नई दिल्ली : देश में कोविड टास्क फोर्स के विशेषज्ञों (experts from covid task force) ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया और तर्क दिया कि सोमवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि मोल्नुपिरवीर दवा कोविड के उपचार में ज्यादा फायदेमंद (Not much beneficial in the treatment of covid) नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मोलनुपिरवीर एक एंटीवायरल दवा है जो वायरल म्यूटेनेसिस द्वारा SARS-CoV-2 प्रतिकृति को रोकता है. इस एंटी-कोविड गोली को आपात स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए 28 दिसंबर को ड्रग रेगुलेटर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी मिल गई थी. एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि कोविड-19 के लिए राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य इस दवा को राष्ट्रीय उपचार दिशा-निर्देशों में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि इससे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में ज्यादा फायदा नहीं हुआ. साथ ही सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी थीं.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉ बलराम भार्गव ने पिछले हफ्ते कहा था कि मोलनुपिरवीर की सुरक्षा संबंधी बड़ी चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ और यूके ने इसे इलाज के लिए शामिल नहीं किया है. हमें यह याद रखना होगा कि इस दवा में प्रमुख सुरक्षा चिंताएं हैं. यह टेराटोजेनिकिटी, म्यूटेजेनेसिटी और उपास्थि क्षति का कारण बन सकती है. यह मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.
उन्होंने कहा कि यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी ने 4 दिसंबर को उन वयस्कों में हल्के से मध्यम COVID-19 के इलाज के लिए विशेष परिस्थितियों में मोलनुपिरवीर को मंजूरी दी थी. यूएसएफडीए ने 23 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती या मृत्यु सहित गंभीर बीमारी की प्रगति के लिए उच्च जोखिम वाले वयस्कों में हल्के से मध्यम COVID-19 के इलाज के लिए दवा के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया. शर्तों के अनुसार दवा को केवल चिकित्सा विशेषज्ञों के पर्चे के साथ खुदरा में बेचा जाना चाहिए और अनुशंसित खुराक पांच दिनों के लिए दिन में दो बार 800 मिलीग्राम होना चाहिए.