकर स्थानीय विधायक कृष्णधन दास ने उनके घर का दौरा किया और पूरे मशरूम फार्म का निरीक्षण किया. संतुष्टि व्यक्त करते हुए दास ने उनकी सराहना की और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें किसी भी तरह की मांग के लिए संपर्क करने को कहा. बिना किसी हिचकिचाहट के बाबुल ने मिड-डे मील योजना में मशरूम को शामिल करने की व्यवस्था करने के लिए विधायक से मदद मांगी ताकि अधिक से अधिक किसान इस खेती में शामिल हो सकें और लाभान्वित हो सकें.
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त्रिपुरा में हर रोज 500 किलोग्राम मशरूम बेचा जा रहा है. यदि इसकी ज्यादा डिमांड बढ़ेगी तो किसानों को सबसे अधिक फायदा होगा.